दिल्ली: जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में खत्म होगा सर्जरी का इंतजार, सर्जन बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू

Update: 2023-09-13 08:06 GMT

पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सर्जरी का इंतजार जल्द खत्म हो सकता है। अस्पताल में रोजाना 1500 से अधिक मरीज आते हैं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे मरीज शामिल हैं जिन्हें विशेष सर्जरी की आवश्यकता होती है। लेकिन विभागों में सर्जनों की कमी के कारण उन्हें जीबी पंत समेत अन्य अस्पतालों में रेफर किया जाता है।

वर्तमान में जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सीटीवीएस विभाग में एक सर्जन हैं। जो केवल छोटी-मोटी ओटी सेवाएं ही मुहैया करा रहे हैं। यह दिल्ली सरकार का दूसरा सबसे बड़ा विशेषज्ञ सेवाएं प्रदान करने वाला अस्पताल है। इसके अलावा जीबी पंत में विशेष विभाग की सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली में हृदय, मूत्र, किडनी और न्यूरो संबंधित विभाग के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

इस संबंध में अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विभिन्न विभागों में करीब 20 सर्जनों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. अस्पताल में जल्द ही सर्जन लाने का प्रयास किया जा रहा है। सीटीवीएस, यूरोलॉजी, गैस्ट्रो सर्जरी और न्यूरो सर्जरी विभाग में पांच-पांच सर्जन आने के बाद यहां सर्जरी की संख्या तेजी से बढ़ेगी। फिलहाल मरीजों को सर्जरी के लिए दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जाता है।

डायलिसिस सुविधा उपलब्ध है

अस्पताल में डायलिसिस के लिए 30 बेड की सुविधा है। यह पश्चिमी दिल्ली में दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा केंद्र है। इस केंद्र की मदद से गरीब लोगों को मुफ्त सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। किडनी रोग विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि एक मरीज के डायलिसिस में तीन से चार घंटे का समय लगता है. अस्पताल में हर साल 15 हजार से ज्यादा लोग डायलिसिस कराते हैं।

कैथ लैब सुविधा उपलब्ध है

अस्पताल में उन्नत सुविधाओं से सुसज्जित कैथ लैब की सुविधा है। यहां प्रतिदिन औसतन 6 से 7 टेस्ट होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कैथ लैब वह जगह है जहां एब्लेशन, एंजियोग्राम, एंजियोप्लास्टी और पेसमेकर/आईसीडी के प्रत्यारोपण सहित परीक्षण और प्रक्रियाएं की जाती हैं। कैथ लैब में विभिन्न विशेषज्ञों की एक टीम होती है, जिसका नेतृत्व एक हृदय रोग विशेषज्ञ करता है।

दवा से इलाज

फिलहाल अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों को दवा के साथ इलाज की सुविधा दी जा रही है. अस्पताल में रोजाना आने वाले करीब 1500 मरीजों की ओपीडी में करीब 80 से 85 फीसदी मरीज फॉलोअप मरीज होते हैं, जबकि नए मरीजों की संख्या 15 से 20 फीसदी ही होती है. डॉक्टरों का कहना है कि हृदय रोग, मूत्र रोग, किडनी रोग और न्यूरो संबंधी विकारों से पीड़ित ज्यादातर मरीजों का इलाज दवाओं से ही हो जाता है। फिलहाल अस्पताल में उन्हें पर्याप्त सुविधाएं मिलती हैं।

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