नील नदी, पिरैमिड, स्फिंक्स, मिस्र की ममियां और काहिरा की प्रसिद्ध चीज देखने के लिए मैं होटल से निकल पड़ा...
सिंदबाद ट्रैवल्स-15
इजिप्ट-काहिरा
मेरी निगाह घड़ी पर गयी जो 8:30 बजा रही थी, नाश्ते का वक़्त हो चला था। इस होटल और अधिकतर अच्छे होटलों में रुकने के प्लान में breakfast included होता है और इसमें बहुत सारी विभिन्न प्रकार के व्यंजन खाने हेतु उपलब्ध होते हैं। लोग सुबह खूब पेट भर के खाने नुमा नाश्ता कर के घूमने या अपने काम को निकलते हैं जिस से दिन में जल्दी और ज्यादा भूख नहीं लगे। Breakfast एक बड़े हॉल में उस से लगी बाहर खुली छत पर उपलब्ध था। सुबह सुबह नाश्ते का स्थान बहुत सुंदर था। उस छत से सामने पिरैमिडों की हल्की सी झलक दिखती थी। यहां की एक फोटो भी मैंने खिंचवाई थी। फोटो का मामला ऐसा हो गया कि मैं still camera अपने साथ ले गया था और दुबई से वीडियो कैमरा भी ले लिया था सो शौक में अधिकतर जगह वीडियोग्राफी ही ज्यादा करता रहा और स्टिल फोटो बहुत कम लीं। तब डिजिटल कैमरे थे नहीं और रील का मामला थोड़ा झंझट का लगता था।
नाश्ते में गर्म और ठंडा दोनों किस्म का बहुत अच्छा दूध था, कॉर्न फ्लैक्स, कई किस्म की ब्रेड, मक्खन, शहद और जैम के छोटे छोटे गोल ट्रांसपेरेंट पैकेट्स जैसे थे, कई किस्म के फल थे, कई किस्म के फलों के जूस और ताजे रस भी थे, सैंडविच थीं, चाय थी, कॉफी थी। इसके अलावा जो अंडा, ऑमलेट और अन्य non-vegetarian चीज़ें खाना चाहते हों उनके लिए वो थीं। बहरहाल मैंने खूब पेट भर कर नाश्ता किया और शहद के कुछ पाउच अपने पास रख भी लिए जो कि दिन भर काम आए।
अब कमरे में आकर मैं सोच ही रहा था कि होटल वालों से कह कर एक टैक्सी मंगवाई जाए जिस से दिन भर काहिरा देखूंगा कि तभी मेरे कमरे के फोन की घंटी बजी। फोन उठाने पर उधर से वही चिर परिचित खुद में बेहद परेशान और सुनने वाले को भी परेशान कर दे ऐसी उन्हीं मिस्टर मैगदी की आवाज थी।
Good morning Mr. Atul!
उनकी आवाज सुन कर मैं थोड़ा चौंक भी गया कि ये महाशय आज क्यों और कैसे? खैर मैंने उनसे कहा कि मैं लॉबी में उनसे मिलने आ रहा हूं। उनके पास पहुंच कर मैंने उनसे यही पूछा कि मिस्टर मैगदी आप आज क्यों और कैसे? तो बेहद मनमोहक मुस्कान देने का प्रयास करते हुए मिस्टर मैगदी बोले, आज आप काहिरा घूमेंगे ना? मेरा जवाब था कि हां लेकिन आज कुछ व्यापार थोड़े ही होना है तो मिस्टर मैगदी अपनी बोली में शहद घोलते हुए बोले, तो क्या हुआ,आज मैं आपका guide हूं और मैं आपके लिए टैक्सी भी ले आया हूं।
मैंने उनको टालने का असफल प्रयास किया लेकिन उनकी रिश्तेदारी तो जौंक से निकली सो वो कहां पीछा छोड़ने वाले थे। अंततः मैंने अपने हथियार डाल दिये और अपने दोनों कैमरे लेकर चल दिया मैगदी साहब की लायी टैक्सी की ओर।
टैक्सी ड्राइवर एक 28-30 साल का नौजवान सा था लेकिन था वो ढीला-ढाला सा और दाढ़ी ऐसी कि जैसे 4-5 दिन से शेव न बनाई हो और सेहत ऐसी कि मानो बकरी ने अपने दूध के अलावा और कुछ पूरे जीवन में खाने पीने ना दिया हो।
जो गाड़ी टैक्सी में आयी थी वो भी माशा अल्लाह अपनी तरह की खास ही थी, बहुत पुरानी नहीं थी लेकिन उसको कतई नया भी नहीं कहा जा सकता था, खटारा कहना मिस्टर मैगदी की भावनाओं का अपमान होता और खटारा किस्म की न कहना कार का। अपने यहां जैसी NE118 car होती थी वैसी सी ही, left hand drive, बादामी से कलर की जिसमें कार को कहीं नज़र न लग जाए इसलिए कई खरोंचों को अपने श्रृंगार में शामिल की हुयी वो टैक्सी थी।
मिस्टर मैगदी ने मुझको इस रुतबे और शान से उस टैक्सी में बैठने को कहा कि जैसे मेरे लिए जैगुआर लेकर आये हों। मैं भी कहां बाज आने वाला था, मैंने मिस्टर मैगदी से कहा कि आप ये कैसी गाड़ी लाये हो तो उन्होंने मुझसे कहा कि टैक्सी में काहिरा में ऐसी ही गाड़ियां होती है। गाड़ी के सेल्फ ने एक आध बार हकला कर चलने का मन भी बना ही लिया।
मिस्टर मैगदी ने पूछा कि पहले कहां चलें तो मैंने जवाब दिया कि भाई मेरे गाइड तो आप हैं इसलिए आप तय करिये कि कहां चलेंगे।
हां जहां तक मेरा सवाल है तो मैं नील नदी देखना चाहता हं, पिरैमिड देखना चाहता हूं, स्फिंक्स देखने का इरादा है और मिस्र की प्रसिद्ध ममियां देखना चाहता हूं और काहिरा में जो देखने की प्रसिद्ध चीज़ हो वहां भी ले चलिए। इस पर मिस्टर मैगदी ने कहा कि ठीक है सबसे पहले नील नदी के पास से होकर हम लोग पैपिरस म्यूज़ियम चलेंगे और फिर आगे।
अगले अंक में मिस्र की नील नदी का किस्सा...
लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति हैं। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। तीन दशक से अधिक वैश्विक यात्राओं के साक्षी।