गो फर्स्ट एयरलाइन: एनसीएलटी ने 17 साल पुरानी सेवा के अंत के साथ परिसमापन का आदेश दिया
नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने गो फर्स्ट एयरलाइन को परिसमापन का आदेश दिया है, जिसके साथ भारतीय विमानन उद्योग में इसका 17 साल पुराना सफर समाप्त हो गया। वित्तीय संकट और असफल पुनरुद्धार प्रयासों के बीच यह निर्णय सोमवार को लिया गया।
17 साल की सेवा का अंत
गो फर्स्ट, जिसे पहले गो एयर के नाम से जाना जाता था, उसने 2005-06 में मुंबई-अहमदाबाद मार्ग पर अपनी पहली घरेलू उड़ान शुरू की थी। वर्षों में, एयरलाइन ने अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर विस्तार किया और 72 एयरबस A320neo विमानों का ऑर्डर दिया। हालांकि, बढ़ते वित्तीय संकट के कारण, एयरलाइन मार्च 2023 तक 1,800 करोड़ रुपये का भारी घाटा झेल चुकी थी। मई 2023 में गो फर्स्ट ने दिवालियापन की कार्यवाही के लिए आवेदन किया। इसके बाद शुरू हुई दिवालिया समाधान प्रक्रिया सफल नहीं हो सकी। लेनदारों की समिति (सीओसी) ने परिसमापन के पक्ष में निर्णय लिया। हालांकि स्पाइसजेट के अजय सिंह और स्काई वन जैसी कंपनियों ने एयरलाइन में रुचि दिखाई, लेकिन कोई भी प्रस्ताव इसे बचा नहीं सका।
डीजीसीए की कार्रवाई
गो फर्स्ट के संकट में तब और वृद्धि हुई जब नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एयरलाइन के 54 विमानों का पंजीकरण रद्द कर दिया। इससे एयरलाइन के पुनरुद्धार की संभावना लगभग समाप्त हो गई। एनसीएलटी का यह आदेश गो फर्स्ट के साथ ही एक युग के अंत का प्रतीक है। यह घटना भारतीय विमानन क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों की याद दिलाती है, जहां वित्तीय अस्थिरता कई एयरलाइनों के पतन का कारण बनी है।
प्रभावित कर्मचारी और यात्री
गो फर्स्ट के बंद होने से हजारों कर्मचारी और यात्री प्रभावित हुए हैं। एयरलाइन का अचानक परिचालन बंद होना उसके कर्मचारियों और उद्योग के लिए एक बड़ा झटका है।