आजादी के बाद पहली बार चुनाव में चमकी है मछली, आइये आपको बताएं इस मछली में क्या है जिसने देश हिला दिया

By :  Neeraj Jha
Update: 2024-04-13 07:15 GMT

नई दिल्ली। भारतीय चुनावों में अपनाए गए कई हथकंडे आए गए लेकिन मछली को पहली बार मौका मिला है। यह मामूली मछली नहीं है इसलिए इसका तेवर तल्ख है। खास बात यह है कि यह मछली खाने की चीज नहीं है यह सिर्फ स्वाद बांटती है वह भी वोट की। तेजस्वी यादव ने भी जो मछली खाई वह फर्जी भोजन था, उसका खाने पीने से कोई मतलब नहीं था। मतलब था तो सिर्फ मल्लाह और मुसलमान के वोट से।

मछली का सियासी स्वाद कौन ज्यादा चख पाएंगे तेजस्वी या मोदी

बिहार में बड़ी संख्या में मल्लाह जाति की वोटर हैं। खासकर मिथिलांचल इलाके में मल्लाह जाति के लोग ज्यादा रहते हैं। इसका कारण यह है कि यहां खेत से ज्यादा इनकम मछली देती है। करोड़ों तालाब हैं। साथ ही यह भी बता दें कि अब मत्स्य पालन सिर्फ मल्लाह जाति के लोग ही नहीं ब्राह्मण तक करते हैं। मछली उनकी रोजी-रोटी है और कोई भी अपनी रोजी-रोटी को टीवी न्यूज में देखकर खुश ही होगा। वहीं पूरे बिहार में ही नॉनवेज का सेवन करने वाले लोगों की संख्या कम नहीं है तो ऐसे वोटर को लुभाने के चक्कर में तेजस्वी यादव ने मछली खा ली। वाकई में इसका असर तो हुआ जरूर तब तो तेजस्वी के मछली खाते ही नीतीश कुमार को आग लग गई। दरअसल मछली मुसलमान भी खाते हैं तो जो पुराने मुसलमान नीतीश के वोटर हैं, उससे यह मछली उनसे अलग ना कर दे। इसके चलते नीतीश कुमार ने शुक्रवार को एक जनसभा में मुसलमान को याद दिलाया कि कैसे वह उनके साथ थे इसलिए मछली के बहकावे में वह ना आएं।

जानिए मछली से क्या मिलेगा मोदी को

बता दें कि देश में 47% लोग नॉनवेज खाते हैं। समुद्र तट पर बसे दक्षिण भारत के इलाके और सेवन सिस्टर के साथ राज्य को छोड़ दें तो बाकी प्रदेशों में नॉनवेज प्रेमी कम ही मिलेंगे। मल्लाह और मुसलमान का वोट तो कई दलों के बीच बंट जाएगा लेकिन यह जो 47% की आबादी है, यह तो मोदी के मछली विरोध का जरूर समर्थन करेगी।

मछली है तेजस्वी की खोज

कई चीजें चुनावी हथकंडा बनीं लेकिन मछली मछली को हथकंडा बनने का पहला मौका तेजस्वी ने दिया है। देखिए कि तेजस्वी कितना चालाक है कि बाहर मीडिया से वह कहते हैं कि मोदी मछली नहीं मुद्दे पर बात करें। वह कहते हैं कि आइक्यू टेस्ट करने के लिए मछली का वीडियो जारी किया। अब इस प्रकरण में आइक्यू नाम की कोई चीज नहीं है, सीधी सीधी बात है कि मछली के बहाने एक बड़े वोट बैंक पर डाका डाल दिया। उधर, पीएम मोदी पीछे कहां हटने वाले थे। उन्होंने सावन में मछली को पाप बात कर उन्हें लुभा लिया जो सावन में मांस मछली से परहेज रखते हैं। सच्चाई यही है कि इस मछली में सिर्फ सियासी खुशबू है।

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