शिक्षक,शिक्षामित्र,अनुदेशक,कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने किया कलेक्ट्रेट का घेराव
नेहा सिंह तोमर
पहले हो शिक्षकों की समस्याओं का निस्तारण उसके बाद हो डिजिटाइजेशन की बात
गाजियाबाद। शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक कर्मचारी द्वारा एक संयुक्त मोर्चे का गठन किया गया। जिसमें प्राथमिक शिक्षक संघ, पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ, महिला शिक्षक संघ, अटेवा, टी एस सी टी, शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन एवं अनुदेशक संघ सहित कुल 19 संगठन शामिल हुए। जिसके बाद शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक, कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया।
मोर्चे के संयोजक डॉ अनुज त्यागी ने बताया कि शिक्षक शिक्षामित्र अनुदेशक तथा शिक्षक कर्मचारियों की तमाम समस्याएं शासन स्तर पर लम्बे अरसे से लंबित पड़ी हैं। जिनका समाधान आज तक शासन स्तर से नहीं हो पाया है। उनका निस्तारण करने के बजाए शासन ने बेसिक शिक्षकों की आनलाइन डिजिटल उपस्थिति के लिए आदेश दिए गए हैं।
इस अव्यावहारिक आदेश को लागू करने के लिए शिक्षकों पर दंडात्मक कार्यवाही का भय दिखाया जा रहा है जो कि न्यायोचित नहीं है। ऐसा अव्यवहारिक आदेश जारी करने से पहले शिक्षक प्रतिनिधियों से वार्ता की जानी चाहिए थी।
शिक्षकों का उद्देश्य विभागीय कार्यों में अवरोध उत्पन्न करना नहीं है। बेसिक शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक विपरीत परिस्थितियों में शिक्षण से इतर हर विभाग के कार्यों में सहयोग करते रहे हैं। निर्वाचन आयोग कई बार कह चुका है कि बेसिक शिक्षक अन्य से बेहतर कार्य को अंजाम देते हैं।
पिछले कई वर्षों से यदि बेसिक शिक्षक अपने व्यक्तिगत मोबाइल/सिम/डाटा आदि से विभागीय कार्य में सहयोग न कर रहे होते तो सरकार की DBT जैसी महत्वाकांक्षी योजना जमीन पर न उतर पाती। बिना कन्वर्जन कास्ट व बिना फल लागत के कभी MDM बाधित नही हुआ।
इसके बावजूद शिक्षकों की कर्तव्यनिष्ठा पर संदेह कर उन्हें अपमानित करने की कोशिश की जा रही है। पिछले एक दशक से बेसिक शिक्षकों की जायज समस्याओं को भी अनसुना किया जा रहा है। यदि विभाग वास्तव में बुनियादी शिक्षा/ निपुण भारत के प्रति गंभीर है तो बेसिक शिक्षकों की कठिनाइयों/समस्याओं को भी समझना होगा।
शिक्षकों की मुख्य मांगे हैं-
1. ऑनलाइन डिजिटल उपस्थिति आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाय।
2. सभी परिषदीय शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मियों को अन्य कर्मचारियो की भांति प्रति वर्ष 30 अर्जित अवकाश, हाफ डे सीएल एवं अवकाश अवधि में विभागीय कार्य के लिए बुलाने पर प्रतिकार अवकाश अवश्य प्रदान किये जायं।
3. समस्त शिक्षक कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए।
4. सभी विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद बहाल करते हुए वर्षों से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण की जाए और पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों को पदोन्नति तिथि से ग्रेड पे के अनुरूप न्यूनतम मूल वेतन 17140/18150 निर्धारित किया जाय। साथ ही शिक्षक/शिक्षिकाओं को उनके मूल जनपद/ऐच्छिक जनपद में स्थानांतरण का अवसर दिया जाए।
5. शिक्षामित्र व अनुदेशक जो वर्षों से अल्प मानदेय पर विभाग को पूर्णकालिक सेवाएं दे रहे हैं उन्हें नियमित किया जाए और जब तक यह कार्य पूर्ण नहीं होता समान कार्य समान वेतन के आधार पर मानदेय निर्धारित किया जाय। बिहार की तरह चिकित्सकीय अवकाश का लाभ उन्हें भी दिया जाय।
6. आरटीई एक्ट 2001 व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार परिषदीय शिक्षकों को समस्त गैर शैक्षणिक कार्यों से तत्काल मुक्त किया जाय।
7. समस्त परिषदीय शिक्षकों,शिक्षामित्रों, अनुदेशकों को सामूहिक बीमा,प्रीमियम मुक्त कैशलेस चिकित्सा सुविधा से आच्छादित किया जाय।
संयुक्त मोर्चे का कहना है कि यदि शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशकों की तमाम समस्याओं का निस्तारण करते हुए व्यावहारिकता के विपरीत किए गए ऑनलाइन उपस्थिति आदेश को निरस्त नहीं किया गया तो शिक्षक शिक्षामित्र, अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा अपने समस्त घटकों के साथ 29 जुलाई को महानिदेशक कार्यालय लखनऊ में व्यापक धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगा।
इस अवसर पर संयुक्त मोर्चे के संयोजक डा. अनुज त्यागी, प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाअध्यक्ष रविंद्र राणा, महिला शिक्षक संघ की जिला अध्यक्ष सलोनी मल्होत्रा, पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मो रियाजुद्दीन, अटेवा के संरक्षक सुधीर कुमार, शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष अमित गोयल, जिला महामंत्री कनक सिंह, टी एस सी टी जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, शिक्षामित्र संगठन के जिलाध्यक्ष रिजवान राणा, अनुदेशक संघ के जिलाध्यक्ष प्रवीण कुमार, आदेश मित्तल, अमित यादव, मनोज कुमार डागर, रमा सिंह, मनोज त्यागी, सागर सिद्धार्थ, संदीप कुमार,लक्ष्मण राठी,गौरव चौधरी, समस्त संगठनों के पदाधिकारियों के साथ जनपद के शिक्षक उपस्थित रहे।