परफेक्ट जोड़ी: दो जुड़वा बहनों की गजब कहानी!परीक्षाओं में लाती हैं समान अंक और अब एमबीबीएस में भी एक ही अंक, जानें और क्या करेंगी एक साथ

एकल मां की परवरिश में बड़ी हुई इन बहनों ने आर्थिक कठिनाइयों को पार करते हुए अपने परिवार की पहली डॉक्टर बनने का सम्मान पाया है।;

Update: 2025-04-09 14:50 GMT

सूरत। (राशि सिंह) गुजरात के सूरत की जुड़वां बहनें रीबा और राहीन हाफ़ेजी ने एक अनोखा कीर्तिमान स्थापित किया है। वडोदरा के GMERS मेडिकल कॉलेज से MBBS की पढ़ाई पूरी करने वाली इन बहनों ने फाइनल परीक्षा में बिल्कुल एक जैसे अंक-935 यानी 66.8%-प्राप्त किए। 24 साल की इन बहनों की शैक्षणिक यात्रा और जीवन के निर्णयों की समानता उनकी जुड़वां बॉन्डिंग को दर्शाती है।

इनकी परवरिश सिंगल मदर गुलशाद बानू ने की, जो एक शिक्षिका हैं। आर्थिक तंगी के बावजूद दोनों बहनों ने न सिर्फ पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया बल्कि NEET-UG जैसे कठिन मेडिकल प्रवेश परीक्षा को भी बिना कोचिंग क्लास के पार किया। रीबा को 97वां और राहीन को 97.7वां पर्सेंटाइल मिला। इससे पहले, कक्षा 10 में रीबा ने 99वें और राहीन ने 98.5वें पर्सेंटाइल में स्कोर किया था, जबकि कक्षा 12 में वे क्रमशः 98.2 और 97.3 पर्सेंटाइल में थीं।

राहीन बताती हैं कि डॉक्टरी की प्रेरणा उन्हें अपने मामाजी से मिली, जो खुद डॉक्टर हैं। दोनों बहनों ने बचपन से ही साथ पढ़ाई की और परीक्षा में लगभग एक जैसे अंक लाए। यही आदत MBBS में भी बनी रही। GMERS में दोनों ने एक ही हॉस्टल के कमरे में रहना चुना और साथ-साथ क्लास अटेंड की। रीबा बताती हैं कि उन्हें जामनगर या भावनगर जैसे मेडिकल कॉलेजों में भी दाखिला मिल सकता था, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे के साथ रहने के लिए 2019 में गोत्री स्थित GMERS मेडिकल कॉलेज को चुना, जो सूरत के पास है।

मां और नाना-नानी का समर्थन मिला

दोनों बहनें अपने परिवार, विशेषकर अपनी मां और नाना-नानी के समर्थन को अपनी सफलता का सबसे बड़ा कारण मानती हैं। राहीन कहती हैं, "हमने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन हमारी मां और नाना-नानी हमेशा हमारे साथ खड़े रहे। उनकी प्रेरणा और सहयोग से हम अपने सपनों को पूरा कर पाए।" सरकारी स्कॉलरशिप और अन्य आर्थिक सहायता के कारण उन्हें कॉलेज की पढ़ाई में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।

भविष्य को लेकर दोनों का रुझान अलग-अलग है। जहां राहीन प्रसूति एवं स्त्री रोग जैसे सर्जिकल ब्रांच में आगे बढ़ना चाहती हैं, वहीं रीबा की रुचि इंटरनल मेडिसिन में है। फिर भी दोनों का सपना है कि वे पोस्टग्रेजुएशन की पढ़ाई भी एक ही कॉलेज से करें।

रीबा और राहीन सिंधी जमाती समुदाय की उन गिनी-चुनी महिलाओं में से हैं जिन्होंने मेडिकल की डिग्री हासिल की है। वे न केवल अपने समुदाय के समर्थन के लिए आभार व्यक्त करती हैं, बल्कि समाज की सेवा करने की अपनी प्रतिबद्धता भी जताती हैं। रीबा कहती हैं, "अब तक की यात्रा हमारे लिए चमत्कारी रही है, और हम दूसरों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जैसे दूसरों ने हमारे सपनों को साकार करने में हमारी मदद की।"

यह कहानी सिर्फ दो बहनों की नहीं, बल्कि हिम्मत, समर्पण और पारिवारिक समर्थन की ताकत की मिसाल है।

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