खरगे की सीट से कांग्रेस ने उनके दामाद डोड्डामणि को बनाया उम्मीदवार, पार्टी ने बताई इसकी वजह

Update: 2024-03-22 02:30 GMT

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने सूची जारी होने के बाद कहा कि खरगे के हाथ भरे हुए हैं। उनके पास कई जिम्मेदारियां हैं। उनके पास राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी मामलों के प्रबंधन की जिम्मेदारी है। इसी के साथ, उन्हें इंडी गठबंधन के सहयोगियों के साथ भी समन्वय करना होगा।

कांग्रेस ने गुरुवार को लोकसभा उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की, जिससे यह काफी हद तक साफ हो गया कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे चुनाव नहीं लड़ेंगे। दरअसल, तीसरी सूची में कांग्रेस ने खरगे की पारंपरिक सीट गुलबर्गा से उनके दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि को चुनाव मैदान में उतारा है। बता दें, खरगे 2009 और 2014 में गुलबर्गा से लोकसभा पहुंचे थे। हालांकि, 2019 में खरगे हार गए थे।

कांग्रेस ने पेश की सफाई

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने सूची जारी होने के बाद कहा कि खरगे के हाथ भरे हुए हैं। उनके पास कई जिम्मेदारियां हैं। उनके पास राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी मामलों के प्रबंधन की जिम्मेदारी है। इसी के साथ, उन्हें इंडी गठबंधन के सहयोगियों के साथ समन्वय करना होगा। इसके अलावा, राज्यसभा में भी उनका कार्यकाल अभी खत्म नहीं हुआ है। चुनाव न लड़ने का अंतिम फैसला खुद उन्होंने ही लिया है।

जानिए, कौन हैं खरगे के दमाद डोड्डामणि

बता दे, डोड्डामणि एक व्यापारी हैं, जिनका जन्म कालाबुरागी में हुआ है। डोड्डामणि शैक्षणिक संस्थानों का भी प्रबंधन करते हैं। कहा जाता है कि वह शुरू में चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं थे हालांकि, बाद में वे मान गए। डोड्डामणि पर्दे के पीछे काम करने वाले नेता हैं, उन्होंने हमेशा खरगे के लिए पीछे से काम किया है।

खरगे का राजनीतिक करियर; गांधी परिवार के खास

1969 में ही वह कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें गुलबर्गा कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया। 1972 में पहली बार कर्नाटक की गुरमीतकल विधानसभा सीट से विधायक बने। खरगे गुरमीतकल सीट से नौ बार विधायक चुने गए। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विभागों में मंत्री का पद भी संभाला। 2005 में उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। 2008 तक वह इस पद पर बने रहे। 2009 में पहली बार सांसद चुने गए।

खरगे गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाते हैं। इसका समय-समय पर उनको इनाम भी मिला। साल 2014 में खरगे को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया। लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 2020 में राज्यसभा भेज दिया। पिछले साल गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म हुआ तो खरगे को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।

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