एक मेल ने खोली मणिपुर मामले की पोल, NCW पर उठे कई सवाल
मणिपुर (Manipur) में हुए यौन उत्पीड़न के मामले में अब एक नई जानकारी सामने आई है । मिली जानकारी के अनुसार इस घटना के बारे में 12 जून को ही राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) को मेल के द्वारा जानकारी दी गई थी | पर उस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया शिकायत में कई मामलों के बारे में जानकारी दी गई है| जिसमें 4 मई को हुई इस घटना के बारे में डिटेल में बताया गया है महिला आयोग को मणिपुर (Manipur) की दो महिलाओं और राज्य के आदिवासी संगठन द्वारा जानकारी भेजी गई थी | पर इस मेल पर एनसीडब्ल्यू (NCW) द्वारा कोई जांच नहीं की । गई अब जब मामला सबके सामने आ चुका तब जाकर महिला आयोग द्वारा एक ट्वीट किया गया है ।
ट्वीट में महिला आयोग द्वारा लिखा गया है कि एनसीडब्ल्यू मणिपुर घटना की निंदा करता है मामले में स्वत संज्ञान लेते हुए मणिपुर के डीजीपी को तुरंत उचित कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।
क्या कुछ कहा गया है शिकायत में
मेल में साफ तौर पर कहा गया है कि 4 मई को कांगपोकपी जिले के एक गांव की 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया पीटा गया और दंगाई भीड़ ने उनका सार्वजनिक रूप से रेप किया|
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 3 मई को एक यूनिवर्सिटी में महिला छात्रों को उनके हॉस्टल से बाहर निकालकर भीड़ ने परेशान किया और दुर्व्यवहार किया साथ कुकी महिलाओं को मार डालो ऐसे नारे भी लगाए|
आरोप लगाए गए हैं कि 4 मई को राज्य के एक नर्सिंग इंस्टिट्यूट में 22 साल की छात्रा को लगभग 40 लोगों की मैतेई भीड़ ने परेशान किया और हमला किया|
मेल में यह भी लिखा गया है कि 5 मई को करीब 20 साल की 2 महिलाओं के साथ रेप किया गया और उनकी हत्या कर दी गई।
इसके अलावा 6 मई को 45 साल की विधवा महिला को भीड़ ने कथित तौर पर बेरहमी से मार डाला आरोप है कि पहले उसे गोली मारी गई फिर जला दिया गया।
शिकायत में एक 15 साल की बच्ची के अपहरण की भी जानकारी है इसमें लिखा गया है कि उसके मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हुई है।
मणिपुर हिंसा में दो महिलाओं पर हुए अत्याचार का एक वीडियो सामने आया है पर इसके अलावा ऐसे कई मामले इस मेल के द्वारा बताए गए जिस पर एनसीडब्ल्यू द्वारा कोई भी एक्शन नहीं लिया गया महिला आयोग दरअसल महिलाओं की मदद के लिए बनाया गया था ।पर इस तरह से जानकारी मिलने के बावजूद आयोग की चुप्पी उनके कामकाज पर सवाल खड़े करती है । महिला आयोग ने अगर समय रहते एक्शन लिया होता तो शायद परिणाम कुछ और हो सकते थे मणिपुर की हिंसा को हुए 3 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है । पर अब तक ना यह हिंसा शांत हो रही है ना ही महिलाओं पर हो रहा अत्याचार कम हो रहा है देखना होगा आने वाले समय में केंद्र सरकार द्वारा कोई बड़े कदम उठाए जाएंगे या नहीं।