आया सावन झूम के... सोम से शुरू सोम पर खत्म... पार्वती ने क्या पाया सावन में ?

Update: 2024-07-16 07:32 GMT

-सावन मास में भक्तों को पांच सोमवार को भगवान का जलाभिषेक करने का मौका मिलेगा

नेहा सिंह तोमर

गाजियाबाद। इस बार का सावन मास बहुत ही खास है क्योंकि सावन की शुरुआत और समाप्ति दोनों ही सोमवार से होगी। सावन मास 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और 19 अगस्त तक चलेगा। इस बार सावन मास में 5 सोमवार पड़ेंगे।

श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि सावन मास 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और 19 अगस्त तक चलेगा। वहीं श्रावण शिवरात्रि 2 अगस्त को है। इस बार का सावन मास खास है क्योंकि सावन की शुरुआत सोमवार से होगी और समाप्ति भी सोमवार को ही होगी। इस बार सावन मास में 5 सोमवार पड़ेंगे। सावन मास भगवान शिव एवं माता पार्वती को समर्पित है। भगवान शिव को यह महीना बहुत ही प्रिय है। इसी कारण इस मास में उनकी पूजा-अर्चना करने से हर प्रकार का कष्ट दूर हो जाता है। सावन मास में हरियाली ही नहीं भक्ति भी झूम उठती है। वैसे तो पूरे सावन मास का ही बहुत महत्व है, मगर इसमें भी सोमवार व श्रावण शिवरात्रि का विशेष फल है। श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ का पूजन-अर्चना करने तथा जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, जप आदि करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

भगवान शिव को यह माह क्यों है प्रिय

इस मास में माता पार्वती ने तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसी कारण भगवान शिव को यह मास विशेष प्रिय है और भगवान शिव के साथ शक्ति यानी माता पार्वती की भी पूजा-अर्चना की जाती है। हमारे शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के समय समुद्र से निकले हलाहल विष को विश्व कल्याण के लिए भगवान शिव ने अपने गले में धारण किया तो उनके गले में जलन होने लगी, तब सभी देवताओं ने उनका जलाभिषेक किया तो विष का प्रभाव कम हो गया। तभी से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक करने की परम्परा चली आ रही है।

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