गर्मी में कक्षाएं ठंडी रखने के लिए प्रिंसिपल ने अपनाया देसी तरीका, दीवारों पर लगाया गोबर, देखें वायरल वीडियो

वायरल वीडियो और तस्वीरों में प्रिंसिपल कमरे की दीवारों पर गोबर लगाती हुईं दिखाई दे रही हैं।;

Update: 2025-04-14 11:43 GMT

नई दिल्ली (राशी सिंह)। दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल प्रत्युष वत्सला इन दिनों एक अनोखे और पारंपरिक कदम को लेकर सुर्खियों में हैं। गर्मी के मौसम में कक्षाओं को ठंडा रखने के लिए उन्होंने कॉलेज की एक कक्षा की दीवारों पर खुद अपने हाथों से गाय का गोबर लगाया। उनका यह प्रयास पर्यावरण के अनुकूल पारंपरिक भारतीय ज्ञान के उपयोग के तहत किया गया था, लेकिन सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद यह कदम बहस का विषय बन गया है।

जानकारी के अनुसार, यह पहल कॉलेज के ब्लॉक सी की एक कक्षा में की गई, जो गर्मियों में बेहद गर्म हो जाती है। प्रिंसिपल ने बताया कि यह एक फैकल्टी सदस्य के नेतृत्व में चल रहे शोध परियोजना का हिस्सा है, जिसका शीर्षक है “पारंपरिक भारतीय ज्ञान का उपयोग करके ताप तनाव नियंत्रण का अध्ययन।” यह शोध अभी जारी है और इसका उद्देश्य यह देखना है कि क्या ग्रामीण भारत में प्रचलित गोबर से लेपन की विधि शहरी सेटअप में भी प्रभावी हो सकती है।

वीडियो से मचा हंगामा

प्रिंसिपल का यह वीडियो पहले कॉलेज के शिक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुप में साझा किया गया था, जिसमें वे स्वयं गोबर लगाते नजर आ रही हैं। उन्होंने संदेश में लिखा था कि "जिन लोगों की यहां कक्षाएं हैं, उन्हें जल्द ही इन कमरों को नए रूप में देखने को मिलेगा। आपके शिक्षण अनुभव को सुखद बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।" लेकिन यह वीडियो जल्दी ही सोशल मीडिया पर फैल गया और इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कुछ लोगों ने उनके पर्यावरण के अनुकूल और पारंपरिक दृष्टिकोण की सराहना की, तो कईयों ने इसे अव्यावहारिक बताया। एक सोशल मीडिया यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, "अगर कॉलेजों में गोमूत्र पीना अनिवार्य कर दिया जाए, तो देश को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।"


छात्रों और शिक्षकों की नाराजगी

कॉलेज के कुछ छात्र और फैकल्टी सदस्य इस पहल से संतुष्ट नहीं दिखे। उनका कहना है कि ब्लॉक सी की कक्षाओं में पर्याप्त पंखे, वेंटिलेशन या कूलिंग सिस्टम नहीं हैं। एक छात्र ने ने कहा कि “कुछ कमरे निश्चित रूप से गर्म हैं, लेकिन किसी ने गोबर के लिए नहीं कहा। हमें बस उचित पंखे या कम से कम कूलर चाहिए।” एक अन्य शिक्षक ने भी इस प्रयोग को शहरी कॉलेज की सीमेंट की संरचना के लिए व्यावहारिक नहीं माना और कहा कि मूलभूत ढांचे में सुधार की आवश्यकता है।

क्या है विशेषज्ञों की राय?

वास्तुकारों और पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि गाय के गोबर में प्राकृतिक रूप से शीतलन, कीटप्रतिरोध और जीवाणुनाशक गुण होते हैं। यह ग्रामीण इलाकों में मिट्टी की दीवारों पर प्रभावी हो सकता है, लेकिन आधुनिक कंक्रीट की इमारतों पर इसका असर सीमित होता है। उनका मानना है कि स्थायी समाधान के लिए कॉलेज को प्रतीकात्मक उपायों के बजाय बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए।

प्रिंसिपल की सफाई

प्रिंसिपल वत्सला ने यह साफ किया कि यह प्रयोग शोध के तहत किया गया है और अभी प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा, “मैं एक सप्ताह के बाद पूरे शोध का विवरण साझा कर पाऊंगी। शोध पोर्टा केबिन में किया जा रहा है। मैंने उनमें से एक को खुद ही लेप किया क्योंकि प्राकृतिक मिट्टी को छूने से कोई नुकसान नहीं है।” उन्होंने साथ ही कहा कि बिना पूरी जानकारी के लोग गलत धारणाएं बना रहे हैं।

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