मुझे महसूस हुआ कि जब इजिप्ट की आम लड़की इतनी सुंदर है तो मिस्र की प्राचीन रानियों क्लियोपेट्रा और नेफरिटिटी की सुंदरता के विषय में जो पढ़ा और सुना है वो सत्य ही होगा

Update: 2024-09-26 09:27 GMT

सिंदबाद ट्रैवल्स

दोहा से बहरीन और फिर इजिप्ट/मिस्र - काहिरा

दोहा से मेरा अगला पड़ाव बहरीन था यानी कि वहा की राजधानी मनामा। बहरीन खूबसूरत लेकिन क्षेत्रफल में काफी छोटा देश है। वहां मैं अपने इलाहाबाद के मित्र श्री रवि कपूर के बड़े भाई श्री रतन कपूर जी के घर रुका था। उनके और उनकी पत्नी अर्चना भाभी के द्वारा की गयी खातिरदारी आज भी भावुक कर देती है। बहरीन में मुझको कांच के मोतियों का एक ऑर्डर मिला जिसमें खास बात यह थी कि जिन अरबी शेख व्यापारी ने यह ऑर्डर दिया उनका प्रोडक्ट का ज्ञान गजब का था और वह हाथ से महसूस करके प्रोडक्ट को समझ लेते थे क्योंकि वह वैसे दृष्टिहीन थे। उनकी कार्यकुशलता और काबिलियत ने मुझको बहुत प्रभावित किया।

बहरीन से मेरी अगली यात्रा थी इजिप्ट की

हम काहिरा एयरपोर्ट पर थे। ये एशिया से बाहर और अफ्रीका महाद्वीप में मेरा पहला कदम था। जैसे ही जहाज से बाहर निकले तो अब तक की यात्रा में पहली बार ऐसा लगा कि बिल्कुल अपरिचित जगह आ गए हों। वहां लगभग सभी लोग अरबी भाषा और वो भी अभी तक के अरब देशों से भी थोड़े भिन्न से accent में बोल रहे थे और शक्लें भी थोड़ी फर्क दिख रहीं थीं। मुझको वहां कोई भी अपने देश जैसा यानी कि भारतीय या भारतीय उपमहाद्वीप के रहने वाला जैसा कोई व्यक्ति एयरपोर्ट पर नहीं दिखा। एयरपोर्ट पर सबसे दृष्टव्य चीज़ थी वहां के पुरुषों के सर के बाल जो अधिकांश के काफी घुंघराले और छोटे -छोटे से थे।

एयरपोर्ट में इम्मीग्रेशन क्लीयर करते ही जो चीज़ सबसे पहले दिखी वो एक काउंटर था होटल के लिए। पूछने पर ज्ञात हुआ कि वो लोग एक 5 स्टार होटल “होटल सिआग (SIAG Pyramid) पिरैमिड” की promotional sales भी कर रहे हैं और काफी अच्छे और सस्ते दामों पर ये होटल उपलब्ध है। मैंने सोचा बाहर निकल कर होटल कहाँ खोजता फिरूंगा इसलिए मैंने 40 USD प्रति दिन (night stay and morning breakfast inclusive) में अपने लिए होटल की बुकिंग करा ली। होटल की बुकिंग कराने के बाद कन्वेयर बैल्ट से अपना सामान लेकर कस्टम की तरफ मैं आगे बढ़ ही रहा था कि मैंने क्या देखा कि लगभग 10-15 सुंदर लड़कियां नीली स्कर्ट की ड्रेस पहने हुए खड़ी हुई हैं और उन्हीं में से एक लड़की ने मेरी तरफ बढ़ कर एक लाल गुलाब का फूल मुझको दिया और अंग्रेज़ी में कहा “ I am Shireen.you are welcome in Egypt.”मैंने देखा अन्य लड़कियाँ भी और यात्रियों का ऐसे ही स्वागत कर रही थीं। शिरीन लगभग 21-22 साल की एक गोरी सी और अत्यंत आकर्षक, सौम्य और सुंदर लड़की थी। उसकी शक्लो-सूरत हमारी भारतीय लड़कियों से काफी भिन्न नाक नक्श की थी लेकिन उसको देख कर मुझको महसूस हुआ कि जब इजिप्ट की आम लड़की इतनी सुंदर है तो मिस्र की प्राचीन रानियों क्लियोपेट्रा और नेफरिटिटी की सुंदरता के विषय में जो पढ़ा और सुना है वो सत्य ही होगा। आम तौर पर मैंने देखा कि मिस्र के लोगों के माथे थोड़े बड़े दिखते हैं थोड़े खिंचे हुए से उन्नत ललाट,आँखें मध्यम से लेकर बड़ी आमतौर पर बादाम जैसी जो कि अक्सर उनके फराओ यानी पुराने राजाओं के चित्रों में भी दृष्टिगोचर होती हैं और हाँ गाल अधिकतर उभरे हुए और नाक भी काफी सुंदर और अक्सर चेहरे पर prominence लिए हुए ही दिखती है। स्त्रियाँ आम तौर पर थोड़े भारी जिसको स्थूल तो नहीं कह सकते ऐसी कद काठी की होती हैं,आम तौर पर उनके कंधे चौड़े से होते हैं और पुरुष अधिकतर सामान्य लंबाई के,सूर्य की रेगिस्तानी किस्म की गर्मी के कारण जैसे गोरा रंग तप जाने पर ताम्बई या गेहुएं पन पर हो जाये वैसे रंग के अधिकतर स्त्री और पुरुष होते हैं हालांकि बहुत सारे स्त्री और पुरुष भी गोरे रंग जैसे भी दिखे। पुरुष अधिकतर दुबले थे पर कुछ भारी कद काठी के भी होते हैं और उनके बाल अधिकांश छोटे और काफी घुंघराले होते हैं।

खैर तो मैं बात कर रहा था शिरीन के विषय में। उसने आगे बढ़ कर मेरा स्वागत किया, हाथ मिलाया और एक लाल गुलाब का फूल दिया फिर उसने बताया कि वो लोग इजिप्ट की सरकार की ओर से पर्यटकों और यात्रियों की सहायता के लिए नियुक्त हैं। उसकी अंग्रेज़ी कुछ ऐसी थी जिसको समझने के लिए काफी प्रयास करना पड़ रहा था,बोलने का तरीका और उच्चारण दोनों काफी अलग किस्म के थे। शिरीन ने मेरे सामान को कस्टम से आराम से क्लियर कराया और मुझसे मेरे काहिरा आने का प्रयोजन पूछा। मैंने उसको बताया कि मैं काँच के मोती और अन्य कुछ चीजों का व्यापारी हूँ और इन वस्तुओं के व्यापार हेतु मिस्र आया हूँ। वो बहुत खुश हुई,फिर उसने पूछा कि आपके लिए होटल बुक करा दूँ तो मैंने उससे कहा कि धन्यवाद होटल तो मैं बुक करा चुका हूँ,मेरे ये कहने पर मुझको ऐसा लगा कि उसका चेहरा कुछ बुझ सा गया किन्तु मैंने उस समय इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।अब उसने कहा कि मैं आपके होटल जाने के लिए टैक्सी बुला देती हूँ और मेरे कहने पर उसने एक टैक्सी वाले से अपनी भाषा में बात की और शिरीन से विदा लेकर मैं टैक्सी में होटल जाने को बैठ गया। काहिरा हवाई अड्डे से गीज़ा में होटल “सियाग पिरैमिड" पहुँचने में लगभग 55 मिनट या एक घंटा लगा और टैक्सी वाले ने मुझसे लगभग 170 या 180 इजिप्शियन पाउंड किराए के रूप में लिए और “बख्शीश”अर्थात “टिप”अलग से मांगी (मिस्र की करेंसी Egyptian Pound है और इस समय 1 इजिप्शियन पाउंड में लगभग 2 रुपये 70 पैसे और उस समय भी 1 इजिप्शियन पाउंड शायद 2 या 3 रुपये के बीचका कुछ था)। टैक्सी वाले से बातचीत लगभग असंभव सी ही थी क्योंकि उसको न हिंदी आती थी और न अंग्रेज़ी और उसकी भाषा मैं नहीं जानता था।मेरी समझ में आने लगा था कि काहिरा में मुझको भाषा की गंभीर समस्या आने वाली थी।

अगले अंक में काहिरा की सघन गलियों की यात्रा के विषय में बताऊंगा और गजब के करैक्टर मिस्टर मैगदी से मुलाकात की बात भी...

लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति हैं। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। तीन दशक से अधिक वैश्विक यात्राओं के साक्षी।


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