दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर विकसित किया जा रहा प्रभावी वर्षाजल संचयन तंत्र

Update: 2024-06-03 11:14 GMT

दिल्ली से मेरठ तक बनाए जाएंगे 900 से ज्यादा वर्षाजल संचयन पिट्स, 75 प्रतिशत से ज्यादा कार्य पूर्ण

नई दिल्ली। दिल्ली से मेरठ के बीच बन रहे देश के पहले आरआरटीएस कॉरिडोर पर वैश्विक पर्यावरण लक्ष्यों के अनुरूप वर्षा जल संचयन के लिए प्रभावी तंत्र तैयार किया जा रहा है। इसके तहत दिल्ली के सराय काले खां से लेकर मेरठ के मोदीपुरम तक के एलिवेटेड वायडक्ट, स्टेशनों और डिपो में 900 से ज्यादा वर्षाजल संचयन पिट्स बनाए जा रहे हैं। इनमें से लगभग 75 प्रतिशत से ज्यादा का काम पूरा हो चुका है और बाकी का कार्य प्रगति पर है। इन पिट्स के जरिए लाखों क्यूबिक मीटर ग्राउंड वॉटर रिचार्ज होने की अपेक्षा है।

कॉरिडोर के एलिवेटेड हिस्से में बनाए जा रहे ये वर्षा जल संचयन पिट्स एलिवेटेड वायाडक्ट स्पैन पर इस तरीके से बनाए जाते हैं, जिससे वर्षा-जल का अपने वास्तविक रूप में संग्रहण किया जा सके। चूंकि आरआरटीएस कॉरिडोर का ज्यादातर हिस्सा सड़क मार्ग के बीच से होकर जाता है, इसलिए यह पिट्स अधिकतर सड़क के बीच में मीडियन पर बनाए जा रहे हैं।

वहीं स्टेशनों पर भी प्रत्येक प्रवेश-निकास द्वारों के पास 2-2 वर्षा जल संचयन पिट्स विकसित किए जा रहे हैं। इस कॉरिडोर पर ट्रेनों के रखरखाव और संचालन के लिए दो डिपो होंगे। एक डिपो दुहाई, गाजियाबाद में बनकर तैयार हो चुका है और दूसरा मोदीपुरम मेरठ में निर्मित किया जा रहा है। दुहाई डिपो में 20 से ज्यादा वर्षा जल संचयन पिट्स बनाए गए हैं।

आरआरटीएस कॉरिडोर पर 34 किमी के सेक्शन में साहिबाबाद से मोदी नगर नॉर्थ तक नमो भारत ट्रेनों का संचालन जनता के लिए शुरू हो चुका है। इस सेक्शन में वर्षा जल संचयन पिट्स तैयार हो चुके हैं और सक्रिय कर दिए गए हैं। इसके साथ ही कॉरिडोर के अन्य हिस्सों के निर्माण के साथ-साथ इनका निर्माण कार्य प्रगति पर है।

 

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