बवाल का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक दिल्ली से गिरफ्तार, हिरासत में 60 से ज्यादा लोग
हल्द्वानी में बीती आठ फरवरी को अतिक्रमण हटाने के दौरान हिंसा की घटना हो गई थी। जिसके बाद से पुलिस घटना में शामिल लोगों की पहचान कर कार्रवाई में जुटी है।
उत्तराखंड में हल्द्वानी के बनभूलपुरा में मलिक के बगीचे में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुए बवाल के मास्टरमाइंड बताए जा रहे अब्दुल मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, दिल्ली और उत्तराखंड पुलिस की संयुक्त टीम ने मलिक को दिल्ली में गिरफ्तार किया है। हालांकि अभी पुलिस अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
वहीं, पुलिस अभी तक धरपकड़ करते हुए 60 से ज्यादा लोगों को हिरासत में ले चुकी है। सर्च ऑपरेशन चलाकर दो निर्वतमान पार्षद समेत पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, बताया जा रहा है कि अब्दुल मलिक को भी आज पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है।
हल्द्वानी में बंद इंटरनेट सेवा बहाल
हल्द्वानी में हिंसा की घटना के बाद से बंद इंटरनेट सुविधा आज रविवार को बहाल कर दी गई है। उत्तराखंड पुलिस ने अपने एक्स पेज पर पोस्ट करते हुए लिखा 'यदि कोई भी व्यक्ति सांप्रदायिक सौहार्द एवं कानून व्यवस्था को प्रभावित करने संबंधी भड़काऊ पोस्ट, फोटो, वीडियो या कमेंट सोशल मीडिया में प्रसारित करेगा उसके विरुद्ध कठोर वैधानिक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।'
बनभूलपुरा को छोड़कर शेष जगह से कर्फ्यू हटा
प्रशासन ने प्रभावित इलाकों को छोड़कर शहर के शेष हिस्से से कर्फ्यू हटा लिया है। डीएम वंदना ने बताया कि संपूर्ण बनभूलपुरा क्षेत्र आर्मी (कैंट) वर्कशॉप लाइन, तिकोनिया- तीनपानी गौलापार बाईपास का क्षेत्र छोड़कर पूरे शहर को कर्फ्यू मुक्त कर दिया गया है। कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्रों में प्रशासन की टीम दूध, राशन और दवा पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है।
जमीन की देखरेख करते-करते मलिक बन बैठा मालिक
जिस भूमि पर विवाद चल रहा है। उस जमीन पर कई पेच हैं। जमीन किसी और को कृषि कार्य के लिए मिलती है। इसे किसी और को बेचा जाता है। बाद में जमीन अब्दुल मलिक के पिता को उपहार में मिल गई। इसके बाद ये जमीन मलिक के पास आ जाती है। बनभूलपुरा क्षेत्र में रहने वालों का दावा है कि कॉलोनियल सरकार ने मोहम्मद यासीन को वर्ष 1937 में यह जमीन कृषि के लिए लीज पर दी थी। अब्दुल मलिक और सफिया मलिक इस संपत्ति की देखरेख कर रहे थे। सफिया मलिक के वकील ने नगर निगम के 30 जनवरी को ध्वस्तीकरण संबंधित नोटिस के खिलाफ छह फरवरी को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।