क्या ग्रुप चैट में हमले की गुप्त जानकारी लीक होना अपराध है? जानें ट्रंप कैबिनेट के मंत्री क्यों घिरे

मंत्रियों का कहना ग्रुप चैट में नहीं हुई कोई भी योजना लीक;

Update: 2025-03-28 06:52 GMT

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कैबिनेट मंत्री विवादों में घिरे हुए हैं। हाल ही में एक ग्रुप चैट के जरिए यमन में हूतियों पर हमले की गुप्त योजना लीक हो गई थी। बताया गया कि ग्रुप में गलती से एक पत्रकार को जोड़ लिया गया था, जिसने यह जानकारी सार्वजनिक कर दी। इसी के चलते ट्रंप के मंत्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालांकि मंत्रियों ने यह साफ कह दिया है कि ग्रुप में कोई भी गुप्त योजना नहीं साझा की गई।

क्यों मच रहा बवाल?

दरअसल, पत्रकार जेफ्री गोल्डबर्ग के मुताबिक सिग्नल एप नाम के एक मैसेजिंग एप के जरिए ट्रंप सरकार के मंत्री हूती विद्रोहियों पर अमेरिकी वायु सेना के हमले से जुड़ी संवेदनशील जानकारी साझा कर रहे थे। अब इस पर ट्रंप के मंत्रियों का कहना है की जो भी जानकारी साझा की गई उसमें कुछ भी गुप्त नहीं था। अमेरिकी रक्षा मंत्री, सीआईए निदेशक और तुलसी गबार्ड का कहना है कि ग्रुप में कोई भी गोपनीय जानकारी साझा नहीं कर रहा था। वहीं माइक वॉल्टज, जिन्होंने यह ग्रुप बनाया, ने इसकी पूरी जिम्मेदारी ली। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार कर दिया है।

दूसरी तरफ कई बड़े अधिकारी और मंत्रियों का कहना है कि इस ग्रुप चैट में जो भी जानकारी लीक हुई है अगर वह गोपनीय नहीं है, तो हम नहीं जानते की क्या गोपनीय होगा। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की जानकारी गोपनीय वर्ग में रखी जाती है। जो भी हुआ वह बेहद गैरजिम्मेदाराना था।

यह जानकारी गोपनीय है तो मिल सकती है सजा

इस गुप्त जानकारी के लीक होने में जो भी अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार होंगे उनकी नौकरी जा सकती है और उन्हें जेल भी हो सकती है। अमेरिका में इस तरह की जानकारी लीक होने पर एस्पियोनाज एक्ट 1917 और इंटेलिजेंस आइडेंटिटीज प्रोटेक्शन एक्ट 1982 के तहत कार्रवाई की जाती है। इससे पहले इसी तरह की सैन्य जानकारी लीक करने के लिए एक साइबर स्पेशलिस्ट जैक टैक्सेरा को 15 साल जेल हुई थी।

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