बसंत पंचमी पर पीले रंग का महत्व, इस तरह करें देवी सरस्वती की पूजा
नई दिल्ली। वसंत पंचमी का पर्व देश भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व पर पीले रंग का महत्व है। इस दिन को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में भी जाना जाता है। लोग मां सरस्वती की पूजा अर्चना भी करते हैं। देश के अलग-अलग इलाकों में इस दिन कार्यक्रम भी होते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वसंत पंचमी के दिन ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़ककर सरस्वती माता को उत्पन्न किया था, इसलिए इस तिथि पर घर, मंदिर से लेकर सभी शिक्षा संस्थानों में मां शारदा की पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है। इस दिन पीले रंग को अत्यंत शुभ और सौभाग्यशाली माना जाता है। विशेष रूप से पीले वस्त्र धारण करने, पीले पुष्प अर्पित करने और पीले रंग के भोजन का सेवन करने की परंपरा है। इसके अलावा, पीला रंग समृद्धि और ज्ञान का भी प्रतीक है। मान्यता है कि पीले वस्त्र धारण करने से आत्मिक शुद्धता बढ़ती है और मन शांत रहता है। यह रंग धार्मिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। सरस्वती के इन नामों का जाप कर सकते हैं, भारती, सरस्वती, शारदा, हंसवाहिनी, ब्राह्मी, गायत्री, वागेश्वरी, वाणिश्वरी, बुद्धिदात्री, सिद्धिदात्री।
इस दिन काले रंग के वस्त्र धारण न करें। इस दिन पेड़-पौधों को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। वसंत पंचमी पर बिना स्नान के पूजा, जप, तप न करें। इस दिन भूलकर भी तामसिक चीजों का सेवन न करें। वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की विधि विधान से पूजा करें। पूजा के दौरान सभी को पीला टीका लगाएं। ऐसा करने से जीवन में मानसिक शांति बनी रहती हैं।