मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला! 15 वर्षीय नाबालिग को गर्भपात कराने की इजाजत नहीं

Update: 2024-07-25 11:24 GMT

जबलपुर। अब 15 वर्षीय नाबालिग गर्भपात नहीं करा सकती है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एफआईआर को संदिग्ध मानते हुए नाबालिग पीड़िता को गर्भपात की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि अदालत के आदेश पर गठित मेडिकल बोर्ड के अनुसार, लड़की 28 सप्ताह की गर्भवती है। उसकी दादी की ओर से दर्ज एफआईआर में अवधि के बारे में गलत जानकारी दी गई है।

भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज में भर्ती 15 वर्षीय नाबालिग रेप पीड़िता की तरफ से हाईकोर्ट में गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने मेडिकल बोर्ड को पीड़ित की रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किए थे। हाईकोर्ट में पेश की गई मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़िता के गर्भ में 28 सप्ताह का भ्रूण है, जिसका मतलब है कि उसका गर्भाधान साढ़े पांच से छह महीने पहले हुआ था। एमटीपी अधिनियम 24 सप्ताह से अधिक समय तक गर्भपात पर रोक लगाता है। हाईकोर्ट की अनुमति पर ही एमटीपी किया जा सकता है। इस स्थिति में गर्भपात और बच्चा पैदा करने, दोनों स्थिति में बहुत अधिक जोखिम होगा।

एकल पीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़िता की दादी के अनुसार सात अप्रैल से एक मई 2024 के बीच दुष्कर्म हुआ है। एफआईआर के अनुसार, पीड़िता के साथ तीन से चार माह के बीच दुष्कर्म हुआ है। मेडिकल रिपोर्ट से स्पष्ट है कि सात जुलाई 2024 को दादी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में अवधि के बारे में गलत जानकारी दी गई है।

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