सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत, 1 जून तक मिली अंतरिम जमानत

Update: 2024-05-10 08:51 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी है और 2 जून को सरेंडर करने को कहा है। बता दें कि प्रर्वतन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को उनके आवास से गिरफ्तार किया था। आज निचली अदालतों से आवश्यक कार्यवाही पूरे होने के बाद शाम तक अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते हैं।

आज सुबह से ही लोग अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर आने वाले फैसले का इंतजार कर रहे थे। जिस तरह से ईडी ने अपनी चार्ज सीट में अरविंद केजरीवाल को आरोपी बनाया था उससे यह कयास लगाया जा रहा था कि आज सुनवाई देर तक चलेगी लेकिन दोपहर 2:00 बजे के आसपास सुप्रीम कोर्ट से चौंकाने वाला फैसला आया। महज 5 मिनट की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 जून तक के लिए अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का फैसला सुना दिया। कहा जाए तो एक तरह से सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की दलीलों को दरकिनार कर दिया।

ईडी ने 7 मई की सुनवाई में भी केजरीवाल को जमानत देने का घोर विरोध करते हुए कहा था कि अगर उन्हें जमानत मिल गई तो जेल में बंद हजारों लोग जमानत की मांग करेंगे। इस पर कोर्ट ने कहा था कि 5 साल में एक बार चुनाव आता है और तमाम दलों के नेताओं को चुनाव प्रचार करने का अधिकार है, अरविंद केजरीवाल तो चुने हुए मुख्यमंत्री हैं। कोर्ट ने कहा कि वोटर को अधिकार है कि वह तमाम दलों के उम्मीदवारों को जाने और समझे और तब वोट देने पर अपनी एक राय बना सकें।

दिल्ली और पंजाब के चुनाव में आएगा रंग

जैसे ही अरविंद केजरीवाल को अंतिरिम जमानत देने का फैसला आया आम आदमी के पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ गया। अब माना जा रहा है कि केजरीवाल के बाहर आते ही दिल्ली और पंजाब की चुनाव में रंग आ जाएगा। इसके अलावा केजरीवाल देश के अन्य इलाकों में भी प्रचार करने जाएंगे।

क्या शर्ते लगाई जाएंगी

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की लिखित कॉपी आने के बाद अन्य जानकारी मिल पाएगी। अभी सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऑर्डर की कॉपी ईडी और सीबीआई की अदालत में भेजी जाएगी। बेल बांड भरा जाएगा। तब यह बात सामने आएगी कि अरविंद केजरीवाल को किन-किन शर्तों पर जमानत दी गई है। देखने की बात होगी की बाहर आने के बाद वह फाइलों पर साइन कर सकते हैं या नहीं? प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं या नहीं? सरकारी सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप कर सकते हैं या नहीं? अपनी केस के बारे में बातचीत कर सकते हैं या नहीं? कुल मिलाकर उनकी बाउंड्री लाइन तय की जाएगी।

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