घाटी में पारा शून्य से नीचे चला गया, फिर भी कश्मीर बर्फबारी के लिए तरस रहा है; पर्यटकों की निराशा से दिल टूट गया

Update: 2024-01-08 10:23 GMT

Weather in Gulmarg: कश्मीर चिलाई-कलां के 40 दिन के भीषण ठंड के मौसम से गुजर रहा है. मौसम विभाग ने न तो बारिश और ना ही बर्फबारी की भविष्यवाणी की है. दिसंबर और जनवरी के महीने में कश्मीर के इस असामान्य मौसम ने न केवल उन पर्यटकों को निराश किया है जो यहां आ रहे हैं बल्कि कश्मीर के स्थानीय लोग भी चिंतित हैं.

बर्फबारी या भारी बर्फ जमा होने को देखने के लिए पर्यटक हजारों की संख्या में कश्मीर पहुंचे हैं. खासकर गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग में, जहां आज तक बर्फ जमा नहीं हुई है. लेकिन पर्यटक अभी भी कड़ाके की ठंड और जमी हुई डल झील का आनंद ले रहे हैं. लेकिन बर्फ ना होने के कारण निराश जरूर हैं.

टूरिस्ट्स के टूटे दिल

एक टूरिस्ट विपिन ने कहा, 'हमें उम्मीद थी कि अधिक ठंड होगी, हमने बर्फबारी देखने के लिए बुकिंग की थी लेकिन बर्फबारी नहीं हुई. मैंने कई जमी हुई झीलें देखी हैं लेकिन यह एक अलग अनुभव है.'

कुसुम ने कहा, 'यह मेरा पहला मौका है जब हमने बर्फ देखने की योजना बनाई थी लेकिन मैं थोड़ी निराश हूं लेकिन फिर भी जमी हुई झील देखना अच्छा है.' रवीना जैन ने कहा, 'यहां बहुत ठंड है लेकिन हम बर्फ देखने आए थे, हम बर्फ देखना चाहते थे, थोड़ा निराश हैं लेकिन हमें यह जमी हुई झील बहुत पसंद है.' रोहन ने कहा, हमें यह पसंद है लेकिन हम बर्फ देखना चाहेंगे, हम बर्फ देखने के लिए गुलमर्ग जाएंगे, हम निराश हैं.

बर्फबारी न होने से लोग भी चिंतित

स्थानीय लोग भी इस असामान्य मौसम को लेकर चिंतित हैं. कश्मीर के हिल स्टेशनों पर भारी बर्फबारी होती थी और बर्फ जमा हो जाती थी, लेकिन आज कोई बर्फ नहीं है. यह भी मुख्य कारण है कि हर गुजरते दिन के साथ तापमान गिर रहा है और बर्फबारी ना होने के कारण पर्यटकों की संख्या कम होती जा रही है.

स्थानीय शख्स जहूर अहमद ने कहा, इस साल बहुत ठंड है, बर्फ नहीं पड़ रही है, झील जम गई है. हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अगर बारिश या बर्फबारी होती है तो कुछ राहत मिलेगी, लगता है खुदा भी हमसे नाराज हैं.

तापमान शून्य से नीचे लेकिन कहां है बर्फ?

स्थानीय पर्यटक गाइड शब्बीर अहमद ने कहा, इस साल बहुत ठंड है. कोई बर्फबारी नहीं हुई, जिस कारण तापमान शून्य से नीचे चला गया और झील भी जम गई. हमें लकड़ियों से झील पर बर्फ तोड़नी पड़ती है. झील पूरी तरह से जमी हुई है. इस साल पर्यटकों की आमद अच्छी थी लेकिन बर्फबारी नहीं हुई और अब संख्या कम है. बर्फबारी न केवल पर्यटकों के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी जरूरी है.'

Tags:    

Similar News