पीएम मोदी: पीएम मोदी ने यूं ही नहीं कहा 'छोटे कैनवास पर बड़ी तस्वीरें नहीं बनाई जा सकतीं', लगाए जा रहे हैं ये कयास

Update: 2023-09-19 13:36 GMT

नए संसद भवन जाने की प्रक्रिया से पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने संसद भवन में सदन को संबोधित करते हुए 'बड़े कैनवास' का जिक्र किया, तो विपक्षी दलों से लेकर सियासी गलियारों में कयास लगाए जाने लगे कि आखिर वह बड़ा कैनवास है क्या? आखिर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह क्यों कहा कि छोटे कैनवास पर क्या बड़ा चित्र बनाया जा सकता है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि महिला आरक्षण बिल को पेश किए जाने की जानकारी पहले ही आ गई थी। ऐसे में चर्चा यही हो रही है कि आखिर इस बिल के अलावा भी क्या अभी पीएम मोदी के पिटारे में कुछ है, जो अभी निकलना बाकी है। हालांकि संसदीय मामलों से जुड़े रहे नेताओं और जानकारों का मानना है कि महिला आरक्षण बिल ही स्वयं में बहुत बड़े रिफॉर्म और चर्चा का विषय है कि फिलहाल इस विशेष सत्र में इसके सिवा कुछ और 'बड़े कैनवास' जैसा बिल आने की संभावना न के बराबर है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बदलाव की यह बयार अलग-अलग तरह से बड़े रिफॉर्म्स के तौर पर आने वाले दिनों में ऐसी ही दिखती रह सकती है।


दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान सदन में भारत के बदलते परिवेश में खुद को आगे बढ़ाने और विरासत के माध्यम से बड़े कैनवास को बनाने की बात की तो सियासी गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गईं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहना शुरू किया कि क्या किसी छोटे कैनवास पर कोई बड़ा चित्र बनाया सकता है। जैसे छोटे कैनवास पर बड़ा चित्र नहीं बन सकता, वैसे ही हम भी अगर अपने सोचने के कैनवास को बड़ा नहीं कर सकते, तो भव्य भारत का चित्र भी अंकित नहीं कर सकते। उसके बाद सदन में जमकर तालियां बजीं। अपनी बात को आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देते हुए कहा कि हमें बड़े कैनवास पर काम तो करना ही होगा। क्योंकि अब हमारे लिए छोटी-छोटी चीजों में उलझने का वक्त चला गया है। अपने इस संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे पास 75 साल का अनुभव है। बहुत बड़ी विरासत है। अगर इस विरासत के साथ हमारे सपने जुड़ जाएं तो हमारे सोचने का कैनवास बड़ा हो सकता है और भारत की तस्वीर बदल सकती है। उसमें रंग भरने का काम हम भी कर सकते हैं।

सदन में कैनवास को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन पर तमाम तरह की सियासी अटकलें भी लगाई जानी शुरू हो गईं। इसमें विपक्षी नेताओं से लेकर पूर्व सांसदों और बड़े राजनीतिक जानकार भी महिला आरक्षण बिल के पेश होने की घोषणा के बाद तमाम तरह के कयास लगाने लगे। पूर्व सांसद रहे आरएल कनौजिया कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से ही सरप्राइज देते आए हैं। इसलिए यह कह देना कि उनके कैनवास का जिक्र सिर्फ सामान्य रूप से ही था, तो ऐसा नहीं माना जाना चाहिए। कनौजिया कहते हैं कि इस विशेष सदन में प्रधानमंत्री महिला आरक्षण बिल पेश किया जा चुका है। हालांकि सदन की कार्यवाही अब कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है, लेकिन चर्चाएं तो इस तरह की भी हो रही हैं कि कुछ भी और बड़ा नया सरप्राइजिंग हो सकता है। हालांकि वह मानते हैं कि महिला आरक्षण बिल खुद में बहुत प्रभावकारी बिल है। इससे देश की आधी आबादी को न सिर्फ बहुत बड़ी मजबूती मिलने वाली है, बल्कि देश के नीति निर्धारण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका भी होने वाली है। लेकिन वह कहते हैं कि जब सबको सोमवार की रात को ही पता चल गया कि महिला आरक्षण बिल मंगलवार को पेश होने वाला है, उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़े कैनवास का जिक्र फिर किसी सरप्राइजिंग फैक्टर पर सोचने को मजबूर करता है।

इस बारे में दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो बात छोटे कैनवास पर बड़ा चित्र न बनाने की कही, उसका आशय यही है कि हम सबको मिलकर बहुत बड़ा सोचना होगा। ताकि देश के विकास के लिए हम सब वह रंग भर सके, जिससे समूची दुनिया में भारत का नाम रोशन हो। सांसद मनोज तिवारी कहते हैं कि शक्ति वंदन अधिनियम से देश में कितना क्रांतिकारी बदलाव होने वाला है, इसे शायद पुरानी सरकारों ने महिलाओं को मिलने वाली ताकत के नजरिए से सोचा ही नहीं। वह कहते हैं अब जब मोदी सरकार ने महिलाओं को ताकत देने के लिए शक्ति वंदन अधिनियम बिल पेश किया है, तो समूची दुनिया में हमारे देश की नारी शक्ति का झंडा बुलंद होने वाला है। हालांकि सियासी जानकार भी मानते हैं कि शक्ति वंदन अधिनियम बिल इस विशेष लोकसभा के सत्र का सबसे महत्वपूर्ण बिल है। इसलिए अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैनवास पर दिए गए बयान को इसी बिल और उसके पड़ने वाले व्यापक असर के तौर पर ही देखा जाना चाहिए।

संसदीय मामलों के जानकार अशोक दुआ कहते हैं कि कयास तो किसी भी चीज के लगाए जा सकते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से जोर देकर अपने कैनवास को बड़ा करने की बात कही है, उसे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में इस तरीके के और भी बड़े रिफॉर्म किए जाने बाकी हैं। अब वह रिफॉर्म किस तरीके के होंगे और कब होंगे यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा। लेकिन कुछ मसलों पर सदन से लेकर सियासी गलियारों में अंदर खाने चर्चाएं होती ही रहती हैं। दुआ मानते हैं कि मोदी सरकार का महिला आरक्षण पर पेश किया गया बिल एक और महत्वपूर्ण कड़ी है। वह कहते हैं कि अनुमान यही लगाया जा रहा है कि महत्वपूर्ण रिफॉर्म में देश को अलग मुकाम पर पहुंचने वाले कई बिल पेश होते रहेंगे और कानून बनते रहेंगे। अशोक दुआ मानते हैं कि राजनीतिक तौर पर इसमें भाजपा को सियासी फायदा तो दिख ही रहा है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि सियासी तौर पर यह बहुत बड़ा पॉलिटिकल शॉट भी है।

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