केंद्र सरकार का बड़ा फैसला! जम्मू कश्मीर के एलजी को मिलेगी दिल्ली के एलजी की तरह शक्तियां, जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

Update: 2024-07-13 08:53 GMT

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल को भी अब दिल्ली के उपराज्यपाल की तरह प्रशासनिक शक्तियां मिलेंगी। यानी अब जम्मू-कश्मीर में भी सरकार बिना उपराज्यपाल की इजाजत के ट्रांसफर और पोस्टिंग नहीं कर पाएगी। इस संबंध में गृह मंत्रालय की ओर से आज नोटिफिकेशन जारी किया गया है।

गृह मंत्रालय ने उपराज्यपाल को अधिक शक्ति देने के लिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के नियमों में संशोधन किया है। गृह मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया है, जिसमें उपराज्यपाल को अधिक शक्ति देने वाली नई धाराएं शामिल की गई हैं।

सूत्रों का कहना है कि केवल व्यापार नियमों के लेनदेन में संशोधन किया गया है। इन नियमों में कुछ भी नया नहीं दिया गया है। यह पहले से ही 2019 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम में उल्लिखित है। नियमों में वर्तमान संशोधन एसआरए 2019 के मौजूदा प्रावधानों से प्रवाहित प्रकृति में एक स्पष्टीकरण मात्र है।

केंद्र के इस फैसले पर जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक है। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनावों के लिए एक शर्त है। जम्मू-कश्मीर के लोग शक्तिहीन, रबर स्टैम्प सीएम से बेहतर के हकदार हैं, जिन्हें अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए एलजी से भीख मांगनी पड़ेगी।

बता दें कि जब से जम्मू और कश्मीर का पुनर्गठन किया गया है तब से वहां चुनाव नहीं हुए हैं। जब भी जम्मू और कश्मीर में चुनाव होंगे, तो सरकार का गठन होगा और चुनी हुई सरकार से अधिक शक्तियां उपराज्यपाल के पास होंगे। यह शक्तियां वैसी ही होंगी जैसे दिल्ली के उपराज्यपाल के पास हैं। 

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