पनामा का बड़ा फैसला: बेल्ट एंड रोड योजना से अलगाव, अमेरिका के साथ नया गठजोड़
नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद चीन की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। अमेरिका ने चीन से आयात पर 10% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है। इसी बीच, पनामा ने चीन को बड़ा झटका देते हुए उसकी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से अलग होने का फैसला किया है।
पनामा का चीन से अलगाव
पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने घोषणा की कि उनका देश BRI को नवीनीकृत नहीं करेगा। पनामा वर्ष 2017 में इस योजना का हिस्सा बना था, लेकिन अब वह इससे अलग हो रहा है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप इस मुद्दे पर पनामा पर लंबे समय से दबाव बना रहे थे। ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि पनामा नहर से गुजरने वाले चीनी जहाजों पर कम टैक्स लगाया जाता है, जबकि अमेरिकी जहाजों पर अधिक शुल्क लिया जाता है।
अमेरिका के साथ बढ़ता सहयोग
राष्ट्रपति मुलिनो ने स्पष्ट किया कि पनामा अब अमेरिका के साथ मिलकर इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश प्रोजेक्ट्स पर काम करेगा। इसके तहत पनामा पोर्ट्स कंपनी का ऑडिट भी किया जाएगा। इस निर्णय के पीछे एक अहम कारण अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की पनामा यात्रा को माना जा रहा है।
अमेरिका की चेतावनी
रुबियो ने राष्ट्रपति मुलिनो से मुलाकात के दौरान पनामा नहर पर चीन के प्रभाव को कम करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने पनामा को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उसने जरूरी कदम नहीं उठाए, तो अमेरिका अपने अधिकारों की रक्षा के लिए स्वयं कदम उठाएगा।
पनामा नहर का महत्व
पनामा नहर 82 किलोमीटर (51 मील) लंबा जलमार्ग है, जो अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है। पनामा नहर का शॉर्टकट, अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच जहाजों के यात्रा समय को बहुत कम कर देता है।
कोलंबिया, फ्रांस और अमेरिका ने इस नहर के आस पास के क्षेत्र के निर्माण का काम शुरू किया। फ्रांस ने सन् 1881 में नहर पर काम शुरू किया। हालांकि, बाद में निवेशकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1889 में फ्रांस ने काम रोक दिया।
पनामा का यह कदम चीन के लिए बड़ा झटका है और अमेरिका की बढ़ती पकड़ को दर्शाता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस निर्णय का वैश्विक व्यापार और कूटनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।