टावर ऑफ लंदन

Update: 2024-11-04 12:28 GMT

सिंदबाद ट्रैवल्स-33

इंग्लैंड-लंदन

टॉवर ब्रिज देख कर अब मैं टेम्स नदी के किनारे ही चलता हुआ लगभग 15-20 मिनट में Tower of London पहुंच गया और अंदर टिकट भी लिया। ये टेम्स नदी के किनारे बना हुआ इंग्लैंड का एक बड़ा ऐतिहासिक किला है जिसका निर्माण ईस्वी सन 1066 में प्रारंभ हुआ था। इसमें एक सफेद टावर की इमारत बनी हुई है जिसको 1078 ईस्वी मैं William the conqurer नामक राजा ने बनवाया था और इसी टॉवर के नाम पर इस किले का नाम Tower of London पड़ा। यह किला लंदन और इंग्लैंड के इतिहास के हर उतार चढ़ाव का गवाह रहा है। एक लंबे अरसे तक इस किले का उपयोग कैदियों को रखने और यातना देने के लिए भी हुआ था और ये प्राचीन और मध्य युगीन काल में शासकों द्वारा विरोधियों और जनता पर किये गए अत्याचारों का गवाह बना। 16 वीं और 17वीं सदी में कई हस्तियां यहां कैद रही और तब दुश्मनों को ठिकाने लगा देने के लिए लंदन में एक मुहावरा “sent to the tower” चल पड़ा था।

इस किले में 1540 से 1640 के बीच लोगों को बहुत अधिक प्रताड़ित किया गया था और उसके लिए किले के प्रांगण में बाकायदा एक Tower Torture था। जिसमे जाने पर लोगों को प्रताड़ित करने के कई यंत्र लगे दिखते हैं जो उस समय लोगों को मृत्यु तुल्य कष्ट देने जैसा Torture करने के काम में आते थे। दरअसल यंत्रणा उपकरण और अन्य तरीके वहां प्रदर्शनी रूप में प्रदर्शित थे। वहां एक कीलों से भरी कुर्सी, जिसके हत्थों तक पर अनगिनत कीलें उल्टी करके लगी हुयी थीं यानी कि नुकीला हिस्सा ऊपर की ओर खुला हुआ था, देखी जिस पर कैदी को बैठाया जाता था जिस से उसके पूरे शरीर में कीलें घुस जाती थीं। The Racks नामक उपकरण था जिसमें कैदी के हाथ पैर बांध कर उनको अलग अलग दिशा में खींचा जाता था। इन यंत्रों को सामने देख कर एक क्षण को तो ये लगा कि खुदा न खास्ता ये अपने ऊपर बीतती तो... सोच कर ही पूरे शरीर में सिहरन भरी एक ठंडी सी लहर दौड़ गयी। एक तरफ The Manacles था यानी कि हथकड़ियां। जी नही सादा हथकड़ियां नहीं अपितु हथकड़ियों में बांध कर ऊपर दीवार से लटका दिया जाता था और कभी कभी नीचे से खींचा भी जाता था। अधिकतर लोग जो भाग्यशाली थे वो तो इन यातनाओं से मृत्यु को ही प्राप्त हो जाते थे जो इतने भाग्यशाली नहीं थे उनको अन्य यातनाओं का भी सामना करना पड़ता था। Bloody Tower नाम से प्रसिद्ध इमारत में तो कई राजकुमारों को मौत के घाट उतारा गया था। इन सारी चीजों को देख कर मन अजीब सी घृणा और जुगुप्सा से भर गया और ऐसा प्रतीत हुआ कि इस किले की दीवारों से चारों ओर से उन अभिशप्त पीड़ितों की चीख पुकार से मेरे कान के पर्दे फटे जा रहे हों। इस टॉवर के भूतों के किस्से भी प्रसिद्ध बताये गए जैसे कि बताया कि 1536 ईसवी में राजा हेनरी अष्टम की पत्नी रही Anne Boleyn का सर काट कर मौत के घाट उतार दिया गया था और कहते हैं कि आज भी White Tower में उसका भूत अपना कटा हुआ सर अपने हाथ में लेकर घूमता है हांलांकि ये white tower "the most complete eleventh century palace in Europe" के रूप में भी प्रसिद्ध है और ये किला UNESCO द्वारा घोषित एक World Heritage Site भी है।

वैसे Tower of London एक बहुत ही सुंदर बना हुआ किला है जिसके एक ओर टेम्स नदी बहती है और किनारे पर सफेद पत्थर की भव्य इमारत White Tower है।हमारे देश भारत में भी दिल्ली, आगरा, इलाहाबाद आदि किले यमुना नदी के किनारे ही बने हुए हैं वो मुझको याद आ गए। Tower of London में पैदल चलने का पथ बहुत अच्छा पत्थरों का बना हुआ है और चारों ओर खूब हरियाली है। यहां लंदन और इंग्लैंड के निर्माण शिल्प के और अंग्रेजों की स्थापत्य कला के 1000 साल के इतिहास और विकास के भी दर्शन होते हैं। इस किले की मिल्कियत राजशाही की होने के कारण वर्तमान में इसकी मालकिन इंग्लैंड की महारानी हैं। प्राचीन काल से राजा/रानी की अनुपस्थिति में इस किले का इंचार्ज Constable of Tower होता है। और हां इन सबके और भूतों के अतिरिक्त इस किले के प्रांगण में यहां के एक और स्थायी निवासी भी दिखे और वो थे काले काले कव्वे। हरियाली भरे प्रांगण में मुझको बिल्कुल चमकते हुए काले रंग के कौए खूब मजे से चहलकदमी सी करते हुए दिखे। वहीं पर मौजूद इंग्लैंड के गार्डों की लाल वर्दी पहने एक गार्ड ने मुझको बताया कि ये कौए इस किले के स्थायी निवासी हैं और वहां की मान्यता ये है कि "If birds leave the tower the kingdom will fall" so wings of these birds are clipped मतलब कि यदि ये पक्षी क़िला छोड़ देंगे तो इंग्लैण्ड का राज्य ढह जाएगा इसलिए इनके पंख क़तर दिए गए थे ताकि वो उड़ ना सकें और उनको खिलाने के लिए बाक़ायदा कर्मचारी भी नियुक्त थे। मुझको भारतीय पौराणिक मान्यताओं से भी ये सही लगा कि जिस स्थान पर इतने लोग मृत्यु को प्राप्त हुए हों तो आखिर उन की आत्माओं तक भोजन पहुंचाने को भी इन कौओं का वहां रहना उचित ही था।

अगले अंक में किस्सा कोहिनूर और अन्य हीरे जवाहरातों का...

लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति है। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। तीन दशक से अधिक वैश्विक यात्राओं के साक्षी।

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