भारत के हमलों से सात दिन झुलसा था कराची पोर्ट:60 किलोमीटर से दिख रही थी आग; आज के दिन शुरू हुए ऑपरेशन ट्राइडेंट की कहानी

By :  SaumyaV
Update: 2023-12-04 08:27 GMT

3 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान के बीच बांग्लादेश में युद्ध शुरू हुआ था। अगले ही दिन ये युद्ध सिर्फ जमीन और आसमान तक न रहकर समुद्र में भी फैल गया। भारतीय नौसेना ने 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' के तहत 4 दिसंबर, 1971 को कराची नौसैनिक अड्डे पर हमला बोल दिया।

ये हमला आसान नहीं था। नौसेना इसके लिए कई महीनों से योजना बना रही थी। इस स्टोरी में 53 साल पहले आज ही के दिन हुए कराची पोर्ट पर हमले के बारे में जानेंगे, जिसे पाकिस्तानी नौसेना के इतिहास की सबसे करारी शिकस्त कहा जाता है।

इंदिरा से इजाजत ली

हुआ ये था कि लड़ाई शुरू होने से पहले अक्टूबर 1971 में उस समय के नेवी प्रमुख एडमिरल एसएम नंदा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने गए। उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से पूछा, "अगर हम कराची पर हमला करें, तो क्या इससे सरकार को राजनीतिक रूप से कोई आपत्ति हो सकती है?"

इस पर प्रधानमंत्री ने पूछा कि आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं? इसके जवाब में एडमिरल एसएम नंदा ने कहा, "1965 में नेवी से खासतौर से कहा गया था कि वो भारतीय समुद्री सीमा से बाहर कोई कार्रवाई न करे।" इस पर इंदिरा गांधी ने कहा, "इफ देयर इज अ वॉर, देयर इज अ वॉर।" यानी अगर लड़ाई है, तो लड़ाई है। 

फिर शुरू हुआ ऑपरेशन ट्राइडेंट कराची पर हमले की योजना को ऑपरेशन ट्राइडेंट नाम दिया गया। नौसेना प्रमुख एडमिरल एसएम नंदा के नेतृत्व में ऑपरेशन ट्राइडेंट का प्लान बनाया गया था। इस टास्क की जिम्मेदारी 25वीं स्क्वॉर्डन कमांडर बबरू भान यादव को दी गई थी। इस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए 2 दिसंबर 1971 को पूरा वेस्टर्न फ्लीट मुंबई से निकल गया।

इस बेड़े में INS निपात, INS वीर और INS निर्घट शामिल थे। हर बोट पर 4-4 मिसाइलें थीं। इनके ठीक पीछे INS किल्टन भी चल रहा था। भारतीय नौसैनिक बेड़े को कराची से 250 किमी. की दूरी पर रोका गया। प्लान के मुताबिक भारतीय नौसेनिकों के बेड़े को शाम तक 150 किमी और कराची की तरफ बढ़ना था। इसके बाद हमला कर सुबह होने से पहले तेजी से 150 किमी. वापस आ जाना था। ताकि बेड़ा पाकिस्तानी की पहुंच से दूर हो जाए। हुआ भी ऐसा ही। 

पाकिस्तान को लगा लड़ाकू विमान से हमला हुआ

भारत की हर बोट पर 4-4 मिसाइलें थीं। बबरू भान यादव खुद INS निपात पर मौजूद थे। 4 दिसंबर की रात ठीक 10 बजकर 40 मिनट पर INS निर्घट ने पाकिस्तान के जहाज PNS खैबर पर पहली मिसाइल दागी।मिसाइल लगते ही खैबर हिल गया। उसमें मौजूद जवानों को पता ही नहीं चला कि हमला कहां से हुआ है? उन्हें लगा कि लड़ाकू विमान से हमला हुआ है।

वो कुछ सोच पाते कि तभी थोड़ी देर बाद दूसरी मिसाइल चली और खैबर डूब गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी नेवी के 222 जवान इसमें मारे गए। रात 11 बजे INS निपात ने पाकिस्तान के MV वीनस चैलेंजर और PNS शाहजहां पर दो मिसाइल दागीं। वीनस चैलेंजर तबाह हो गया और शाहजहां को बहुत नुकसान पहुंचा।

उधर 11:20 मिनट पर INS वीर ने PNS मुहाफिज पर मिसाइल दागी। मुहाफिज तुरंत डूब गई और इसमें मौजूद 33 जवानों की मौत हो गई। इसी बीच INS निपात कराची पोर्ट की तरफ बढ़ता गया।

कराची पोर्ट पाकिस्तान के लिहाज से बहुत खास था, क्योंकि इसके एक तरफ पाकिस्तान नेवी का हेडक्वार्टर था और दूसरी तरफ तेल भंडार। INS निपात ने पोर्ट की ओर दो मिसाइल दागीं। एक मिसाइल चूक गई, जबकि दूसरी सीधे तेल के टैंक में जाकर लगी। जबरदस्त विस्फोट हुआ। बताते हैं कि विस्फोट इतना जबरदस्त था कि आग की लपटों को 60 किमी की दूरी से भी देखा जा सकता था।

ये वही युद्ध था जिसमें भारतीय नौसेना ने पहली बार जहाज पर मार करने वाली एंटी शिप मिसाइल से हमला किया गया था। ऑपरेशन खत्म होते ही भारतीय नौसैनिक अधिकारी विजय जेरथ ने संदेश भेजा, 'फॉर पीजन्स हैप्पी इन द नेस्ट. रीज्वाइनिंग।' इस पर उनको जवाब मिला, 'एफ 15 से विनाश के लिए: इससे अच्छी दिवाली हमने आज तक नहीं देखी।'

Tags:    

Similar News