चैत्र नवरात्र: मां कुष्मांडा की पूजा करने से सभी दुखों से छुटकारा मिलता है, जानें मां किस फूल से होती हैं प्रसन्न
मां कुष्मांडा को पीला रंग बेहद ही प्रिय होता है। इसलिए पीले कमल का फूल अर्पित करने से मां कुष्मांडा प्रसन्न होती हैं।;
चैत्र नवरात्र। मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के चौथा स्वरूप देवी कुष्मांडा का है। मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। मां के एक हाथ में जपमाला और अन्य सात हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा शामिल है। वे सिंह पर सवार हैं।
माता कुष्मांडा को ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाला माना जाता है। कहा जाता है कि जब सृष्टि की उत्पत्ति नहीं हुई थी और चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत् हास्य यानी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है।
मां कुष्मांडा को पीला रंग बेहद ही प्रिय होता है। इसलिए पीले कमल का फूल अर्पित करने से मां कुष्मांडा प्रसन्न होती हैं।
कुष्मांडा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कुम्हड़ा
ऐसी मान्यता है कि मां कूष्मांडा ने सृष्टि की रचना की थी। कुष्मांडा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कुम्हड़ा। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि मां कुष्मांडा की पूजा विधिवत तरीके से करने से व्यक्ति हर तरह के दुख-दरिद्रता से निजात पा लेता है और जीवन में खुशियां ही खुशियां आती है। मां कुष्मांडा की पूजा करने से सभी दुखों से छुटकारा मिलता है।