ISRO यूरोप का प्रोबा-3 मिशन लॉन्च करेगा,अंतरिक्ष में नकली 'सूर्यग्रहण' लगाने जा रहे यूरोपीय वैज्ञानिक

Update: 2024-01-05 06:59 GMT

पेरिस: यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) का प्रोबा-3 मिशन सितंबर में भारत के पीएसएलवी पर लॉन्च होने के लिए तैयार है। इस अभिनव मिशन में दो छोटे सैटेलाइट, एक कोरोनाग्राफ और एक ऑकुल्टर शामिल हैं, जो लगभग 150 मीटर की दूरी में उड़ान भरेंगे। ईएसए ने कहा है कि ये मिशन एक कृत्रिम ग्रहण बनाने के लिए दो उपग्रहों के बीच उड़ान भरेगा, इससे सूर्य के धुंधले कोरोना के नए दृश्य सामने आएंगे। ये एक नकली सूरज ग्रहण बनाएगा। कृत्रिम ग्रहण के अलावा इस मिशन का उद्देश्य सौर कोरोना और सौर हवा की गतिशीलता का अध्ययन करना भी है, जो अंतरिक्ष मौसम की घटनाओं में अहम होगा।

प्रोबा-3 मिशन में दो परिष्कृत छोटे सैटेलाइट शामिल हैं, जिन्हें स्पष्ट रूप से अंतरिक्ष में एक अलग स्थिति के लिए डिजाइन किया गया है। एक सूर्य का निरीक्षण करने के लिए कोरोनोग्राफ के रूप में कार्य करता है, जबकि दूसरा एक ऑकुल्टर के रूप में कार्य करता है, जो सूर्य की उज्ज्वल चमक को रोकता है। ऑकुल्टर का सूरज की रोशनी को रोकना कोरोनाग्राफ को एक समय में कई घंटे के लिए धुंधले सौर कोरोना की छवि बनाने की अनुमति देगा। यानी ये एक कृत्रिम सूरज ग्रहम की तरह होगा।

दुनियाभर के वैज्ञानिकों की मिशन पर निगाह

इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य सोलर ऑब्जर्वेशन है, मिशन सटीक उड़ान का भी प्रदर्शन करेगा, जो अधिक उन्नत अंतरिक्ष संचालन के लिए रास्ते खोलेगी। इसमें दोनों सैटेलाइट का अलाइमेंट 150 मीटर की दूरी पर कुछ मिलीमीटर की सीमा के भीतर होगा, जो अंतरिक्ष में परिवर्तन को देखते हुए एक अविश्वसनीय उपलब्धि है। प्रोबा-3 मिशन की सफलता भविष्य के स्पेस टेलीस्कॉप और ईंधन भरने वाले मिशनों के लिए भी अहम साबित होगा। ये मिशन वैज्ञानिकों को प्राकृतिक ग्रहण के समान सूर्य के मायावी कोरोना का अध्ययन करने की अनुमति देगा, जो सौर अनुसंधान के लिए अमूल्य डेटा प्रदान करेगा।

इस मिशन में इस्तेमाल हो रही दो सैटेलाइट में एक 340 किलोग्राम का कोरोनाग्राफ और एक 200 किलोग्राम का ऑकुल्टर शामिल है, दोनों इस वैज्ञानिक बैलेट के लिए उपकरणों और नियंत्रण प्रणालियों की एक श्रृंखला से भरे हुए हैं। प्रोबा-3 मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण में वैश्विक सहयोग को भी बढ़ावा दे रहा है। ईएसए और इसरो के बीच साझेदारी के लिहाज से ये मिशन अहम है। जैसे-जैसे मिशन का लॉन्च नजदीक आ रहा है, दुनिया का ध्यान इस ओर बढ़ रहा है।

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