निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन अभी भारत में ही रहेंगी, गृह मंत्रालय ने निवास परमिट को बढ़ाया

Update: 2024-10-22 09:30 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के निवास परमिट को बढ़ा दिया है। उन्होंने इस कदम के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया है।

दरअसल, तस्लीमा नसरीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के माध्यम से अमित शाह से अपने रेजिडेंस परमिट को बढ़ाने को कहा था। जिसके बाद आज उनका परमिट बढ़ा दिया गया है। उन्होंने लिखा था कि पिछले 20 सालों से मैं यहां भारत रही हूं और भारत मेरा दूसरा घर रहा है। मगर गृह मंत्रालय जुलाई 22 से मेरे रेजिडेंस परमिट को आगे नहीं बढ़ा रहा है। मैं बहुत चिंतित हूं। अगर आप मुझे रहने देंगे तो मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी।

बता दें तस्लीमा नसरीन 1990 के दशक की शुरुआत में अपने निबंधों और उपन्यासों से काफी चर्चित रहीं हैं। उनके लेखन में उन्होंने ‘उन धर्मों’ की आलोचना की, जिन्हें वे ‘महिला विरोधी’ मानती हैं। तस्लीमा के 1994 में आए 'लज्जा' उपन्यास ने पूरे विश्व के साहित्यिक जगत का ध्यान आकर्षित किया था। यह पुस्तक दिसंबर 1992 में भारत में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद बंगाली हिंदुओं के खिलाफ हिंसा, रेप, लूटपाट और मर्डर के बारे में लिखी गई थी।

उनकी पुस्तक पहली बार 1993 में बंगाली में प्रकाशित हुई लेकिन बाद में बांग्लादेश में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। फिर भी प्रकाशन के छह महीने बाद इसकी हजारों प्रतियां बिक गई थीं। बताया जाता है कि इसके बाद उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं जिसकी वजह से उन्हें देश छोड़ने को मजबूर होना पड़ा।

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