यात्रा संस्मरण: संयुक्त अरब अमीरात की कुल आबादी में 38 प्रतिशत हैं भारतीय प्रवासी! जाने क्यों ये विदेशी धरती पर भी दिखते हैं प्रसन्न और संतुष्ट

Update: 2024-09-23 08:47 GMT

सिंदबाद ट्रैवल्स-7

दुबई मध्य पूर्व के एक वैश्विक नगर तथा व्यापार केन्द्र के रूप में उभर कर सामने आया है। लिखित दस्तावेजों में इस शहर का अस्तित्व संयुक्त अरब अमीरात के गठन से 150 साल पहले होने का जिक्र है। दुबई का जिक्र 11वीं शताब्दी के अभिलेखों में अबु अब्दुल्ला अल-बकरी की बुक ऑफ जियोग्राफी में मिलता है और 1580 में भी जब वेनिस का व्यापारी गसपैरो बल्बी इस इलाके में व्यापार के लिए आया और उसने दिबई या दुबई का उल्लेख मोती के व्यापार के लिए किया है।

संयुक्त अरब अमीरात में आज लगभग 38 लाख 60 हजार भारतीय रहते हैं जो यहां की आबादी का लगभग 38 प्रतिशत है और भारतीय प्रवासियों की विश्व में किसी देश में सबसे बड़ी आबादी है।भारतीय लोगों का यहां के कारोबार, नौकरशाही, शिक्षा सभी क्षेत्रों में अच्छा दखल है। मुझको यहां रहने वाले लगभग सभी भारतीय अपने जीवन स्तर से प्रसन्न और संतुष्ट दिखे। यहां की आम बोलचाल की भाषा अरबी है लेकिन मुझको ऐसा प्रतीत हुआ कि यहां के अधिकांश अरबी शेख काम चलाऊ हिंदी भी जानते थे। दुबई में अरबी पुरुष तो अपना लबादे जैसा सफेद गाउन जो सर तक को ढकता है और उस पर एक काला चुटीला से बंधा होता है वो पहनते हैं, अन्य लोग सामान्य पहनावा पेंट शर्ट आदि पहनते हैं। औरतें बुर्का ओढ़े भी दिखीं और पाश्चात्य आधुनिक परिधानों में भी।

यहां के आम अरबी लोग अधिकांशतः सामान्य या कभी-कभी थोड़े लंबे कद के हैं, उनका रंग गेहुंवा या थोड़ा और साफ, नाक गोल या सुती हुई तथा अधिकतर की भंवें थोड़ी भरी हुई चौड़ी, आंखें काली या भूरी, चेहरे पर हल्की दाढ़ी और मूंछ भी होती है। महिलाओं के भी नाक नक्श इसी किस्म के गेहुंआ रंग या गोरा रंग, ठीक-ठाक या लंबा कद वाले दिखे।

दुबई से कतर-दोहा जाने के लिए मैं दुबई हवाई अड्डे कुछ पहले ही पहुंच गया था तो सोचा कि कुछ देर दुबई की विश्व प्रसिद्ध ड्यूटी फ्री शॉप्स भी देख ली जाएं। मैंने वहां जो चीजे देखीं वो सभी उस समय की आधुनिकतम वस्तुएं थीं चाहे वो परफ्यूम हो, सिगरेट या शराब हो अथवा कोई अन्य वस्तु।वहीं पर एक तरफ एक मर्सडीज़ गाड़ी का लेटेस्ट मॉडल खड़ा हुआ था। वहां लोग 100 दिरहम की लॉटरी खरीद कर एक स्लिप वहां रखे एक बॉक्स में डाल रहे थे और बाद में लॉटरी में जीतने वाले को वो कार मिलनी थी।

फ्लाइट की घोषणा हुई और सब प्रक्रिया पूरी करके मैं फिर जहाज में था। जहाज में मैंने देखा कि बहुत सारे अरबी नागरिक भी थे। बाद में मुझको किसी ने बताया कि ये एक आम बात है। चूंकि अरब देशों में शराब पर पाबंदी है तो बहुत से लोग एक अरब देश से दूसरे अरब देश की अंतरराष्ट्रीय उड़ान में चले जाते हैं जो आम तौर पर आधे, एक से डेढ़ घंटे तक की होती हैं और उनमें चूंकि शराब serve होती है तो एक स्थान से दूसरे देश जाते में पीते हैं और फिर वहीं एयरपोर्ट से वापिस अपने देश लौटते में भी पीते हैं और अपने घर जाकर सो जाते हैं। तो इस कारण अरबी लोग इन international flights में काफी दिखते थे और वो एयरपोर्ट से बाहर भी नहीं निकलते थे बस वहीं से पहुंचे और वापिस।यात्रा संस्मरण: संयुक्त अरब अमीरात की कुल आबादी में 38 प्रतिशत हैं भारतीय प्रवासी! जाने क्यों ये विदेशी धरती पर भी दिखते हैं प्रसन्न और संतुष्ट

जहाज में उदघोषिका ने बताया कि हम लोग दोहा पहुंच गए हैं और फिर थोड़ी देर में ही वीसा लेकर, इमीग्रेशन की औपचारिकताएं पूरी कर मैं दोहा हवाई अड्डे के लाउंज में पहुंचा और वहां मुझको वो महोदय मिल गए जिन्होंने मेरे लिए वीसा करवाया था। दरअसल जैसा मैं पहले ज़िक्र कर चुका हूं कि मुझको अपने सुभाष मामा से भी कुछ business contacts के पते मिले थे। मैंने उन सभी लोगों से संपर्क किया था, उनमें से बहुत कम लोगों ने respond किया था और दोहा के ये व्यापारी जिन्होंने मेरा वीसा करवाया उन्हीं में से एक थे।

अगले अंक में किस्से दोहा,कतर के और अरबी शेख इस्माइल का किस्सा जो मेरे दोस्त बन गए...

लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति हैं। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। तीन दशक से अधिक वैश्विक यात्राओं के साक्षी।

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