चंद्र मिशन:चंद्रयान-3 के बाद रूस का लूना-25 लॉन्च, इसरो ने दी बधाई; कहा- अंतरिक्ष यात्रा में एक और मुलाकात

Update: 2023-08-11 06:59 GMT

भारत के बाद अब रूस ने भी लूनर मिशन लूना-25 लॉन्च किया है। 47 साल बाद रूस ने अपना यान भेजा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को लॉन्च किए जाने वाले इस चंद्रयान मिशन के लिए रूसी अंतरिक्ष एजेंसी को बधाई दी। इसरो ने यह भी कामना की कि चंद्रयान-3 और लूना-25 दोनों मिशन अपने लक्ष्य प्राप्त करें।

रूसी अंतरिक्ष एजेंसी को बधाई।'

इसरो ने कहा कि लूना-25 के सफल प्रक्षेपण पर रोस्कोसमोस को हमारी बधाई। हमारी अंतरिक्ष यात्रा में एक और मुलाकात अद्भुत है। उन्होंने कहा, ''चंद्रयान-3 और लूना-25 मिशन को अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए शुभकामनाएं।'' बता दें, रोस्कोसमोस रूसी अंतरिक्ष एजेंसी है।

47 साल बाद रूस ने भेजा अपना यान

रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने भी शुक्रवार को लॉन्च होने वाले लूना-25 मिशन के बारे में पुष्टि की है। इससे पहले रोस्कोसमोस ने साल 1976 में लूना-24 लॉन्च किया था। रूस ने 47 साल बाद अपना यान भेजा है। लूना 25 को मॉस्को से लगभग 5500 किलोमीटर पूर्व में स्थित अमूर ओब्लास्ट के वोस्टोनी कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। कहा जा रहा है कि भारत के चंद्रयान-3 से पहले रूस का लूना-25 चंद्रमा पर कदम रखेगा।

रूसी लैंडर 7-10 दिनों तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाएगा

रूसी मीडिया के मुताबिक, शुक्रवार 11 अगस्त को सुबह 4.40 बजे लूना-25 लैंडर को रूस के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया। लूना-25 को सोयुज 2.1B रॉकेट से चंद्रमा पर भेजा गया था। इसे लूना-ग्लोब मिशन नाम दिया गया है। रॉकेट की लंबाई लगभग 46.3 मीटर है, जबकि इसका व्यास 10.3 मीटर है। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोसमोस का कहना है कि लूना-25 चांद के लिए रवाना हो चुका है. पांच दिनों तक यह चांद की ओर बढ़ेगा. इसके बाद 313 टन वजनी रॉकेट 7-10 दिन तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाएगा. उम्मीद है कि 21 या 22 अगस्त को यह चांद की सतह पर पहुंच जाएगा.

नासा ने किया पानी खोजने का दावा

रूसी मीडिया के मुताबिक, रूस की योजना चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने की है। विशेषज्ञों का कहना है कि चांद के इस ध्रुव पर पानी होने की संभावना है. बता दें, 2018 में NASA ने कहा था कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी है. लूना -25 में एक रोवर और एक लैंडर है। इसका लैंडर करीब 800 किलोग्राम का है। लूना-25 करेगा सॉफ्ट लैंडिंग का अभ्यास लैंडर में एक विशेष उपकरण लगा है, जो छह इंच सतह खोदेगा. लूना चट्टान और मिट्टी के 25 नमूने एकत्र करेगा। इससे जमे हुए पानी की खोज हो सकेगी. रूस का मकसद है कि भविष्य में जब भी इंसान चांद पर अपना बेस बनाए तो उसे पानी की कोई दिक्कत न हो।

चंद्रयान-3 से पहले रूस चांद पर लैंडिंग कर सकता है

उम्मीद है कि 21 या 22 अगस्त को यह चांद की सतह पर पहुंच जाएगा. वहीं, भारत द्वारा 14 जुलाई को चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया था, जो 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरेगा। लूना-25 और चंद्रयान-3 की लैंडिंग का समय लगभग एक ही होगा. लूना कुछ घंटे पहले चांद की सतह पर उतरेगा. रूस ने इससे पहले 1976 में चंद्रमा पर लूना-24 उतारा था। दुनिया में अब तक जितने भी चंद्रमा मिशन हुए हैं वे चंद्रमा की भूमध्य रेखा तक पहुंचे हैं। लेकिन अगर लूना-25 सफल होता है तो यह पहली बार होगा जब कोई देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।

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