पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के विरोध में लहराए फलीस्तीनी झंडे, विश्व हिन्दू परिषद ने सरकार पर साधा निशान

विनोद बंसल ने उठाया सवाल, सड़क पर खुलेआम इस्लामी कट्टरपंथियों का उपद्रव होता रहा और वहां का शासन प्रशासन सोता रहा, आखिर क्यों?;

By :  Aryan
Update: 2025-04-11 12:12 GMT

कोलकाता। पूरे देश में वक्फ कानून लागू हो चुका है। इस कानून का जमकर राजनीतिक विरोध हुआ, लेकिन इसके बावजूद भी यह कानून संवैधानिक तौर पर पूरे देश में लागू हो चुका है। कई जगहों पर इस नए अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शनों का दौर जारी है। पश्चिम बंगाल में भी इस अधिनियम के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के हजारों लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया।

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने जमकर हंगामा काटा। बसों पर चढ़कर उन्होंने फलीस्तीनी और इस्लामी झंडे लहराए। उनकी इस हरकत ने एक बार फिर माहौल को बढ़ाने का काम किया। ऐसे में ममता दीदी की सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने इन सभी की भारी निंदा की है।

विनोद बंसल ने ममता पर साधा निशाना

प्रदर्शन में फहराए गए फलीस्तीनी और इस्लामी झंडों के मामले पर विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने निंदा करते हुए ट्वीट कर ममता सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा है- जरा ध्यान से देखिए...यह दृश्य की इस्लामी देश का नहीं, भारत के पश्चिम बंगाल का है जहां वक़्फ़ अधिनियम का कट्टरपंथी मुसलमान विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। कई वाहनों व सरकारी बसों को रोक कर यात्रियों को जबरदस्ती बस से उतार दिया गया। इसके बाद बस की छत पर चढ़कर फलीस्तीनी और इस्लामी झंडा लहराया गया। इनको न किसी पुलिस का डर है न प्रशासन का, इन्हें ना किसी पूर्व अनुमति की जरूरत और ना ही इन पर अधिकतम संख्या की कोई सीमा लागू होती है, ना हथियारों की रोकटोक है और ना ही कोई पूछने वाला, किसी भी गाड़ी को रोक लो और किसी को कैसे भी ठोक दो...!!

किसने किया इस कानून का विरोध

इस नए वक्फ अधिनियम को लेकर राजनीतिक दलों में भारी नाराजगी है। कई दलों ने इसका भारी विरोध किया है। जिनमें कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, AIMIM समेत कई मुस्लिम संगठन शामिल है। कांग्रेस समेत कई दल इस नए अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं।

सरकार को ऐसे जिहादी कट्टरपंथियों के खिलाफ शिकंजा कसने को कहा

विनोद बंसल ने राज्य सरकार को जिहादी कट्टरपंथियों के बंगाल को बांग्लादेश बनाने के मंसूबों को समझकर इन पर शिकंजा कसने को कहा है। साथ ही ट्वीट में उन्होंने कहा कि सड़क पर खुलेआम इस्लामी कट्टरपंथियों का उपद्रव होता रहा और वहां का शासन प्रशासन सोता रहा, आखिर क्यों?प्रदर्शन में फिलिस्तीनी और इस्लामी झंडा तो लाएंगे किंतु तिरंगे को नहीं लहराएंगे!

जिहादियों के प्रदर्शन क्या बिना हिंसा व आगजनी के नहीं हो सकते? संसद द्वारा बने जिस कानून से गरीब मुसलमानों का ही भला होने वाला है उसके विरुद्ध राज्य सरकार व विपक्षी नेता इन जिहादियों को कब तक भड़काते रहेंगे? जब मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है तो क्या इन्हें निर्णय की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए? न्यायालय को भी स्वत: संज्ञान लेकर इन हिंसक प्रदर्शनों पर क्या रोक नहीं लगानी चाहिए?

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