बाय-बाय इजिप्ट! अब काहिरा से लंदन

Update: 2024-10-23 13:05 GMT

सिंदबाद ट्रैवल्स-28

मैं बड़े अच्छे मन से ड्राइवर को धन्यवाद देकर होटल में घुसा कि सामने ही मिस्टर मैगदी अपनी रोती सी सूरत लिए हुए बैठे मिले होटल की लॉबी में। मुझको देखते ही मिस्टर मैगदी मुझ पर बिगड़ पड़े, बोले, "आप ऐसे कैसे अकेले चले गए?" मैंने कहा कि क्यों इसमें क्या हो गया, मैं कहीं भी जा सकता हूं। मिस्टर मैगदी इस पर बिल्कुल बिफर पड़े और बोले, "यहां इजिप्ट में आप जब तक हैं मेरी जिम्मेवारी हैं आप। आप जो कुछ भी खरीद फरोख्त या व्यापार करेंगे वो मेरे बिना नहीं कर सकते और सबमें मेरा कमीशन होगा।" खैर, मुझ पर इन बातों का असलियत में कोई असर नहीं था क्योंकि अगले दिन सुबह तो मेरी यहां से रवानगी ही थी। इसके बाद मिस्टर मैगदी मेरे साथ ही साथ मेरे कमरे में भी आ गए और अपने साथ दो बैग भर के सामान लाये थे वो मुझसे खरीदने की जिद्द करने लगे। मैंने भी सोचा कि अब कल तो इनका पूरा दिन फिर से बर्बाद होना ही है तो कुछ चीजे ले ही ली जाएं तो मैने उनसे कुछ पपीरोज और कुछ अलाबस्टर की चीजें खरीद लीं जिस से वो काफी खुश हुए। इसके बाद अगले दिन सुबह 10 बजे मिलने की बात करके मिस्टर मैगदी को मैंने अच्छे मन से विदा किया, चलते चलते वो बोले कि आज जैसा मत करिएगा कि मुझे पूरा दिन इंतजार करना पड़े और इसके उत्तर में मैं बस मुस्करा दिया। मैं सोच रहा था कि मिस्टर मैगदी जैसे लोग लगभग हर पर्यटन स्थल पर पाए जाते हैं और पर्यटकों को एक अजीब सा अनुभव देते हैं जो कतई अच्छा तो नहीं ही होता है।

अगले दिन सुबह ही सुबह मेरी टैक्सी आ गयी और मैं अपना सामान लेकर एयरपोर्ट की ओर निकल पड़ा। जब एयरपोर्ट पहुंच कर मैंने टैक्सी वाले से बिल पूछा तो वो लगभग जो मैंने आते में दिया था उस से आधा ही था। इस पर मैंने टैक्सी वाले से पूछा कि क्या ये कोई अलग रास्ता है जो पैसे कम लगे तो उसने कहा कि नहीं ऐसा तो नहीं है और ये वही रास्ता है जिस से मैं आया होऊंगा। मेरे आते समय टैक्सी में बैठने पर मिस शिरीन की उस तिरछी मुस्कान का रहस्य अब मेरी समझ मे आ चुका था।

काहिरा एयरपोर्ट पर पहुंच कर चैक-इन आदि की औपचारिकताएं पूरी कर हवाई अड्डे पर बैठा सोच रहा था अपनी इस मिस्र यात्रा के बारे में। मैं सोच रहा था कि जब तक खुद देखा न जाये तो आप सोच ही नहीं सकते कि हमारी इस पृथ्वी पर कोई इतनी खूबसूरत जगह भी हो सकती है। Egypt is a very very beautiful place. इस यात्रा में कई क्षण ऐसे आये जहां लगा कि मानो जैसे सदियों से समय ही ठहर सा गया हो जैसे इजिप्शियन म्यूज़ियम में खासतौर से फराओ तूतनखामुन की रॉकिंग चेयर के सामने पड़े गुलाब के फूल और गुलाब के फूल की पत्तियों को देख कर, जैसे पिरेमिडों के सामने एवं पिरैमिड के अंदर और जैसे कि स्फिंक्स के सामने लगा कि हजारों साल से समय यहां ठहरा सा ही हुआ है और शायद मैं स्वयं भी हजारों वर्ष पहले के समय में पहुंच गया था। हां एक exporter के नाते यहां मुझको अपने किस्म के products के लिए कोई बहुत उत्साहवर्धक बात नहीं लगी लेकिन एक बात और भी है कि यदि आपको किसी स्थान पर अथवा किसी व्यक्ति से व्यापार करने में मन में हिचकिचाहट महसूस हो तो उस स्थान/व्यक्ति से व्यापार नहीं ही करना चाहिए, कम से कम उस वक़्त तो नहीं और इसीलिए मैंने इजिप्ट से व्यापार करने का इरादा कभी भविष्य के लिए टाल दिया। लेकिन हां एक पर्यटक के लिहाज से मिस्र एक बहुत ही खूबसूरत, रहस्यमय और रोमांचित कर देने वाली जगह है और यहां अवश्य जाना चाहिए लेकिन बहुत सावधान भी रहना चाहिए। यही सब सोचते हुए न जाने कितना समय निकाल गया और जहाज की बोर्डिंग की घोषणा हो गयी और मैं जहाज में अपनी खिड़की की तरफ वाली सीट पर बैठ गया। इस प्रकार अंततः मैं Egypt Air के जहाज में बैठ कर चल पड़ा था अपने अगले पड़ाव लंदन,इंग्लैंड के लिए।

अब हमारा जहाज काहिरा के हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ चला था। यह यात्रा लगभग 3500 किलोमीटर की थी और इसमें लगभग 5 घंटे का समय लगना था। इजिप्ट एयर का जहाज बहुत अच्छा था और उसमें उपलब्ध सेवाएं/सुविधाएं भी उत्कृष्ट कोटि की थीं। आज जब मैं ये संस्मरण ईस्वी सन 2017 में लिख रहा हूं और अब जबकि मैं विश्व की अनेकों वायुसेवाओं (Airlines) में चल चुका हूं तो भी यह कह रहा हूं कि Egypt Air की सेवाएं तो बहुत अच्छी थी हीं लेकिन उनका Asian Vegetarian meal यानी कि शाकाहारी भोजन अत्यन्त स्वादिष्ट, बेहद लजीज ,लाजवाब और मेरे अब तक के अनुभवों में सर्वोत्तम में से एक था।

It was fabulous!

उन्होंने क्या परोसा था ये आज मुझको ठीक से याद नहीं है किंतु उसका स्वाद जैसे आज भी मस्तिष्क में अंकित है और वो गजब का था।

जहाज में बैठे बैठे मैं सोच रहा था अपनी व्यापारिक तैयारियों के विषय में। मैंने अपना परिचय देने हेतु एक Brochure भी बनाया था। इस ब्रोशर में कुछ सैम्पिलों के फोटो थे और हमारी फर्मों का परिचय था English, German, French & Arabic भाषाओं में। इस ब्रोशर को बनाने में मेरे इलाहाबाद विश्विद्यालय के सर गंगानाथ झा छात्रावास के जूनियर साथी रहे संजीव शुक्ला और उनके कुछ मित्रों ने बड़ा सहयोग किया था। संजीव उस समय दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र थे और मेरे छोटे भाई अभिनव के अभिन्न मित्र। संजीव शुक्ला ने JNU के जर्मन भाषा विभाग की किसी छात्रा से हमारे परिचय वाले matter का जर्मन भाषा में अनुवाद करवाया।फिर हम लोग फ्रेंच के अनुवाद के लिए दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन स्थित फ्रेंच भाषा सिखाने वाले alliance francaise संस्थान में गए जिसका पता हमको फ़िरोज़ाबाद के दिल्ली प्रवासी अखिल चतुर्वेदीय ‘मुन्ना’भाईसाहब ने बताया था जिन्होंने मेरे यात्रा टिकट और वीसा भी करवाये थे। असली समस्या अरबी के अनुवाद में आई। उस समय हम लोगों को दिल्ली में अरबी भाषा का कोई टाइप करने वाला व्यक्ति या व्यवस्था नहीं मिला फिर संजीव शुक्ला आदि ने जामा मस्जिद के पास से एक अनुवादक और कातिब यानी कि हाथ से बहुत अच्छा और सुंदर लिखने वाला ढूंढा तब जाकर ये समस्या हल हुई और हमारे ब्रोशर की छपाई हो पायी। इस ब्रोशर और खास तौर पर डिज़ाइन किये गए logo वाले विज़िटिंग कार्ड ने मुझको एक्सपोर्ट के व्यापार में पहचान बनाने में बहुत मदद की। इस ब्रोशर के लिए मैं अपने छोटे भाई के समान संजीव शुक्ला, जो कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार के होमगार्ड्स विभाग में D.I.G. उ०प्र०होमगार्ड्स के पद पर कार्यरत हैं, उनका सदैव आभारी रहूंगा।

एक बात और भी उल्लेखनीय है कि मेरी इस यात्रा के बाद मेरी यूरोप के देशों की अनेक यात्राएं हुईं हैं और एक ही देश की कई-कई बार भी इसलिए मैंने सोचा कि जब एक देश के विषय में लिखूं तो कोशिश की जाए कि वहां की बाद की यात्राओं के अनुभव भी उसमें समाविष्ट करता चलूं। 1991 की जब इस यात्रा को पूरा करके मैं वापिस हिंदुस्तान पहुंचा तो मेरा एक्सपोर्ट का काम शुरू हो गया था किंतु बाद में जब मैंने International Trade Fairs में भाग लेना शुरू किया तो व्यापार की असली बढ़त हुई थी किन्तु उसकी चर्चा उपयुक्त समय पर करूंगा।

अपनी विदेश यात्रा की तैयारियों में मेरी एक और तैयारी भी थी और वो थी ठहरने के इंतजाम की। इसके लिए मैंने एक तो Youth Hostel की Life Membership ली थी। इस से आप सारे विश्व में जहां भी यूथ हॉस्टल हो उसमें बहुत मुनासिब दामों पर ठहर सकते हैं और यूथ हॉस्टल देश विदेश घूमने वाले सैलानियों के लिए वाकई एक बहुत ही सुविधाजनक व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त मैंने ISKCON यानी देशी भाषा में कहें तो हरे रामा हरे कृष्णा या अंग्रेजों के मंदिर वालों की संस्था की भी Life Membership ली थी जो उस समय 7777/= रुपयों में मिली थी। अपनी इस यात्रा में आगे आने वाले यूरोपीय देशों में मेरा इरादा इन दोनों ही सदस्यताओं की सुविधा के अधिकतम इस्तेमाल का था।

हां तो मैं इजिप्ट एयर के जहाज में बैठा उनके लजीज शाकाहारी व्यंजनों का लुत्फ उठाते हुए अब लंदन, इंग्लैंड की ओर अग्रसर था।

अगले अंक में चर्चा है लंदन के मेरे पहले इम्प्रेशन की...

लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति हैं। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। तीन दशक से अधिक वैश्विक यात्राओं के साक्षी।

Tags:    

Similar News