पश्चिम बंगाल में कैसे हुआ राशन घोटाला, ईडी पर हमले की कहानी क्या, इस पर ममता सरकार का क्या दावा?
पश्चिम बंगाल में यह घोटाला राशन वितरण में सामने आया था। दावा है कि यह घोटाला पिछले एक दशक से अधिक समय से चल रहा है और कोविड काल में इसमें तेजी आई। मामले में ममता बनर्जी का कहना है कि यह सब वाम मोर्चा सरकार की देन है।
पश्चिम बंगाल में ईडी की छापेमारी और कार्रवाई के दौरान इसके अधिकारियों पर हमले को लेकर सियासत जारी है। इस बीच यह मामला सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंच गया। मामले में गुरुवार को सुनवाई हो सकती है। वहीं, घटना को कई दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक आरोपी तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहां शेख की गिरफ्तारी नहीं हुई है। इस मामले में भाजपा सत्ताधारी टीएमसी पर आरोप लगा रही है। भाजपा के आरोपों पर टीएमसी नेता कुणाल घोस ने पलटवार किया और कहा कि शाहजहां मिले तो हमें भी बताएं।
दरअसल, बीते शुक्रवार को ईडी पश्चिम बंगाल के राशन घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख के आवासों पर छापेमारी करने गई थी। इस दौरान ईडी के अधिकारियों की गाड़ियों पर पत्थरबाजी की गई। आरोप टीएमसी नेता शाहजहां शेख के समर्थकों पर लगा। अधिकारियों पर हमले के बाद राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने ममता सरकार को कानून व्यवस्था संभालने की हिदायत दी है।
आखिर है क्या राशन घोटाला?
पश्चिम बंगाल में यह घोटाला राशन वितरण में सामने आया था। जांचकर्ताओं और बंगाल भाजपा नेताओं का दावा है कि यह घोटाला एक हजार करोड़ से कम का नहीं है। इनका यह भी दावा है कि यह घोटाला पिछले एक दशक से अधिक समय से चल रहा है और कोविड के वर्षों के दौरान इसमें तेजी आई है।
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा सूचीबद्ध चावल मिलों और आटा मिलों को खरीदे गए गेहूं को पीसने के लिए भेजा जाता है और इसके बाद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत उचित मूल्य राशन की दुकानों से लाभार्थियों को बांटा जाता है।
सरकारी वितरक मिल मालिकों से गेहूं उठाते हैं और उन्हें राशन की दुकानों में आपूर्ति करते हैं। प्रत्येक वितरक के पास संचालन का एक निश्चित क्षेत्र होता है और वे कितनी दुकानों पर अनाज वितरित कर सकते हैं इसकी संख्या भी पहले से तय होती है। वितरक मिलों से कितनी मात्रा में अनाज खरीद सकते हैं, यह भी निश्चित होता है और उनकी डिलीवरी रसीदों में इसका जिक्र किया जाता है।
यहीं से शुरू होती है कथित भ्रष्टाचार की कड़ी। आरोप है कि वितरकों ने मिल मालिकों के साथ मिलकर राशन की दुकानों में वितरण के लिए मिलों से निर्धारित मात्रा से कम मात्रा में राशन उठाया। जांच एजेंसियों का दावा है कि इससे राशन वितरण प्रणाली में 20-40 फीसदी तक का घाटा हुआ। इसके बाद बचे हुए अनाज को खुले बाजारों में बाजार दरों पर बेच दिया गया और इससे होने वाली आमदनी को सिंडिकेट के सदस्यों के बीच कमीशन के रूप में बांटा गया।
घोटाले के आरोप किन पर लगे हैं?
पिछले साल अक्तूबर में राशन में घोटाले के आरोप में जांच एजेंसी ने पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री ज्योति प्रियो मलिक को गिरफ्तार किया था। मलिक 2011 से 2021 तक राज्य के खाद्य और आपूर्ति मंत्री थे। इसी अवधि के दौरान कथित भ्रष्टाचार हुआ था। ईडी ने अदालत में दावा किया है कि न केवल यह घोटाला मलिक की निगरानी में हुआ, बल्कि उसके पास इस बात के सबूत हैं कि वह प्रत्यक्ष लाभार्थी थे और उन्होंने अपराध से हुई आय को वैध बनाने में अपनी भूमिका निभाई।
13 अक्तूबर 2023 को प्रवर्तन निदेशालय ने बकीबुर रहमान को गिरफ्तार किया था। बकीबुर को करोड़ों रुपये के राशन घोटाले में एक अहम कड़ी माना जाता है। ईडी ने अदालत में दावा किया कि वह गेहूं की हेराफेरी में सक्रिय रूप से शामिल था। ईडी ने अदालत में यह भी कहा कि ज्योति प्रिय मलिक की पत्नी और बेटी बकीबुर की कंपनी में हितधारक रह चुकी हैं। एजेंसी ने मलिक के चार्टर्ड अकाउंटेंट और बाकिबुर के बयानों का हवाला देते हुए दावा किया कि मंत्री के निर्देश पर अनियमितताएं की गईं।
अभी क्या हुआ है?
घोटाले में धन शोधन की जांच कर रही ईडी ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में 15 स्थानों पर छापेमारी की। पीडीएस घोटाले के मामले में एजेंसी उत्तर 24 परगना में टीएमसी संयोजक शाहजहां शेख के तीन परिसरों पर तलाशी ले रही थी। तलाशी के दौरान एक परिसर में सीआरपीएफ कर्मियों के साथ ईडी टीम पर 800-1000 लोगों ने हमला किया। शाहजहां को ज्योति प्रिय मलिक का करीबी माना जाता है।
ईडी ने एक बयान में कहा कि हमलावर लाठी, पत्थर और ईंट से लैस थे। इस घटना में ईडी के तीन अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल ईडी अधिकारियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हिंसक भीड़ ने ईडी अधिकारियों के निजी और आधिकारिक सामान जैसे उनके मोबाइल फोन, लैपटॉप, नकदी, वॉलेट आदि भी छीन लिए। इसके साथ ही ईडी के कुछ वाहनों को भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
मामले में तृणमूल कांग्रेस का रुख क्या है?
हालिया घटना के बाद टीएमसी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने स्थानीय लोगों को उकसाया जिससे यह स्थिति पैदा हुई। टीएमसी नेता शशि पांजा ने कहा, 'केंद्रीय एजेंसी पुलिस या राज्य सरकार को सूचित किए बिना छापेमारी के लिए गई थी। क्या यह संघीय ढांचे के मानदंडों का पालन करने का एक उदाहरण है।'
इससे पहले ममता बनर्जी ने कहा था कि पीडीएस वितरण में अनियमितता के आरोप वाम मोर्चा सरकार की देन थे जिसे 2011 में सत्ता में आने पर तृणमूल कांग्रेस की सरकार को झेलना पड़ा था।
नवंबर 2023 में मुख्यमंत्री ने अपने विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर में कहा था, 'जब हम 2011 में सत्ता में आए, तो एक करोड़ फर्जी राशन कार्ड थे। वाम मोर्चा के कार्यकाल में राशन कार्ड से चावल निकाला जाता था। हमने फर्जी राशन कार्डों को रद्द कर दिया, लेकिन सिस्टम को साफ करने में हमें सात से आठ साल लग गए।'