एक साथ रामचरितमानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा की इतनी जबरदस्त मांग, रोज बिक रहीं पांच लाख प्रतियां!
22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के शुभारंभ से पहले रामचरितमानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा की मांग जबरदस्त तरीके से बढ़ गई है। ऑल इंडिया रिलिजियस बुक पब्लिशर्स एसोसिएशन के मुताबिक बीते कुछ दिनों से देश और दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों से रोजाना पांच लाख से ज्यादा प्रतियों का ऑर्डर देशभर के अलग-अलग राज्यों में प्रकाशकों को मिल रहे हैं। संगठन से जुड़े प्रकाशकों का मानना है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि एक साथ रामचरितमानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा की इतनी जबरदस्त मांग आ रही हो। बढ़ती मांग के आधार पर ही प्रकाशकों ने रामचरितमानस सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का मुद्रण भी शुरू कर दिया है। हालांकि कुछ प्रकाशकों ने बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ऑनलाइन डाउनलोड करने की व्यवस्था तक शुरू कर दी है।
जैसे-जैसे राम मंदिर शुभारंभ की तारीख नजदीक आती जा रही है, देश में राम और हनुमान से जुड़े काव्य संकलनों और ग्रंथों की मांग बढ़ती जा रही है। ऑल इंडिया रिलिजियस बुक पब्लिशर्स एसोसिएशन के सचिव मंगलराम आहूजा कहते हैं कि बीते कुछ दिनों में जितनी रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की मांग बढ़ी है, उतनी आज तक कभी नहीं हुई। वह कहते हैं कि सिर्फ उनके संगठन से ही ताल्लुक रखने वाले प्रकाशक एक संस्करण में पचास हजार से लेकर एक लाख प्रतियां छापते हैं। जो कि तीन महीने से लेकर छह महीने के भीतर बिक जाती हैं। उसके बाद अगला संस्करण प्रकाशित होता है। आहूजा कहते हैं कि लेकिन जैसे ही राम मंदिर को लेकर देश में माहौल बनना शुरू हुआ, उसके बाद तो रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की मांग जबरदस्त बढ़ गई।
वह कहते हैं कि बीते एक महीने के दौरान इन दोनों संग्रहों की सबसे ज्यादा मांग बढ़ी है। संगठन के सचिव मंगलराम बताते हैं कि शुरुआती दौर में तो यह संख्या रोजाना दस हजार से लेकर बीस हजार प्रतियों की रही। इसके आधार पर देशभर में अलग-अलग प्रकाशकों ने यह आपूर्ति करना शुरू कर दिया। बीते कुछ दिनों में यह मांग चार से पांच लाख प्रतियों के करीब की पहुंच गई। वह कहते हैं कि अचानक बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए उनके प्रकाशक न तो तैयार थे और न ही तुरंत ऐसी कोई व्यवस्थाएं की जा सकती थी, जिसमें इस मांग को पूरा किया जा सके। उनका कहना है कि कई जगहों पर तो रामचरितमानस के अलग-अलग साइज की कमी हो गई थी। फिलहाल उनका कहना है कि बढ़ती मांग के आधार पर ही प्रकाशकों ने रामचरितमानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का मुद्रण शुरू कर दिया।
देश में छोटे-बड़े प्रकाशकों के अलावा सबसे ज्यादा धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन करने वाली गीता प्रेस में भी कुछ इसी तरीके की स्थितियां बन गई हैं। हालात यह हो गए हैं कि गीता प्रेस भी रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की डिमांड पूरी नहीं कर पा रहा है। बढ़ती मांग को देखते हुए ही गीता प्रेस ने रामचरितमानस को डाउनलोड करने का ऑप्शन अपनी वेबसाइट पर देना शुरू कर दिया है। हालांकि डाउनलोड की व्यवस्था कुछ दिन के लिए ही की गई है। इसमें शुरुआती दिनों में पचास हजार की क्षमता तय की गई है। अगर जरूरत पड़ी तो, इसे एक लाख प्रतिदिन तक किया जाएगा।
रामचरितमानस की मांग सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। अमेरिका के "सुंदरकांड परिवार" से ताल्लुक रखने वाले अनुज पुरवार कहते हैं कि बीते कुछ दिनों से अमेरिका के तकरीबन सभी मंदिरों और ज्यादातर हिंदी भाषी परिवारों में रामचरितमानस और सुंदरकांड का पाठ हो रहा है। अमेरिका के सुंदरकांड परिवार ने प्रत्येक व्यक्ति से 22 जनवरी तक रामचरितमानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करने का आग्रह किया है। यही वजह है कि सिर्फ अमेरिका से ही रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है। अनुज कहते हैं कि वैसे तो ऑनलाइन ही वह रामचरितमानएस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा मंगवाते हैं, लेकिन डिमांड ज्यादा होने के चलते समय पर आपूर्ति नहीं हो पा रही है। ऑल इंडिया रिलिजियस बुक पब्लिशर्स एसोसिएशन के मंगलराम अहूजा बताते हैं कि इस वक्त जो मांग बढ़ी है, उसमें दुनिया के अलग-अलग देशों के लोगों में भी रामचरितमानस और हनुमान चालीसा की मांग बढ़ी है।