भोजन के लिए पूर्व दिशा ,पढाई के लिए उत्तर दिशा मानी जाती है बेहतर
सेहत से जुड़ी इन बातों का पता होना बेहद जरूरी है।
◆ सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें।
◆ पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है।
◆ भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है।
◆ HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा।
◆ गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें।
◆ चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है। यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है।
◆ शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है।
◆ वात के असर में नींद कम आती है।
◆ कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है।
◆ कफ के असर में पढाई कम होती है।
◆ पित्त के असर में पढाई अधिक होती है।
◆ आँखों के रोग - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा ,आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है।
◆ शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिए।
◆ प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए।
◆ सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है।
◆ व्यायाम - वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए।
◆ भारत की जलवायु वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए।
◆ जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं।
◆ निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास ( लंघन ) से बुखार शांत होता है।
◆ भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है।
◆ दुनियां के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
◆ माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं।
◆ तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का ,दूध हमेशा पतला पीना चाहिए।
◆ छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है।
◆ कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है। ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है।
◆ मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए।
◆ सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें।