आधुनिक छात्राएं सीता परित्याग को अच्छा नहीं मानतीं, जानें प्रतिभा सिंघल ने क्या बताई वजह

Update: 2024-04-19 12:51 GMT

गाजियाबाद। आर्य समाज अवंतिका यज्ञ योग कार्यशाला दयानन्द पार्क में आचार्य डा. सुश्रुत सामाश्रमी के ब्रह्मत्व में महायज्ञ हुआ जिसमें मुख्य यज्ञमान जगदीश आर्य के सुपुत्र सतीश आर्य एवं नूतन आर्य रहे। सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक पंडित कुलदीप विद्यार्थी द्वारा श्रीराम महिमा के मनमोहक भजनों की प्रस्तुति की गई, जिसे सुनकर श्रोता भावविभोर हो गए। पंडित कुलदीप विद्यार्थी ने बताया कि श्रीकृष्ण अष्टमी को, श्रीराम नवमी को, महर्षि दयानंद दसवीं को पैदा हुए थे।

पानीपत से आये मुख्यवक्ता ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें राम के समान एकपत्नीव्रती,भ्रातृप्रेमी, न्यायकारी,मातृभूमि से प्रेम करने वाला, प्रजावत्सल, तपस्वी, संयमी, जातिगत भेदभाव से रहित, प्रसन्नवदन,दूसरों के गुणों का बखान करने वाला,ज्ञानवान्,वीर, शान्त, पितृभक्त होना चाहिये। नौ लाख वर्षों से आर्यजाति श्रीराम को अपना आदर्श मानती है। विश्व के इतिहास में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का कोई सानी नजर नहीं आता। उनका जीवन विश्व के प्रत्येक मानव के लिये अनुकरणीय है।

संरक्षिका डॉ. प्रतिभा सिंघल ने कहा कि आधुनिक छात्राएं श्री रामचंद्र जी को अच्छा नहीं मानती क्योंकि उन्होंने सीता का परित्याग कर दिया था जबकि सीता परित्याग का वर्णन ना तो बाल्मीकि रामायण में है और ना ही रामचरितमानस में। महाकवि भवभूति ने अपने उत्तररामचरित नाटक में सीता परित्याग का वर्णन किया है इसे रामचंद्र जी के चरित्र से नहीं जोड़ना चाहिए। पार्षद मनोज त्यागी ने कहा कि हम अपने बच्चों को राम और कृष्ण तो बनाना चाहते हैं पर वैसे संस्कार नहीं दे रहे फिर कैसे वैसी संतान की कल्पना करते हैं।

सभा का संचालन यशस्वी प्रधान वेद प्रकाश तोमर के द्वारा किया गया है। इस मौके पर मुख्य रूप से सर्वश्री प्रेम पाल सिंह, मनोज त्यागी, आशा आर्या, सत्य पाल आर्य, ज्ञान प्रभा बंसल, रेखा गर्ग, कृपाल सिंह, कविता राठी, तेजपाल आर्य एवं त्रिलोक शास्त्री आदि मौजूद रहे।

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