अवैध निर्माण पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रखेगी नजर, जीडीए ने शुरू की तैयारी

Update: 2025-01-04 12:38 GMT

-मैप के अनुसार निर्माण होने पर मिलेगी जानकारी

गाजियाबाद। विकास प्राधिकरण क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की मदद से अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने की तैयारी है। इसके लिए सॉफ्टवेयर के माध्यम से अवैध निर्माण का सैटेलाइट डाटा चिह्नित करने की प्रक्रिया इस महीने शुरू होगी। प्राधिकरण इस पर तेजी से काम कर रहा है।

जीडीए का वर्तमान दायरा 184 गांवों की 3,889 हेक्टेयर जमीन पर फैला हुआ है, जिसे प्राधिकरण ने आठ जोन में विभाजित किया है। इन जोनों में अवैध और नक्शे के विपरीत निर्माण प्राधिकरण की सबसे बड़ी समस्या है। हालांकि, इसे रोकने के लिए प्राधिकरण में प्रवर्तन अनुभाग है फिर भी इसे पूरी तरह रोका नहीं जा सका है। अब जीडीए हाईटेक तकनीक से अवैध निर्माण पर लगाम लगाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए प्राधिकरण ने एक कंपनी से करार किया है। यह कंपनी 'इनफोर्समेंट जियोमैट्रिक्स' सॉफ्टवेयर के माध्यम से सैटेलाइट डाटा के आधार पर अवैध निर्माण की पहचान करेगी।

अधिकारियों का कहना है कि जनवरी के अंत तक इस तकनीक को लागू कर दिया जाएगा। इसके बाद सुपरवाइजर और जूनियर इंजीनियर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकेंगे। यदि किसी जोन से अधिकारी का तबादला होता है, तो उसे सेटेलाइट इमेज पर हस्ताक्षर कर नए अधिकारी को सौंपना होगा। अगर कोई अधिकारी अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं करता है, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह व्यवस्था कई चरणों में लागू की जाएगी। पहले चरण में 1,000 वर्ग मीटर या उससे बड़े भूखंडों को शामिल किया गया है। इस तकनीक से अवैध कॉलोनियों की आसानी से पहचान हो सकेगी। सैटेलाइट से ली गई इमेज में क्षेत्र की वर्तमान स्थिति दर्शाई जाएगी, जिसे प्राधिकरण की प्रवर्तन टीम को भेजा जाएगा ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके।

जीडीए सचिव ने बताया कि सॉफ्टवेयर की मदद से सैटेलाइट इमेज से अवैध निर्माणों की पहचान की जाएगी। क्षेत्र की एक इमेज तीन महीने पहले और दूसरी तीन महीने बाद ली जाएगी। फिर एआई तकनीक के माध्यम से इनका विश्लेषण किया जाएगा, जिसमें नक्शे के साथ मिलान किया जाएगा। इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस स्थान पर नक्शे के विपरीत या अवैध निर्माण हो रहा है। यह रिपोर्ट प्रवर्तन टीम को भेजी जाएगी और संबंधित अधिकारी से स्पष्टीकरण भी मांगा जाएगा।

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के सचिव राजेश सिंह ने कहा अवैध निर्माण के खिलाफ ठोस कार्यवाही की जा रही है। अब सॉफ्टवेयर से सेटेलाइट डाटा के आधार पर अवैध निर्माण चिह्नि होगा। इसमें एआई की भी मदद ली जाएगी। यह प्रक्रिया इस महीने के अंत तक शुरू करने का प्रयास है।

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