वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज से ठीक नौ दिन बाद को संसद में अंतरिम बजट पेश करेंगी।

Update: 2024-01-23 09:27 GMT

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज से ठीक नौ दिन बाद यानी 01 फरवरी 2024 को संसद में अंतरिम बजट 2022 पेश करेंगी। इस अंतरिम बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बाजार में विकास को बढ़ावा देने वाले कई पहलुओं पर दांव लगा सकती हैं। निवेशकों और बाजार पर्यवेक्षकों को उम्मीद है कि अंतरिम बजट में वित्तमंत्री की ओर से होने वाली घोषणाओं से आगामी वित्त वर्ष के लिए सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में बहुत हद तक जानकारी मिलेगी। हालांकि अंतरिम बजट होने के कारण किसी बड़े फैसले की उम्मीद कम

वित्त मंत्री पहले ही कह चुकी हैं कि इस बार के अंतरिम बजट में किसी बड़े फैसले की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। सच्चाई यह है कि 1 फरवरी, 2024 को जो बजट पेश होगा वह सिर्फ एक वोट ऑन अकाउंट होगा, क्योंकि इस साल आम चुनाव होने हैं। इसलिए सरकार जो बजट पेश करेगी वह सिर्फ नई सरकार के आने तक सरकार के खर्च को पूरा करने के लिए होगा।" अप्रैल-मई के आम चुनावों के बाद चुनी गई नई सरकार की ओर से जुलाई में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट पेश किया जाएगा। आइए जानते हैं उन 9 प्रमुख फैसलों के बारे में जिनपर अंतरिम बजट के दौरान बाजार व हितधारकों की नजर बनी रहेगी और जिनसे देश की दिशा तय होगी।

1. पूंजीगत व्यय

आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये सरकार आगामी बजट में पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure or Capex) बढ़ाकर बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास की गति बनाये रख सकती है। सरकार राजकोषीय सशक्तीकरण के मार्ग से हटे बिना मनरेगा, ग्रामीण सड़क, पीएम किसान सम्मान निधि और पीएम विश्वकर्मा योजना जैसी सामाजिक योजनाओं के लिए अधिक धन आवंटित कर सकती है। आईसीआरए ने अपनी बजट पूर्व अपेक्षाओं में कहा, "हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 25 में कैपेक्स के लिए ₹10.2 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान होगा। इसका मतलब है कि सालाना आधार पर इसमें 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी। कोरोना के बाद के वर्षों में इसमें 20 प्रतिशत से का विस्तार दिखा था। पूंजीगत व्यय वृद्धि में नरमी का आर्थिक गतिविधियों और जीडीपी वृद्धि पर असर पड़ सकता है।

2. रोजगार सृजन

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करने के लिए, सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने से जुड़ी घोषणाएं कर सकती है। रसायन और सेवाओं से जुड़े क्षेत्रों में उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं का दायरा बढ़ाया जा सकता है। डेलॉय के अनुसार, "इसका एक तरीका ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण पर अधिक खर्च करना औ नकदी प्रवाह में सुधार के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना हो सकता है। रसायन और सेवाओं से जुड़े क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाओं के दायरे को व्यापक बनाने से विनिर्माण क्षेत्र में अधिक मांग पैदा हो सकती है।"

3. राजकोषीय घाटा

चुनावी दबाव के बावजूद निर्मला सीतारमण बजट में राजकोषीय घाटे को और कम कर भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.3 प्रतिशत पर लाने का विकल्प चुन सकती हैं। बोफा सिक्योरिटीज के अनुसार, "हमें लगता है कि चुनावी दबाव के बावजूद केंद्र का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.3 प्रतिशत पर पहुंचकर और मजबूत हो जाएगा।" नोट के अनुसार सरकार राजकोषीय घाटे को घटाकर 5.9 प्रतिशत पर लाने की वित्त वर्ष 2024 की प्रतिबद्धता को पूरा करेगी।

4. सामाजिक सुरक्षा योजनाएं

केंद्र सरकार आगामी अंतरिम बजट में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए अधिक धन आवंटित कर सकती है क्योंकि कर में वृद्धि से उसे पर्याप्त धन मिल सकता है। पीटीआई की एक रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में आयकर और कॉरपोरेट करों से संग्रह में उछाल दिख रहा है और कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये अधिक होने की संभावना है।

5. कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर

कृषि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के प्रयास में, वित्त मंत्री अंतरिम बजट में कुछ उपायों की घोषणा कर सकती हैं ताकि उपभोग को बढ़ावा दिया जा सके। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अग्रिम अनुमानों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2022-23 में 4 प्रतिशत से घटकर 1.8 प्रतिशत होने की उम्मीद है।

6. बैंकिंग और इश्योरेंस सेक्टर

आने वाला अंतरिम बजट बजट भारत के बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र की नजर बनी रहेगी। यह क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और भविष्य में संभावित विकास की भी उम्मीद कर रहा है। इस बार के बजट में किए गए एलान इस क्षेत्र के विकास को गति दे सकते हैं। यह क्षेत्र प्रमुख रूप से नई प्रौद्योगिकियों का एकीकरण, अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करना, डिजिटल कौशल बढ़ाना, नौकरी के अवसर पैदा करना और उद्योग के अनुरूप अंतर्दृष्टि विकसित करने जैसे लक्ष्य हासिल करना चाहता है। इस तरह के सुधार भारत के कारोबारी माहौल में सुधार के लिए आवश्यक हैं और आगामी बजट में इस पर प्रकाश डाले जाने की उम्मीद है।

बीओबी फाइनेंशियल के एमडी और सीईओ शैलेंद्र सिंह के अनुसार "भारत में क्रेडिट कार्ड के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है, खासकर ट्रेवल फाइनेंसिंग की मांग में पांच गुना वृद्धि हुई है। इसे देखते हुए सरकार को आगामी वित्त वर्ष 2025 के बजट में मौजूदा 20 प्रतिशत कर संग्रह (टीसीएस) से 7 लाख रुपये तक के अंतरराष्ट्रीय खर्च को छूट देने पर विचार करना चाहिए। इस प्रस्तावित उपाय का उद्देश्य सीमा पार वाणिज्य को बढ़ावा देना, उपभोक्ताओं के लिए लेन-देन संबंधी जटिलताओं को कम करना और पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्रों को प्रोत्साहित करना है। वैश्विक लेनदेन के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देकर, हमारा लक्ष्य न केवल कार्डधारक के अनुभव को बढ़ाना है, बल्कि समग्र आर्थिक विकास में भी योगदान करना है।

7. क्रिप्टोकरेंसी

भारत सरकार और केंद्रीय बैंक आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी के मसले पर फूंक-फूंक कर करम आगे बढ़ा रहा है। देश में क्रिप्टोकरेंसी को अब तक वैध दर्जा प्राप्त नहीं हैं। बड़े पैमाने पर लोग इसकी खरीद बिक्री कर रहे हैं, पर सच्चाई यह है कि इसके नियमन के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के कारण बीते कुछ समय में क्रिप्टो बाजार भारतीय निवेशकों के लिए आकर्षक नहीं रहा है। वर्तमान में क्रिप्टो के लेनदन पर 30 प्रतिशत फ्लैट कर और 1 प्रतिशत टीडीएस लगता है। क्रिप्टो बाजार में हुए नुकसान या धोखाधड़ी की भरपाई के लिए भी कोई प्रावधान नहीं है। सरकार क्रिप्टो एक्सचेंजों पर 18 प्रतिशत जीएसटी भी लेती है जो क्रिप्टोकरेंसी की खरीद और बिक्री को और महंगा बनाता है।

बाजार के जानकारों का मानना है कि इस बार सरकार को क्रिप्टो बाजार के हित में कोई सकारात्मक एलान करना चाहिए। कॉइनस्विच के सह-संस्थापक और सीईओ आशीष सिंघल कहते हैं: "जबकि पिछले साल के केंद्रीय बजट में कर लगातार क्रिप्टो के अस्तित्व को स्वीकारा गया था इस बार के बजट में इसके आसान नियमन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। प्रगतिशील कराधान नीतियों को लागू करना आवश्यक है। व्यापक नियमों की कमी के कारण क्रिप्टो बाजार प्रभावित हो रहा है। सिंघल का कहना है कि भारत को क्रिप्टो लेनदेन से जुड़े करों के बोझ को कम करके उपयोगकर्ताओं को राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र में रहने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

8. आयकर

आर्थिक मामलों के जानकारों के अनुसार, इस बार बजट में आयकर सीमा के बढ़ाने की संभावना नहीं है। प्रत्यक्ष आयकर दाताओं की संख्या पहले ही बहुत कम है, इसलिए सरकार आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर अपनी आय कम करने की बात नहीं सोचेगी। उसे लोक कल्याणकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त पैसे की भी आवश्यकता है। ऐसे में वह अपनी आय कम करने का कोई भी रास्ता नहीं अपनाएगी। हालांकि, किसी नए कर प्रस्ताव के न आने की भी संभावना हो सकती है। आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा ने अमर उजाला को बताया कि सरकार की सबसे ज्यादा आय अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से हो रही है। जीएसटी कर संग्रह लगातार 1.50 लाख करोड़ सीमा को पार कर रहा है। इसको और ज्यादा बढ़ाने से सरकार की आय में वृद्धि हो सकती है।

9. फिनटेक सेक्टर

देश के फिनटेक सेक्टर को भी इस बार के अंतरिम बजट से बहुत उम्मीदें हैं। वॉल्वो फिन के सहसंस्थापक और सीईओ रौशन शाह के अनुसार फिनटेक उद्योग भारत के आर्थिक विकास और लचीलेपन की रीढ़ है। हम उम्मीद करते हैं कि अंतरिम बजट 2024 फिनटेक की क्षमता और चुनौतियों को पहचानेगा और इसे संचालित करने के लिए समर्थन और सक्षम बनाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करेगा।बाजार के जानकारों का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने छठे बाजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं करेंगी, क्योंकि यह अंतरिम बजट है।

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