एक बार अटल तो छह बार आडवाणी जीते, CEC रहे टीएन शेषन ने भी लड़ा चुनाव; जानें गांधीनगर सीट का इतिहास

Update: 2024-03-08 03:47 GMT

1967 के लोकसभा चुनाव में गांधीनगर लोकसभा सीट अस्तिव में आई। पहले चुनाव में यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज थी। 

गुजरात की राजधानी गांधीनगर देश के सबसे सुनियोजित शहरों में शामिल है। एक मई 1960 को जब गुजरात का गठन हुआ तब अहमदाबाद राज्य की राजधानी बनी। पांच साल बाद दो अगस्त 1965 को एक नया शहर बसाया गया। ये शहर था गांधीनगर, यही शहर राज्य की नई राजधानी बना। राष्ट्रपति महात्मा गांधी की याद को स्थायी बनाए रखने के लिए इस शहर को ये नाम मिला। अमर उजाला के विशेष चुनावी कार्यक्रम सीट का समीकरण में आज इसी शहर की गांधीनगर लोकसभा सीट की बात करेंगे। 

गांधीनगर लोकसभा सीट देश की सबसे चर्चित लोकसभा सीटों में से एक है। कई दिग्गज इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। फिलहाल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गांधीनगर से सांसद हैं। पिछले चुनाव में शाह ने यहां बड़ी जीत दर्ज की थी। आइये जानते हैं गांधीनगर सीट का चुनावी इतिहास क्या रहा है? इस सीट पर कब किसे जीत मिली? कौन-कौन से दिग्गज यहां से लोकसभा पहुंचे? मौजूदा सियासी समीकरण क्या कहता है?

1967 के चुनाव में गांधीनगर सीट अस्तिव में आई

1965 में गांधीनगर जिला बना और 1967 के लोकसभा चुनाव में गांधीनगर लोकसभा सीट अस्तिव में आई। उस वक्त यह सुरक्षित सीट थी। तब यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की और पार्टी की तरफ से उतरे एसएम सोलंकी सांसद बने। सोलंकी ने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार केयू परमार को 29,840 वोट से हरा दिया था।

1971 के लोकसभा चुनाव में भी एसएम सोलंकी को ही जीत मिली। इस बार सोलंकी ने इंडियन नेशनल कांग्रेस (आर्गेनाईजेशन) के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। एसएम सोलंकी ने इंदिरा गांधी धड़े वाली कांग्रेस के नरसिंह भाई करसन भाई मकवाना को करीबी मुकाबले में 3,502 मतों से हराया था।

आपातकाल के बाद कांग्रेस हार गई सीट

आपातकाल के बाद 1977 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो देश की ज्यादातर सीटों की तरह गांधीनगर लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस को हार मिली। उस चुनाव में भारतीय लोक दल पुरुषोत्तम के गणेश मावलंकर ने कांग्रेस के उम्मीदवार गोविन्द भाई पटेल को 60,117 मतों से शिकस्त दे दी। 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने गांधीनगर लोकसभा सीट पर फिर वापसी की। इस चुनाव में कांग्रेस के अमृत मोहनाल पटेल ने जनता पार्टी के पुरुषोत्तम गणेश मावलंकर को 49,217 वोट से हरा दिया।

1984 के आम चुनाव में कांग्रेस गांधीनगर सीट को बरकरार रखने में कामयाब रही। इस बार यहां से जीआई पटेल ने जनता पार्टी के इंदूभाई चतुरभाई पटेल को 2,754 वोटों से हराया। गांधीनगर सीट पर कांग्रेस की यह आखिरी जीत थी। तब से लेकर आज तक कांग्रेस गांधीनगर सीट पर जीत नहीं दर्ज कर सकी है।

अब आया 1989 का चुनाव। गांधीनगर की हवा बदल चुकी थी। कांग्रेस का गढ़ रही यह सीट अब भगवा रंग में रंगने को तैयार थी। ये पहला चुनाव था जब गांधीनगर लोकसभा सीट से भाजपा को जीत मिली। पार्टी के उम्मीदवार शंकर सिंह वाघेला ने यहां भाजपा की जीत का खाता खोला। उन्होंने कांग्रेस की कोकिला व्यास को 2,68,492 मतों के भारी अंतर से हराया। वाघेला बाद में गुजरात के मुख्यमंत्री भी रहे। 

आडवाणी की गांधीनगर में एंट्री

राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था। लाल कृष्ण आडवाणी गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ यात्रा लेकर निकले। यात्रा बिहार के आगे नहीं जा सकी। आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया। इन सबके बीच आडवाणी राम मंदिर आंदोलन का बहुत बड़ा चेहरा बन चुके थे। आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद देश की सत्ता बदल गई। वीपी सिंह की सरकार गिर गई। चंद्रशेखर नए प्रधानमंत्री बने। यह सरकार भी लंबी नहीं चली। 1991 में लोकसभा चुनाव हुए।

इस चुनाव में गांधीनगर सीट देश की सबसे चर्चित सीटों में शामिल हो गई। कारण लालकृष्ण आडवाणी बने। आडवाणी गांधीनगर सीट से चुनाव मैदान में उतरे। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार जीआई पटेल को 1,25,679 वोट से हरा दिया।

1991 से अब तक जितने आम चुनाव हुए हैं हर बार गांधीनगर सीट देश की सबसे चर्चित सीटों में शामिल रही है। 1991 में गांधीनगर सीट पर लालकृष्ण आडवाणी जीते तो अगले चुनाव में यहां से भाजपा के उस वक्त के सबसे बड़े चेहरे अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव मैदान में उतरे। 1996 में अटल यहां भाजपा के टिकट पर विजयी हुए। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार पोपटलाल वी. पटेल को 1,88,872 वोट के बड़े अंतर से हराया। अटल जी गांधीनगर के साथ ही लखनऊ लोकसभा सीट से भी जीते थे। नतीजों के बाद अटल जी प्रधानमंत्री बने। हालांकि, उनकी सरकार महज 13 दिन में ही गिर गई। उन्होंने सांसद के रूप में लखनऊ सीट का प्रतिनिधित्व जारी रखा और गांधीनगर सीट से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद हुए उप-चुनाव में विजय पटेल ने गांधीनगर सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा।

1998 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनावी रण में उतरे। अबकी बार आडवाणी के सामने कांग्रेस से पीके दत्ता थे। चुनाव के नतीजे आए तो भाजपा फिर गांधीनगर सीट को बरकरार रखने में कामयाब रही। आडवाणी ने कांग्रेस उम्मीदवार को 2,76,701 वोट के भारी अंतर से हरा दिया।

जब कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त रहे टीएन शेषन को उम्मीदवार बनाया

महज एक साल बाद फिर से चुनाव हुए। इस चुनाव में भी गांधीनगर सीट से लालकृष्ण आडवाणी मैदान में थे। इस बार उनके मुकाबले में एक बहुत ही चर्चित चेहरा था। कांग्रेस ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को यहां से आडवाणी के मुकाबले उतार दिया था। टीएन शेषन को 1990 के दशक में हुए चुनाव सुधारों का श्रेय दिया जाता है। जब गांधीनगर सीट पर चुनावी मुकाबला हुआ तो शेषन को 1,88,944 वोट से हार का सामना करना पड़ा। आडवाणी ने तीसरी बार गांधीनगर सीट पर जीत दर्ज की। 2004 आडवाणी ने कांग्रेस के गभाजी मंगाजी ठाकोर को 2,17,138 वोट से हराया। तो 2009 में आडवाणी ने कांग्रेस के सुरेश पटेल को 1,21,747 वोटों मात दी। 2009 में आडवाणी भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का चेहरा थे। हालांकि, पार्टी को उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिलीं और आडवाणी पीएम इन वेटिंग ही रह गए।

2014 तक आडवाणी का रहा दबदबा

2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में भी गांधीनगर सीट से लालकृष्ण आडवाणी मैदान में उतरे। उन्होंने कांग्रेस के किरीटभाई ईश्वरभाई पटेल को 4,83,121 मतों के विशाल अंतर से शिकस्त दी। 

2019 में अमित शाह के नाम रही सीट

पिछले चुनाव में गांधीनगर सीट पर भाजपा ने उस वक्त पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को टिकट दिया। अमित शाह के लिए गांधीनगर पहले से सियासी रूप से काफी पहचानी जगह थी। लालकृष्ण अडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी जब-जब गांधीनगर लोकसभा से चुनाव लड़े तो उनके चुनाव प्रबंधन का दायित्व अमित शाह ने ही संभाला था। आडवाणी के लोकसभा चुनाव के प्रबंधन का यह दायित्व उन्होंने 2009 तक संभाला।

1997 से 2017 तक गुजरात के विधायक रहे अमित शाह ने 2019 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा। चुनाव नतीजे आए तो शाह को गांधीनगर से प्रचंड जीत मिली। लगभग 69.58 फीसदी वोट हासिल करने वाले अमित शाह यह चुनाव 5,57,014 वोटों के अंतर से जीते। दूसरे नंबर पर कांग्रेस से डॉ. सीजे छावड़ा रहे। 2019 में दोबारा सत्ता में लौटी भाजपा सरकार में अमित शाह गृहमंत्री बनाए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2021 में जब सहकारिता मंत्रालय का गठन किया तो अमित शाह को सहकारिता मंत्री का दायित्व भी मिला।

इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भी भाजपा ने गांधीनगर सीट से अमित शाह को टिकट दिया है। शाह के ऊपर गांधीनगर सीट पर एक बार फिर भगवा लहराने का जिम्मा होगा। गांधीनगर लोकसभा सीट के मौजूदा समीकरण को देखें तो गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें आती हैं। 2022 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यहां से भाजपा के विजय रथ को रोकना विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती होगी।

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