भारत और युगांडा से ऑपरेट हो रहा था वसूली का 'कॉल सेंटर', द‍िल्‍ली पुल‍िस ने FBI संग म‍िल क‍िया इंटरनेशनल स‍िंड‍िकेट का पर्दाफाश

Update: 2023-06-19 13:24 GMT

दिल्ली --द‍िल्‍ली पुलिस  की स्पेशल सेल ने अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई  के साथ म‍िलकर एक्‍सटॉर्शन के एक इंटरनेशनल स‍िंड‍िकेट का पर्दाफाश क‍िया है. इस ऑपरेशन में 4 संद‍िग्‍धों को ग‍िफ्तार क‍िया गया है ज‍िन्‍होंने अमेर‍िकी नागर‍िकों से पैसे वसूलने का इंटरनेशनल रैकेट चलाया हुआ था. इस रैकेट के दो और अन्‍य सदस्‍य भी जांच एजेंस‍ियों के रडार पर हैं ज‍िनको अमेर‍िका और कनाडा  से ग‍िरफ्तार क‍िया गया है. इंटरनेशनल एक्‍सटॉर्शन के इस पूरे मामले में 6 लोगों की ग‍िरफ्तार‍ियां हुई हैं. पुल‍िस ने चारों संद‍िग्‍धों को पटियाला हाउस कोर्ट में भी पेश क‍िया है जहां उनको 5 द‍िन की पुल‍िस ह‍िरासत में भेज द‍िया गया है. स्‍पेशल सेल और एफबीआई ने इस स‍िंड‍िकेट द्वारा अब तक पीड़‍ितों से करीब 20 म‍िल‍ियन डॉलर वसूलने का अनुमान लगाया है. द‍िल्‍ली पुल‍िस के स्‍पेशल सीपी एचजीएस धालीवाल के मुताब‍िक आरोपियों की पहचान गिरोह के सरगना गुजरात के अहमदाबाद निवासी वत्सल मेहता (29) व पार्थ अरमारकर उर्फ उत्तम ढिल्लों (28), दिल्ली निवासी दीपक अरोड़ा (45) और प्रशांत कुमार (45) के रूप में हुई है. आरोपी भारत के अलावा युगांडा में कॉल सेंटर चलाकर वसूली कर रहे थे. आरोपी खुद को यूएस इंटरनल रेवेन्यू सर्विस, सोशल सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन, ड्रग इंफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन के अलावा दूसरी एजेंसियों का सदस्य बताकर अमेरिका के लोगों को कार्रवाई के नाम पर डराकर मोटी रकम वसूलते थे.एफबीआई ने 50 से ज्यादा पीड़ितों से पूछताछ की और दिल्ली पुलिस ने उनमें से दो से वीडियो कॉल पर बात भी की थी. स्पेशल सेल के स्‍पेशल सीपी धालीवाल ने बताया कि कुछ समय से दिल्ली पुलिस लगातार विदेशी जांच एजेंसियों के सहयोग से देश-विदेश में कार्रवाई कर रही थी. इसी कड़ी में दिसंबर 2022 में 4 आरोपियों को दिल्ली, एक-एक को कनाडा और अमेरिका से गिरफ्तार किया गया था.स्‍पेशल सीपी धालीवाल ने कहा क‍ि मुख्य संदिग्ध की पहचान पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी के वत्सल मेहता के रूप में हुई है. उसका सहयोगी अहमदाबाद का पार्थ अरमरकर है. इन दोनों को दबोचा जा चुका है.स्पेशल सीपी धालीवाल ने कहा क‍ि मुख्य संदिग्ध की पहचान पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी के वत्सल मेहता के रूप में हुई है. उसका सहयोगी अहमदाबाद का पार्थ अरमरकर है. इन दोनों को दबोचा जा चुका है.धालीवाल की टीम का एफबीआई के साथ यह तीसरा ऑपरेशन बताया जाता है. उन्होंने इससे पहले पश्चिमी दिल्ली से ऐसे ही एक रैकेट का भंडाफोड़ किया था. वांछित गैंगस्टर दीपक बॉक्सर को भी एफबीआई की मदद से मेक्सिको से पकड़ा गया था.जांच एजेंस‍ियों के बीच बने तालमेल के तहत अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई और इंटरपोल ने दिल्ली पुलिस को सूचना दी क‍ि यूएस नागरिकों को ठगने वाला गिरोह युगांडा में सक्रिय है जिसके सदस्य भारतीय हैं. आरोपी लगातार युगांडा और भारत आते-जाते रहते हैं. युगांडा और भारत में कॉल सेंटर के जरिये विदेशी नागरिकों को डराकर वसूली की जाती है. सूचना के बाद स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलिजेंस व इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस  यूनिट में तैनात एसीपी जय प्रकाश, इंस्पेक्टर अवधेश और एसआई हरजीत की टीम ने छानबीन शुरू कर दी.सके बाद मेहता और अरमारकर और दो अन्य दीपक अरोड़ा और प्रशांत कुमार पुल‍िस के हत्‍थे चढ़ गए ज‍िनको उत्‍तराखंड से ग‍िरफ्तार क‍िया गया है. यह सभी अन्य जगहों से गिरोह के लिए काम करते थे. जांच एजेंस‍ियों को चकमा देने और पकड़ में नहीं आने देने के ल‍िए संदिग्धों ने युगांडा और भारत के बीच यात्रा की.धालीवाल ने कहा क‍ि संदिग्धों ने पीड़ितों से संपर्क किया और दावा किया कि उन्हें बाल पोर्नोग्राफी या मादक पदार्थों की तस्करी में फंसाने वाले वीडियो और सबूत मिले हैं.एचजीएस धालीवाल का कहना है कि गिरोह के सदस्य पूरे अमेरिका में सक्रिय हैं. आरोपी लोगों को डराकर डॉलर, ऑनलाइन, क्रिप्टो या सोने के जरिये वसूली करते हैं. गिरोह के सदस्य पीड़ितों के पास जाकर भी वसूली कर लेते हैं. बाद में वसूली की रकम को हवाला से विदेश भेजा जाता है.इस स‍िं‍ड‍िकेट को चलाने वाले आरोपी श‍िकार तलाशने के ल‍िए फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर सहित अन्य सोशल मीडिया का भी सहारा लेते थे. इसके अलावा डार्कनेट का भी सहारा लिया जाता है जो लोग चाइल्ड पोर्नोग्राफी की वेबसाइट पर जाने के अलावा नशे या दूसरे अवैध धंधों से जुड़े हैं. अक्सर इनकी तलाश डार्क नेट पर रहती है. गिरोह की रिसर्च टीम ऐसे लोगों की पहचान करती है. इसमें भी पैसे वाले लोगों की तलाश की जाती है.वॉशिंगटन इंटरपोल के निदेशक के रूप में एक आरोपी ने खुद को क‍िया था पेश ,एक्‍सटॉर्शन मनी वसूलने के ल‍िए आरोपी उत्‍तम ढ‍िल्‍लों खुद को वॉशिंगटन इंटरपोल के निदेशक और ड्रग इंफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (डीईए) का वरिष्ठ अधिकारी के रूप में अपने को पेश करता है. आरोपी के इस परिचय से घबराकर नशा के कारोबारी और चाइल्ड पोर्नोग्राफी करने वाले लोग आसानी से मोटी रकम देने को तैयार हो जाते हैं.CBI ने भी इंटरपोल से समन्‍वय बनाने में मदद की कुछ पीड़ितों ने अमेरिका में अपने संबंधित क्षेत्रों में पुलिस से संपर्क किया. मामला डीईए और एफबीआई के ध्यान में लाया गया था. निगरानी ने सुझाव दिया कि संदिग्ध भारत में रह रहे थे जिसके बाद विशेष सेल से संपर्क किया गया था. सीबीआई के माध्यम से इंटरपोल ने भी समन्वय में मदद की है.एफबीआई ने संदिग्धों पर तकनीकी साक्ष्य और जानकारी साझा की जिसके बाद उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लुक-आउट नोटिस जारी किए गए. पुलिस ने सबसे पहले अहमदाबाद में अरमारकर को पकड़ा और वह पुलिस को अन्य लोगों तक ले गया.

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