इजिप्ट:- काहिरा के म्यूजियम में मिस्र की अनेकों प्राचीन ममी और उनका इतिहास
सिंदबाद ट्रैवल्स-22
फराओ तूतनखामुन के मकबरे से निकले सामान, हाथीदांत और सोने के आभूषणों आदि को देखते हुए अब आगे नंबर था ‘ममी’ वाले कक्ष का। इसके पहले कई खानों की रैकों में विविध किस्म के विचित्र और अनोखी नक्काशी और पेंटिंग किये हुए वो ताबूत रखे हुए थे जिनमें रखकर विभिन्न ममी दफन की गयी थीं। ममी वाले कक्ष में जाने के लिए अलग से टिकट था। वहां मिस्र के पुराने राजाओं, रानियों, उनके सेवकों और यहां तक कि जानवरों तक की ममियां प्रदर्शित थीं। उनको देखना अपने आप में एक अत्यंत विचित्र और रोमांचक अनुभव था। जरा सोचिए कि ये वो लोग थे जो आज से 3500-4000 वर्ष पहले चलते फिरते जीव थे और इन सभी को उनकी मृत्यु के बाद और बहुत से सेवकों को उनके स्वामियों के साथ जिंदा ही इस उम्मीद में दफनाया गया था कि एक वक्त आएगा जब ये सब फिर जीवित हो जाएंगे और इसीलिए उनके मृत शरीरों पर एक खास प्रकार का लेप लगा कर पूरे शरीर को पट्टियों से लपेट कर ममी बना कर संरक्षित रखा जाता था और कमाल था उस 4-5 हजार साल पुरानी तकनीक का कि ये ममियां अभी तक सुरक्षित रखी हैं। कई ममी के तो चेहरे के फीचर और बाल भी स्पष्ट से लगे। वहां पहुंच कर ऐसा लगता था कि जैसे वहां इतिहास सो रहा हो, शरीर में सिहरन पैदा कर देने वाला एक अजीब सा सन्नाटा प्रतीत होता था यद्यपि वहां दर्शक काफी थे और उनका शोर भी था किंतु शोर के बीच भी उस वातावरण की अनुभूति एक अलग किस्म की थी। उस माहौल में मन में अचरज, कौतूहल, एक अजीब किस्म का हल्का सा अजीब सा भय क्योंकि आखिर वहां आपकी मौजूदगी तो असंख्य मृत शरीरों के बीच ही थी और एक किस्म का वैराग्य ये सभी प्रकार के भाव एक साथ मन में आ जा रहे थे।
कुल मिलाकर मिस्र के इस म्यूजियम को देखना अपने आप में एक बहुत ही विचित्र और रोमांचित कर दे ऐसा अनुभव था। इसमें घूमने वाले को कई जगह ये प्रतीत होगा कि उसके रोंगटे खड़े हो गए हैं और कई जगह दर्शक को अपने चिकोटी काटनी ही पड़ेगी ये सुनिश्चित करने को कि वो सोते में कोई स्वप्न नहीं देख रहा है अपितु जागते हुए जो कुछ भी देख रहा है वो अविश्वसनीय होते हुए भी प्रत्यक्ष है और सत्य है।
ये कहना गलत नहीं होगा कि इजिप्ट जाकर यदि ये म्यूजियम नहीं देखा तो समझिए कुछ नहीं देखा और 5000 साल के इस इतिहास को देखने के लिए कुछ दिन या सप्ताह भी कम पड़ेंगे और मैंने तो बस कुछ घंटों में ही 5000 साल के इतिहास को जानने और अनुभूत करने का ये प्रयास किया था। इस म्यूज़ियम में पहुंच कर आपको प्रतीत होगा कि मानो आप टाइम मशीन में बैठ कर हजारों साल पहले के समय में पहुंच गए हैं और आपके चारों ओर जैसे इतिहास ही बिखरा पड़ा है। आप प्राचीनकाल के अतीव शक्तिशाली सम्राटों के बीच, उनके अप्रतिम वैभव के बीच घूम रहे हैं और मानों ममी के रूप में उस काल के वो सर्वशक्तिशाली व्यक्तित्व चिर शांति में सो रहे हों। पहले कभी एक फिल्म देखी थी सो मन में एक बार उसका दृश्य याद आया और मैं ये सोचने लगा कि क्या होगा यदि अचानक अभी ये सारी ममी जिंदा होकर उठ कर बैठ जाएं। ये सोचते ही रीढ़ की हड्डी तक के पास कंपकंपाती हुई सी एक ठंडी सी सिहरन शरीर में दौड़ती चली गयी। ये सोच कर ही आश्चर्य हो रहा था कि मिस्र के रेगिस्तान की रेत में दफन हजारों साल के ये रहस्य तो उजागर हो गए लेकिन न जाने कितने रहस्य अभी भी ऐसे ही दफन होंगे और शायद हमारे भारत में भी प्राचीन इतिहास के न जाने कितने रहस्य अभी उजागर होने को बाकी होंगे।
म्यूजियम से बाहर निकला तो मिस्टर मैगदी मुझको फिर मिल गए। उनके साथ जाकर एक दुकान से मैंने मार्बल और ओनिक्स जैसे सफेद ऐलाबस्टर पत्थर की मिस्र के प्रसिद्ध हस्तशिल्प की कुछ वस्तुएं जैसे नेफरीतीती के चेहरे की प्रतिकृति, पिरैमिड की प्रतिकृति आदि खरीदीं और फिर उसी खटारा किस्म की कार में बैठ कर चल दिये।
अब हम जा रहे थे मिस्र के प्राचीन रहस्यमय संसार की सबसे अद्भुत कृति जो कि विश्व के सात अजूबों में शुमार भी है यानी कि पिरैमिडों को देखने। यहां मुझको अपनी मिस्र यात्रा के अब तक के सबसे विचित्र अनुभव भी होने को थे।
अगले अंक में चर्चा है विश्व के सात अजूबों में एक यानी कि पिरैमिड देखने जाने का...
लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति है। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। तीन दशक से अधिक वैश्विक यात्राओं के साक्षी।