2024 की डगर नही आसान

2014 में कांग्रेस और बाकी विपक्ष को 61.5 फ़ीसदी वोट मिले जो 2019 आते आते 55 फ़ीसदी हो गए।विपक्ष का सोचना है की 2024में सब मिलकर लड़े और 55 फ़ीसदी वोट लाकर वो सत्ता में वापसी कर सकते है।इसके लिए वे बीजेपी और उनके साथी पार्टियों के सामने सभी विपक्षियों का एक उम्मीदवार खड़ा करेंगे ।

Update: 2023-07-17 05:28 GMT

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha election) में वैसे तो तकरीबन एक साल का समय बचा है। जिसके लिए पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी बहे कस चुके है। पर क्या यह डगर इतनी आसन है। जवाब है नहीं असल में 2024 के लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी (BJP) तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश में लगी है वही विपक्ष उसे रोकने की तैयारी में लगा हुआ है। जिसके लिए पहले पटना और आज बेंगलुरु (Bangalore Opposition Meeting) में विपक्ष को मीटिंग है। जिसमे तकरीबन 24 विपक्षी पार्टियां शामिल होने का अंदेशा है। इन सबका सिर्फ एक मकसद है 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में बीजेपी (BJP) को रोकना। विपक्ष का समीकरण है की 2019 में बीजेपी और साथी पार्टियों को 45 फ़ीसदी मतदान मिला था।और पूरे विपक्ष को 55 फीसदी वोट मिले थे।

जिसके आधार पर विपक्ष को लगता है की वो इन 55 फीसदी वोटों से सरकार बना लेगी। पर यह इतना भी आसान नहीं। आइए समझते है।2014 में जब बीजेपी नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के चेहरे पर चुनाव लड़ी थी तब बीजेपी और साथी पार्टियों को 38 फीसदी वोट मिले थे ।जो 2019 आते आते 45 फीसदी हो गए थे । वही 2014 में कांग्रेस और बाकी विपक्ष को 61.5 फ़ीसदी वोट मिले जो 2019 आते आते 55 फीसदी हो गए।विपक्ष का सोचना है कि 2024 में सब मिलकर लड़े और 55 फ़ीसदी वोट लाकर वो सत्ता में वापसी कर सकते है।इसके लिए वे बीजेपी और उनके साथी पार्टियों के सामने सभी विपक्षियों का एक उम्मीदवार खड़ा करेंगे ।इसी पर सहमति बनाने के लिए पिछले महीने बिहार की राजधानी पटना में मीटिंग हुई थी और अब आज बेंगलुरु (Bangalore) में हो रही है।

क्या है मुश्किलें

लोकसभा में कुल 545 सीटे है। 2014 में बीजेपी और साथियों में से 131 ऐसे उम्मीदवार थे जिन्हे 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। यानी 2014 में अगर पूरा विपक्ष एक हो भी जाता तो इन 131 सीटों पर उनकी हर निश्चित थी।2019 में इन आंकड़ों में बड़ा बदलाव हुवा। इस साल कुल सीटों के 224 ऐसी सीटें थी जहाँ की उम्मीदवारों को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले। यानी 2019 में विपक्ष के हाथो से 2019 के मुकाबले और 93 सीटें हाथ से जाती दिखी।

विपक्ष के लिए मुश्किल राज्य

2024 लोकसभा चुनाव में विपक्ष जो भी तैयारी कर रहा है । उसमे उसे कुछ ऐसे राज्यों पर नजर रखना जरूरी है। जहा उन्हे सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा । वो राज्य है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार काम कर रही है जहा अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने में वे कामयाब रहे । ऐसे में बीजेपी के अलावा किसी और को वहा मौका मिलना मुश्किल होगा। 2019 में कुल सीटों में से 40 सीटें बीजेपी ने जीती थी। यह मायावती की बसपा और अखिलेश की समाजवादी पार्टी अभी भी अपनी जमीन तलाश रहे है। इसके अलावा पिछले 24 साल से बीजेपी जिस राज्य में राज कर रही है वह राज्य है गुजरात। यह भी पिछली बार 26 सीटें बीजेपी की थी। मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मामाजी यानी शिवराज सिंह चौहान की सरकार सत्ता में है यह भी पिछली बार 25 सीटें बीजेपी की थी। रही बात राजस्थान की तो वह भी हालत कुछ अच्छे नहीं। आज की तारीख में भले। वहा कांग्रेस की सरकार है और सब ठीक होने के दावे भी कर रहे हो पर हालत वहा भी अलग नहीं।वहा भी पिछली बार बीजेपी के खाते में 23 सीटें आई थी। इसके अलावा दिल्ली में सभी 7 सीटें बीजेपी को मिली थी । इनके अलावा

जम्मू कश्मीर २ पंजाब 1 चंडीगढ़ 1 हिमाचल 4 हरियाणा 9 उत्तराखंड 5 बिहार 14 असम 7 अरुणाचल 2 त्रिपुरा 1 पश्चिम बंगाल 5 झारखंड 8 छत्तीसगढ़ 6 कर्नाटक 22 गोवा 1 महाराष्ट्र 15 

पिछला चुनाव कई मायनों में सीख देने वाला था । 2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी ने गांधी परिवार के गढ़ को निस्तेनाबूत कर दिया और राहुल गांधी (Rahul Gandhi)अपनी सीट तक नहीं बचा पाए थे। इसके अलावा विपक्ष साथ दिखने की कोशिश तो कर रहा है पर है नही। पटना में भी मीटिंग में 15 पार्टियां थी पर प्रेस कांफ्रेंस में केवल 14। अरविंद केजरीवाल तब भी अपने अध्यादेश को लेकर परेशान थे और आज भी वो इसी मुद्दे पर लड़ रहे है। आज की मीटिंग में खबर तबीयत के कारण टीएमसी नेता ममता बनर्जी नहीं आ रही । वही एनसीपी नेता शरद पवार भी उनकी पार्टी में चल रहे भूचाल से दो चार हो रहे है जिस कारण वह भी नहीं आने वाले । जहां विपक्ष के साथी टूट रहे है वही एनडीए अपना कुनबा बढ़ा रहा है। पंजाब में अकाली और आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू एनडीए के करीब आ चुके है। ऐसे में 2024 में विपक्ष का सपना पूरा होना मुश्किल नजर आ रहा है।

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