दिल्ली यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाएंगे मोहम्मद इकबाल, एकेडमिक काउंसिल की बैठक में लिए जाएंगे और फैसले
दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की बैठक में कट्टर धार्मिक विद्वान मोहम्मद इकबाल को राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम से हटाने का फैसला किया गया है। इसे मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट शीर्षक से बीए के छठे सेमेस्टर के पेपर में शामिल किया गया था। मोहम्मद इकबाल को भी देश के विभाजन के लिए उतना ही जिम्मेदार माना जाता है जितना कि मोहम्मद अली जिन्ना को।
काउंसिल की बैठक में महात्मा गांधी को भी चौथे सेमेस्टर से हटाकर सातवें सेमेस्टर में शामिल कर लिया गया है. चौथे सेमेस्टर में गांधी के स्थान पर वीर सावरकर को पढ़ाया जाएगा। सदस्यों के विरोध के बाद भी यह निर्णय लिया गया है। शुक्रवार को हुई परिषद की बैठक में विभिन्न विषयों के चतुर्थ, पंचम व छठवें सेमेस्टर के पाठ्यक्रम पर चर्चा हुई. ब्यूरो
1877 में अविभाजित भारत के सियालकोट में जन्मे इकबाल ने प्रसिद्ध गीत 'सारे जहां से अच्छा' लिखा था। पाकिस्तान का आईडिया देने का श्रेय उन्हें अक्सर दिया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि 'मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट' शीर्षक वाला अध्याय बीए के छठे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इस मामले को अब विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के समक्ष रखा जाएगा, जो इस पर अंतिम फैसला लेगी।
एकेडमिक काउंसिल के एक सदस्य ने बताया कि पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस में बदलाव को लेकर प्रस्ताव लाया गया था। प्रस्ताव के मुताबिक इकबाल पर एक चैप्टर था, जिसे सिलेबस से हटा दिया गया है। इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इस घटनाक्रम का स्वागत किया है।