अंग्रेजों के रजवाड़े और आसपास के बगीचे तथा लेडी डायना की झलक

Update: 2024-11-12 11:13 GMT

सिंदबाद ट्रैवल्स-37

इंग्लैंड-लंदन

मैडम तुसादस म्यूजियम से चल कर अब मैं ग्रीनपार्क ट्यूब स्टेशन से निकल कर इंग्लैंड की राजशाही के शाही निवास बकिंघम पैलेस की तरफ पैदल ही बढ़ चला था। मुश्किल से 10 मिनट में पैदल चलते हुए मैं बकिंघम पैलेस के मुख्य गेट के सामने था।

बकिंघम पैलेस ईस्वी सन 1703 में Duke of Buckingham के लिए बनवाया गया था। ये लंदन के City of Westminster में स्थित है। सन 1837 में महारानी विक्टोरिया के राज्यारोहण के साल में ये लंदन में इंग्लैंड के शासक का पूरे तौर से सरकारी निवास बन गया और तबसे ये इंग्लैंड के शासकों का सरकारी आवास बना हुआ है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुई बमबारी में इसको भी कुछ नुकसान पहुंचा था। वर्तमान में ये लंदन में रानी एलिजाबेथ द्वितीय यानी कि यूनाइटेड किंगडम के शासक का निवास और प्रशासनिक मुख्यालय है। बकिंघम पैलेस एक अत्यंत विशालकाय महल है और आधुनिक काल के उन गिने चुने महलों में है जहां आज भी सचमुच के राजा-रानी रहते हैं। जब मैं वहां पहुंचा तो मुझको मालूम पड़ा कि उस दिन किसी कारण से महल के अंदर घूमना/जाना संभव नहीं था इसलिए मैंने इंग्लैंड के इस शाही निवास को केवल बाहर से ही देखा। बकिंघम पैलेस एक अत्यंत भव्य इमारत है, वहां किसी ने बताया कि इसमें 1500 से अधिक दरवाजे और 750 से अधिक कमरे और 40,000 से अधिक बिजली के रौशनी के बल्ब हैं। इसके बाहर मुख्य द्वार जो कि लोहे के सींखचों का बना एक भव्य द्वार था, उस पर लाल कोट और काली पैंट वाली प्रसिद्ध वर्दी और बड़े बड़े नकली झब्बेदार काले बालों के टोपे लगाए वहां के प्रसिद्ध अंग्रेज सैनिक तैनात थे और ड्यूटी बदलते वक्त उनकी एक सी चाल, हाथों में हथियार लिए चलना और उस समय उनके सिर के नकली बड़े बड़े बालों का हिलना एक अद्भुत दृश्य उपस्थित कर रहे थे। उस महल के बाहर खड़ा होकर मैं ये सोच रहा था कि अभी पचास-साठ वर्ष पहले ही तो इस महल के शासकों का इतना विशाल शासन क्षेत्र था कि कहा जाता है कि इनके राज्य में सूरज नहीं डूबता था और आज इनका साम्राज्य सिर्फ यहीं सिमट कर राह गया है बस ग्रेट ब्रिटेन में लेकिन एक बात जो और मन में बार बार आ रही थी वो ये थी कि क्या कारण है कि हम लोग चीन के 1962 के कटु अनुभवों को भी नहीं भूल पाए हैं जबकि इस देश के लोग जिनका एक जमाने में दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर शासन था और आज नहीं है किंतु उन्होंने अपना शासन समाप्त होने या अपने साम्राज्य के पतन होने की घटना को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया है और इस देश में इस अत्यन्त बड़े ऐतिहासिक घटनाक्रम के बाद भी सबका जीवन सामान्य है बिना किसी मलाल के।

बकिंघम पैलेस से मैं Hyde Park की तरफ चल दिया। लंदन का ये प्रसिद्ध पार्क लगभग 600 एकड़ से अधिक का है और इसी का एक हिस्सा इंग्लैंड के दूसरे प्रसिद्ध राजशाही निवास Kensington Palace का Kensington gardens है। ये पार्क भी सेंट्रल लंदन में ही अवस्थित है और बहुत ही शानदार सुरम्य वातावरण वाला बगीचा है। इस हाइड पार्क में पहले बहसें, प्रदर्शन, कंसर्ट आदि भी होते थे। इस पार्क की हरियाली और पेड़, पौधे बहुत ही मनमोहक माहौल उत्पन्न कर रहे थे। इसमें बीच में सड़क सी निकली हुई थी और बेंचे भी पड़ी थीं जहां आप बैठ भी सकते थे। हाइड पार्क में बेंच पर बैठ कर पक्षियों की चहचहाट के बीच हरियाली को निहारना बहुत अद्भुत और दिल को बहाने वाला अनुभव था। मेरा दावा है कि यदि आप प्रकृति से वास्तव में प्रेम करते हैं तो आपका मन वहां से उठने का कभी होगा ही नहीं। मैं उन कर्मचारियों और मालियों की मन ही मन में सराहना कर रहा था जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से इतना अच्छा पार्क इतने सुंदर रूप में बना के रखा था। इस पार्क में घूमते हुए मुझको अपने राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन, श्रीनगर कश्मीर के निशात बाग और शालीमार गार्डन भी याद आये और आगरा का शाहजहां गार्डन भी किन्तु हाइड पार्क भी बहुत ही मनोरम और सुंदर स्थान था। हाइड पार्क में ही एक तरफ speakers corner है जहां सप्ताहांत में लोग इकट्ठे होकर विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रकट करते हैं।

वहां और घूमने पर मैं इंग्लैंड के राजवंश के दूसरे शाही निवास Kensington Palace के सामने पहुंचा। ये राजमहल 17वीं शताब्दी से ब्रिटिश शाही परिवार का निवास था। इसमें रहने वाले आखिरी बादशाह जॉर्ज द्वितीय थे। वर्तमान में इसमें Duke & Duchess of Cambridge तथा शाही परिवार के अन्य लोग रहते हैं। इससे लगा हुआ ही Kensington Gardens का इलाका है जो विशाल हाइड पार्क से भी जुड़ा हुआ है। ये गार्डन लगभग 275 एकड़ के विशाल इलाके में फैला हुआ है। ऐसा लगता है मानो लंदन शहर एक विशाल शरीर है और ये बगीचे उस शरीर के हरियाली युक्त सांस लेने के फेफड़ों के रूप में अपना काम कर रहे हैं। हरे भरे पेड़ों से भरे हुए बहुत ही व्यवस्थित और करीने से बने हुए ये बगीचे वास्तव में ऐसे ही हैं कि इनमें बनी बेंचों पर यदि आप बैठ जाएं तो उठने का मन ही ना हो बल्कि मन यही कहता है कि कुछ देर और बैठ लो इस सुरम्य वातावरण में, कुछ देर और। लंदन के इन हरियाली भरे बगीचों ने मेरा मन वास्तव में मोह लिया और आज भी जब मैं लंदन की याद करता हूं तो ये शानदार बगीचे मानो मेरी आंखों के समक्ष सजीव से हो उठते हैं।

इस इलाके में घूमते हुए एक घटना और हुई। मैं बकिंघम पैलेस के पास ही था और वहां पास ही सड़क पर गाड़ियां गुजर रही थीं कि अचानक कुछ सरगर्मी सी हुई। कुछ लोग थोड़ी दूर पर खड़ी एक बड़ी नेवी ब्ल्यू या काली सी गाड़ी की ओर कुछ इशारा सा कर रहे थे कि अचानक वो गाड़ी बहुत धीरे से बढ़ती हुई आयी और मैंने देखा कि उस गाड़ी के शीशे चढ़े हुए हैं और उसमें पिछली सीट पर बायीं तरफ हैट लगाए एक महिला बैठी हैं और बाहर खड़े लोगों की तरफ मुस्कुराते हुए हाथ हिला कर अभिवादन सा कर रही हैं। गाड़ी के और पास बिल्कुल पास आने पर मैंने देखा और मुझे लगा कि यह मुस्कराती हुई महिला तो मेरी देखी हुई है। अचानक ध्यान आया कि वो शानदार व्यक्तित्व और अप्रतिम सौंदर्य वाली महिला लेडी डायना थीं जो कहीं जा रही होंगी और जनता को देख कर मुस्कुराते हुए हाथ हिलाते हुए निकलना उनके स्वभाव, व्यवहार का एक अंग रहा होगा लेकिन हां इतनी प्रसिद्ध हस्ती को इतने पास से देखना वास्तव में एक सुखद अनुभूति थी।

अगले अंक में चर्चा है लंदन की प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट आदि की...

लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति हैं। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। तीन दशक से अधिक वैश्विक यात्राओं के साक्षी।

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