अब चुनाव लड़ने पर रार, पंजाब के किसानों ने चढूनी गुट के सामने रखी थी ये शर्त; लेकिन नहीं बात

By :  Shashank
Update: 2024-02-29 06:01 GMT

पंजाब के किसान संगठनों ने चढूनी के सामने चुनाव न लड़ने की शर्त रखी थी। इस शर्त पर आंदोलन में शामिल होने की बात कही थी। लेकिन चढूनी गुट को शर्त स्वीकार नहीं है। चढनी गुट का कहना है कि किसी को चुनाव लड़ने से रोकना ठीक नहीं है। किसानों के हित में सरकार में जगह बनानी होगी।

शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलनरत किसान संगठनों के साथ भारतीय किसान यूनियन चढूनी गुट अभी तक नहीं जुड़ पाया है। जबकि दोनों संगठनों के नेताओं की बैठक भी हो चुकी हैं। बताया जा रहा है कि आंदोलनरत संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनीतिक) व किसान मजदूर मोर्चा भाकियू चढूनी गुट के बीच चुनाव रोड़ा बन रहा है।

दरअसल, आंदोलनरत संगठन ने चढूनी गुट के सामने शर्त रख दी है कि वह आंदोलन में जुड़ सकते हैं मगर उन्हें चुनाव से दूरी बनाकर रखनी होगी। अगर ये शर्त उन्हें स्वीकार है तो वह भाकियू चढूनी गुट को आंदोलन में शामिल करेंगे मगर चढूनी गुट इस बात पर राजी नहीं है।

चढूनी गुट का कहना है कि वह आंदोलनरत किसानों की सभी मांगों पर सहमत है, लेकिन किसी को चुनाव लड़ने से रोकने जैसी शर्त लगाना ठीक नहीं है। पिछले किसान आंदोलन में भी चढूनी गुट के चुनाव लड़ने के एलान पर संयुक्त किसान मोर्चा के कई नेताओं ने आपत्ति दर्ज कराते हुए विरोध जताया था।

ग्रामीण किसान संघर्ष समिति राजस्थान व किसान आंदोलन के मीडिया प्रभारी रणजीत राजू ने बताया कि आंदोलन किसी के चेहरे पर नहीं है बल्कि मुद्दों पर है। कोई हमारे पास आएगा तो हम गर्मजोशी से स्वागत करेंगे, चाहे वह संयुक्त किसान मोर्चा हो या दूसरा कोई संगठन।

हमारी पहले भी भाकियू चढूनी गुट के वरिष्ठ किसान नेताओं के साथ बैठक हुई थी, हमने यही कहा था कि सभी का स्वागत है मगर जो आंदोलन में आए, वह यह घोषणा करके आए कि चुनाव में नहीं जाएगा। हम किसानों के मुद्दों की लड़ाई लड़ रहे हैं।

हम किसानों के भविष्य की सोच रहे: राकेश बैंस

भारतीय किसान यूनियन चढूनी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश बैंस ने बताया कि हमारे पास किसान नेता रमनदीप मान और रणजीत राजू राजस्थानी बैठक के लिए आए थे। हमने कहा था कि आंदोलन शर्तों पर नहीं चलता है, क्योंकि हर एक की अपनी विचारधारा है। हमारा मानना है कि हमें आंदोलन या किसानों की आवाज उठाते हुए 30 साल का समय हो गया है।

हम उस विचारधारा के लोग हैं, जिस पर चौधरी छोटूराम, चौधरी देवीलाल ने काम किया। इन सभी ने किसानों के लिए संघर्ष किया। यदि किसान की जीवनी बदलनी है तो हमें सरकार में अपनी जगह सुनिश्चित करनी हाेगी। वरना हम तो दबाव समूह हैं, नीति बनकर आती है तब हम दबाव बना रहे हैं।

इस प्रकार से हम तो इनसे आगे की सोच रहे हैं। इस प्रकार से शर्तें बनाकर आंदोलन में बुलाना हम ठीक नहीं समझ रहे हैं। हम कह रहे हैं इसे छोड़ दें और मुद्दे पर आएं। हम तो पीछे रहकर काम कर लेंगे।

शंभू और टयूकर बॉर्डर पर आगामी रणनीति बनाने में जुटे रहे किसान

उधर, शंभू और कुरुक्षेत्र के टयूकर बॉर्डर पर किसान और जवान डटे हुए हैं। पंजाब की सीमा पर धरना दे रहे किसान बुधवार को नारेबाजी करते नजर आए। वहीं आगामी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। हालांकि अभी तक इसका खुलासा नहीं किया गया है। किसानों ने 29 फरवरी तक के लिए दिल्ली कूच की चेतावनी दे रखी है।

इसके चलते प्रशासन ने ट्यूकर और शंभू बॉर्डर पर पुलिस व अर्ध सैनिक बलों के जवानों को सतर्क किया है। शाहाबाद में नेशनल हाईवे पर कुछ ढील के साथ कड़ी निगाह भी रखी जा रही है। फिलहाल सील किया गया नेशनल हाईवे पूरी तरह नहीं खोला गया है।

उधर, भाकियू अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने वीरवार को कुरुक्षेत्र में बैठक बुलाई है जिसमें आंदोलन को लेकर आगामी रणनीति तैयार की जाएगी। कैथल के पंजाब से लगती सीमा पर भी किसानों की चेतावनी के मददेनजर पुलिस प्रशासन की कड़ी नजर है। 

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