बिहार: लालू की नजर में राहुल बन रहे हैं दूल्हा, तो नीतीश क्यों नहीं मान रहे? इंतज़ार करते-करते तीन मुलाकातें हुईं

Update: 2023-09-05 05:08 GMT

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (आई.एन.डी.आई. गठबंधन) की तैयारी शुरू होने से ठीक पहले बिहार में खूब सियासी ड्रामा हुआ। नीतीश कुमार सरकार के एक मंत्री ने अचानक इस्तीफा दे दिया है। सरकार ने अचानक जेडीयू के एक विधायक को मंत्री पद की शपथ दिला दी. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से इस्तीफा देने वाले दोनों मंत्रियों के पद खाली थे, उन्हें नहीं भरा गया. कांग्रेस की दो मंत्री पद की मांग धरी की धरी रह गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विपक्षी एकता की पहली बैठक के बाद यह किया जाएगा. पटना में हुई इस बैठक में जब कांग्रेस के नंबर वन नेता राहुल गांधी आये तो उन्होंने दो मंत्री पद का आश्वासन लिया. लालू ने इस बैठक को राहुल गांधी के दूल्हे के बारे में बात करके खत्म किया और मुंबई में हुई तीसरी बैठक में भी उन्होंने कांग्रेस के युवराज के प्रति जिम्मेदारी दिखाई. लेकिन, 23 जून से 05 सितंबर तक कांग्रेस की यह एक इच्छा पूरी नहीं हो सकी. जब-जब लालू-राहुल, लालू-नीतीश मिले, तब-तब कांग्रेस की उम्मीदें जगीं और फिर टूट गईं। क्यों?

क्या है मंत्री पद का गणित, कब से हो रही मांग?

जब नीतीश कुमार राजद के साथ जनादेश लेकर भाजपा के साथ मुख्यमंत्री बने तो फॉर्मूला थोड़ा अलग था, लेकिन जब एक साल पहले भाजपा के साथ 2020 का चुनाव जीतने के बाद राजद के साथ सरकार बनाई तो एक मंत्री पद के लिए चार विधायक जिम्मेदार हुए डाक। कांग्रेस को छोड़ दें तो विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से नंबर वन राजद और मुख्यमंत्री की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को उसी हिसाब से पद मिलेंगे. कांग्रेस के 19 विधायकों में से सिर्फ दो मंत्री बने. राजद में दो मंत्रियों के इस्तीफे को एक साल होने जा रहा है. दो मंत्री पद की मांग को लेकर कांग्रेस की ओर से कई बार खींचतान हो चुकी है. प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने के बाद लगातार इस एजेंडे को लेकर आवाज बुलंद कर रहे अखिलेश प्रसाद सिंह पिछली बार भी इसी सवाल पर चिढ़ गये थे.

कांग्रेस ने इसे शर्त नहीं, स्वाभाविक माना.

23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक से पहले जब हम (से) के एक मात्र मंत्री संतोष कुमार सुमन उर्फ सुमन मांझी ने इस्तीफा दे दिया, तो मुख्यमंत्री ने आनन-फानन में जदयू विधायक रत्नेश सादा को मंत्री पद की शपथ दिलायी. तब कहा गया था कि बाकी बातें विपक्षी एकता की बैठक के बाद देखी जाएंगी. बैठक में राहुल गांधी आये और कांग्रेस ने दावा किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बैठक में दो पदों को लेकर बात की है. 25 जून को ही बिहार कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा था- ''कैबिनेट में 2 सीटों की कांग्रेस की मांग स्वाभाविक है, कोई शर्त नहीं. उम्मीद है कि सीएम नीतीश कुमार इसे पूरा करेंगे. राहुल गांधी ने भी सीएम से बात की है'' "

कांग्रेस की चुप्पी के पीछे क्या है वजह?

पटना में पहली मुलाकात के बाद जब भी नीतीश-लालू की मुलाकात हुई तो माना गया कि कैबिनेट विस्तार पर चर्चा हुई. पिछले हफ्ते मुंबई में विपक्षी दलों की तीसरी बैठक हुई. इस दौरान लालू प्रसाद ने राहुल गांधी पर पूरी आस्था जताई. इससे पहले लालू ने राहुल गांधी को दिल्ली में मीसा भारती के आवास पर मटन पार्टी में भी बुलाया था. सावन के खत्म होने के बाद राहुल गांधी ने इसका वीडियो भी जारी किया था. राहुल गांधी, लालू यादव और नीतीश कुमार की मुंबई में मुलाकात हुई. मुंबई से लौटने के बाद भी लालू-नीतीश की मुलाकात हो चुकी है, लेकिन अब कांग्रेस की ओर से भी कैबिनेट विस्तार पर आवाज खामोश है. बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस आलाकमान के दखल को देखते हुए चुप रहना ही बेहतर समझ रही है. यूपीए की जगह लेने के लिए बने नए गठबंधन में राहुल गांधी की भूमिका और विपक्षी गठबंधन के नारे में कांग्रेस की झलक के बावजूद कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेता इस पर बात नहीं कर रहे हैं.|

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