'झुकना झारखंडी के डीएनए में नहीं', भाभी के भाजपा में शामिल होने पर बोलीं हेमंत सोरेन की पत्नी
कल्पना सोरेन ने बताया कि हेमंत ने राजनीति को नहीं बल्कि राजनीति ने हेमंत को चुना है। उन्होंने कहा कि हेमंत राजनीति में शामिल होना नहीं चाहते थे, लेकिन दुर्गा दादा की मौत और बाबा के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें राजनीति में आना पड़ा।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने पर कल्पना सोरेन ने प्रतिक्रिया दी है। पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना ने कहा कि स्वर्गीय दुर्गा दा (सीता सोरेन के पति) केवल हमारे बड़े भाई नहीं बल्कि पिता समान अभिभावक थे। उन्होंने आगे कहा कि किसी के सामने झुकना झारखंडी के डीएनए में नहीं है।
राजनीति में आना नहीं चाहते थे हेमंत सोरेन
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कल्पना सोरेन ने बताया कि हेमंत सोरेन राजनीति में आना नहीं चाहते थे। उन्होंने कहा, "हेमंत जी के लिए स्वर्गीय दुर्गा दा केवल बड़े भाई नहीं थे, बल्कि पिता समान अभिभावक थे। 2006 में शादी के बाद इस परिवार का हिस्सा बनकर मैंने हेमंत जी का बड़े भाई के प्रति सम्मान और समर्पण और दुर्गा दा का हेमंत के लिए प्यार देखा।"
कल्पना सोरेन ने आगे कहा कि हेमंत ने राजनीति को नहीं बल्कि राजनीति ने हेमंत को चुना है। उन्होंने कहा, "हेमंत जी राजनीति में शामिल होना नहीं चाहते थे, लेकिन दुर्गा दादा की मौत और बाबा के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें राजनीति में आना पड़ा। हेमंत जी ने राजनीति को नहीं, बल्कि राजनीति ने हेमंत जी को चुना है। जिन्होंने पहले आर्किटेक्ट बनने का फैसला कर लिया था, उन पर अब जेएमएम की विरासत और संघर्ष को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी थी।"
झुकना झारखंडी के डीएनए में नहीं: कल्पना सोरेन
पूर्व सीएम की पत्नी ने कहा कि जेएमएम पार्टी का जन्म समाजवाद और वामपंथ विचारधारा के समन्वय से हुआ है और यह सभी गरीबों की आवाज बनकर झारखंड में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने आगे कहा, "हेमंत जी जेल गए। वह उसी ताकत से लड़ रहे हैं, जिस ताकत से बाबा और स्वर्गीय दुर्गा दा ने पूंजीवादों और सामंतवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। वे झुके नहीं थे। वैसे भी झारखंड समाज में हमने कभी भी पीठ दिखाकर या समझौता करके आगे बढ़ना नहीं सीखा है। झुकना झारखंडी के डीएनए में नहीं है।"
भाजपा में शामिल होने के बाद सीता सोरेन ने दावा किया कि जेएमएम में कभी भी उन्हें उनका हक नहीं मिला। उन्होंने बताया कि पिछले 14 वर्षों में उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह उन्हें नहीं मिला। इसलिए उन्होंने इतना बड़ा फैसला लिया।