चंद्रमा पर एकदम छोटू सा दिख रहा चंद्रयान 3 का विक्रम लैंडर , ISRO ने जारी की तस्वीर

Vikram lander of Chandrayaan 3 looks very small on the Moon, ISRO released picture

Update: 2023-09-06 11:41 GMT

चंद्रयान-3' मिशन के दौरान चंद्रमा और इस पर मौजूद चीजों को 3D इफैक्ट में देखने के लिए प्रज्ञान रोवर के जरिये खास 'एनाग्लिफ' (Anaglyph) विधि अपनाई गई. इसरो ने आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक तस्वीर जारी करते हुए यह जानकारी दी.इसके साथ ही भारत यह करिश्‍मा करने वाला पहला देश बन गया।बताया जा रहा है कि नासा ने 27 अगस्‍त को इस फोटोग्राफ को क्लिक किया था जब लैंडर रैंप पर मौजूद था। भारत ने 14 जुलाई को चंद्रयान 3 मिशन लॉन्‍च किया था। इस मिशन की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत पहला देश बन गया जिसने साउथ पोल पर लैंड करने में सफलता हासिल की

नासा की वेबसाइट से पता चला !

यह फोटो नासा के लूनर रीकानिसन्स ऑर्बिटर यानी एलआरओ से क्लिक की गई है। चंद्रमा के सतह से ली गई इस फोटो के बारे में नासा ने अपनी वेबसाइट पर भी लिखा है। नासा ने बताया है कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 600 किलोमीटर दूर है। लैंडिंग के चार दिन बाद एलआरओ ने लैंडर का एक तिरछा दृश्य यानी 42 डिग्री स्लीव कोण हासिल किया। लैंडर के चारों ओर का चमकीला वातावरण रॉकेट की लपटों के महीन-दानेदार रीगोलिथ (मिट्टी) की वजह से हुआ है। नासा ने पांच सितंबर को यह फोटोग्राफ शेयर की है


https://twitter.com/isro/status/1699039768053706764?s=20

क्या कहा इसरो ने?

इसरो ने बताया, ''स्टीरियो या मल्टी-व्यू छवियों से तीन आयामों में ऑब्जेक्ट या इलाके को एक सरल दृश्य में देखना एनाग्लिफ है. यहां दिखाया गया एनाग्लिफ NavCam स्टीरियो छवियों का उपयोग करके बनाया गया है, जिसमें प्रज्ञान रोवर से खींची गई बायीं और दायीं दोनों इमेज शामिल हैं.''

इसरो ने बताया कि इस 3-चैनल इमेज में बाईं इमेज लाल चैनल में है, जबकि दाहिनी इमेज नीले और हरे चैनल (सियान बनाते हुए) में रखी गई है. इन दोनों इमेज के बीच परिप्रेक्ष्य (Perspective) में अंतर के कारण स्टीरियो प्रभाव उत्पन्न होता है जो तीन आयामों का दृश्य प्रभाव देता है. 3डी में देखने के लिए लाल और सियान चश्मे की सलाह दी जाती है. NavCam को LEOS/ISRO की ओर से विकसित किया गया है. डाटा प्रोसेसिंग SAC/ISRO की ओर से की जाती है

क्‍या है नासा का LRO

नासा ने बताया है कि एलआरओ को गॉडर्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में ग्रीनबेल्ट, मैरीलैंड में साइंस मिशन डायरेक्‍टोरेट की तरफ से मैनेज किया जाता है। नासा के जिस एलआरओ ने विक्रम लैंडर की फोटो ली है उसे 18 जून 2009 को लॉन्च किया गया था।

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