इजिप्ट- सुएज नहर और सुएज शहर

Update: 2024-10-22 13:12 GMT

सिंदबाद ट्रैवल्स-27

अगली सुबह मेरे कहे अनुसार टैक्सी 7 बजे आ गयी थी और लगभग 7:30 बजे तक मैं टैक्सी में बैठ कर होटल से निकल दिया। ये बहुत ही आरामदायक और अच्छी गाड़ी थी और ड्राइवर भी बहुत ही तहजीब वाला था और अंग्रेजी भी अच्छी जानता था।उसने मुझको बताया कि अलेक्जेंड्रिया, स्वेज़ अथवा फयूम ये तीन जगह देखने लायक अच्छी हैं और इनमें से हम कहीं भी जा सकते हैं। मेरा स्वेज़ नहर देखने का बहुत मन था इसलिए मैंने उस से कहा कि भाई स्वेज़ चलेंगे लेकिन पहले मुझको इजिप्ट एयर के ऑफिस ले चलो। इजिप्ट एयर के ऑफिस पहुंच कर सबसे पहले मैंने अपना टिकट अगले दिन सुबह का लंदन के लिए prepone करवाया और अब हम लोग आगे निकल लिए स्वेज़ शहर के लिए।

अपना लंदन का टिकट बुक करवाने के पश्चात मैं बढ़ लिया था “सुएज़ सिटी” की ओर। काहिरा से सुएज़ सिटी की दूरी लगभग 150 किलोमीटर थी।टैक्सी से यहाँ पहुंचने में मुझको लगभग ढाई घंटे का समय लगा और 1991 में भारत के मुकाबले मिस्र में हाइवे वाकई काफी अच्छा था।

सुएज़ शहर मिस्र के उत्तर पूर्व में स्थित है और इसकी आबादी लगभग 3-साढ़े तीन लाख की रही होगी। ये शहर सुएज़ नहर के दक्षिणी मुहाने पर लाल सागर के पास स्थित है। जैसे अपना देश भारत विभिन्न प्रांतों में बँटा हुआ है वैसे ही मिस्र विभिन “गवरनेरेट्स” में बँटा हुआ है और इन governorates के प्रशासक गवर्नर की नियुक्ति सीधे मिस्र के राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है।सुएज़ शहर “सुएज़ गवरनेरेट” में अवस्थित है।

एशिया से यूरोप जाने वाले सभी पानी के जहाज पहले एक अत्यंत लंबे मार्ग से अर्थात अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिणी मुहाने से होते हुए आते जाते थे और सुएज़ नहर जो कि उत्तरी अटलांटिक महासागर और हिन्द महासागर के मार्ग को भूमध्य सागर और लाल सागर के माध्यम से जोड़ती है इसके बनाने के बाद एशिया और यूरोप के समुद्री मार्ग में लगभग 7000 किलोमीटर की बचत हो गयी।

प्राचीन काल से समुद्री मार्गों का प्रयोग व्यापार के लिए होता रहा इसलिए इस लंबी दूरी को कम करने के लिए इन दोनों सागरों को जोड़ने हेतु एक नहर बनाने का विचार कई बार आया लेकिन सबसे पहले इस मसले पर नेपोलियन बोनापार्ट ने गंभीरता से विचार किया। उसने 1799 में इस मुतल्लिक एक सर्वे कराया किन्तु उसके इंजीनियरों के मुताबिक लाल सागर और भूमध्य सागर के स्तरों में 30 फिट का फर्क था और उन लोगों के अनुसार इनको जोड़ने का मतलब होता नील नदी क्षेत्र में भयंकर तबाही इसलिए नेपोलियन ने ये विचार त्याग दिया हाँलांकि इस मामले में नेपोलियन के इंजीनियरों का ये आकलन बिल्कुल गलत था। बाद में फ्रांस के ही Ferdinand de Lesseps ने लगभग 15 वर्षों में इस ऐतिहासिक सुएज़ नहर को बनाया।सुएज़ नहर का उद्घाटन 17 नवंबर 1869 को हुआ और 26 जुलाई 1956 को इजिप्ट के तत्कालीन राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर ने इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया। यहाँ ये भी उल्लेखनीय है कि मिस्र और इस्राइल के युद्ध के कारण 1967 से 1975 तक ये नहर बन्द रही और 15 कार्गो जहाज़ इसमें 8 वर्षों तक फँसे रहे।

मुझे ये भी मालूम पड़ा कि सुएज़ नहर जब लगभग तैयार हो चुकी थी तो फ्रांस के प्रसिद्ध मूर्तिकार Frederick Auguste Bartholdi ने सुएज़ के इंजीनियर Ferdinand de Lesseps से कहा कि यहाँ पर एक स्त्री की 90 फिट की विशाल मूर्ति सुएज़ के उत्तरी मुहाने पर बनाने दी जाए जो मिस्र के प्राचीन प्रसिद्ध वस्त्र पहने हो और उसके हाथ में एक रोशनी दिखाती टॉर्च जैसी हो।इसको Egypt Bringing Light to Asia नाम दिया जाए और ये लाइट हाउस का भी काम करेगी किन्तु लैसेप्स ने ये बात नहीं मानी और बाद में बार्थओल्डी ने इस विचार को न्यू यॉर्क में मूर्ति बना कर मूर्त रूप दिया और आज सारा विश्व उस मूर्ति को Statue of Liberty के नाम से जानता है।

खैर ड्राइवर से ये सारी बातें सुनता समझता ढाई घंटे का सफर तय करके मैं सुएज़ सिटी पहुँच गया था और अब मेरी आँखों के सामने विश्व प्रसिद्ध सुएज़ नहर थी और आगे बढ़ कर सुएज़ की खाड़ी।एक बहुत बड़ी जलराशि जिसमें मानो जहाज अठखेलियाँ सी करते आगे बढ़ रहे थे।दूसरे किनारे पर निगाह दौड़ाई जाए तो सिनाई रेगिस्तान का इलाका था।सिनाई मिस्र का वो इलाका है जो एशिया में पड़ता है या ये भी कह सकते हैं कि मिस्र के अफ्रीकी हिस्से को सिनाई एशिया से जोड़ता है।सिनाई के पूर्व में इस्राइल है।मैं जहाँ खड़ा था एक रेलिंग के सहारे और सुएज़ के किनारे वो हिस्सा अफ्रीका महाद्वीप का आखिरी छोर का हिस्सा था और मुझको सामने एशिया नज़र आ रहा था।ड्राइवर बता रहा था कि 1973 के युद्ध में सुएज़ नहर को पार करके मिस्र की सेना सिनाई की तरफ बढ़ गयी थी और फिर इस्राइल की सेना के टैंक आदि सिनाई की तरफ से सुएज़ नहर पर करके इस तरफ आ गए थे।मुझको लगा कि मैं 1973 में पहुँच गया हूँ और मेरे सामने ट्रकों,तोपों और टैंकों की कतारें बढ़ती और चढ़ती चली आ रही हैं,चारों तरफ बख्तरबंद गाड़ियों का शोर है,तोपें गड़गड़ा रही हैं,गोले छूटने की आवाज़ें आ रही हैं धाएँ, धूम,भड़ाम और उधर सुएज़ नहर का चंचल अठखेलियाँ खाता जल जैसे मानवता के इस विनाशपूर्ण रुख को देख कर गहन सोच में पड़कर स्थिर सा हो गया है और आठ साल तक एक ही स्थान पर ठहरा हुआ है और पानी के विशाल जहाज भी उसमें आठ साल को मानो ठहर से गए हैं।मैं ये सब सोच ही रहा था कि ड्राइवर के ये कहने पर, कि सर ये भी इस युद्ध का ही परिणाम था एक प्रकार से जो 1981 अक्टूबर में राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या हुयी थी,मैं मानो वर्तमान में लौटा।सुएज़ सिटी में सुएज़ नहर के मुहाने वाले तट पर खड़े होकर सुएज़ नहर में तैरते हुए चलते पानी के जहाजों को देखना एक अलग ही किस्म का अनुभव था।मैंने विश्व प्रसिद्ध उन स्थानों में से जिनके विषय में अक्सर अखबार में ही पढ़ता था एक और स्थान देख लिया था।

थोड़ी देर सुएज़ सिटी में मैं घूमा भी।ये एक सामान्य सा शहर था और मुझको वहाँ पर बहुत शोर शराबा नहीं महसूस हुआ।ये एक रेगिस्तानी मौसम वाला शहर था और दिन में यहाँ मौसम भी गर्म सा ही था।यहाँ बंदरगाहों की सुविधा है और उसका व्यापार भी।सुएज़ का इतिहास काफी पुराना था।पहले वहाँ कोलजुम नामक प्राचीन शहर होता था जो कई शताब्दी पहले नष्ट हो गया और फिर धीरे धीरे सुएज़ शहर आबाद होता चला गया।

सुएज़ नहर और सुएज़ शहर देख कर अब हम वापिस लौट दिए थे काहिरा/गीज़ा की ओर।आज पूरा दिन बहुत अच्छा बीता था,गाड़ी अच्छी थी और गाड़ीवान भी बढ़िया था।लौटते में ड्राइवर ने मुझको मिस्र के बारे में बहुत सी रोचक बातें बतायीं।उसने बताया कि इजिप्ट में प्राचीन काल में अजीबोगरीब शक्ल वालों और खास कर नाटे कद वालों की बड़ी इज़्ज़त और महत्व होता था।उनको अच्छी जगहों पर काम मिलता था खास तौर पर सोने,आभूषणों आदि वालों के यहाँ और इसका कारण ये था कि यदि कभी वो गड़बड़ कर के भागें तो उनकी शक्ल और कद काठी के कारण उनको पकड़ना आसान होता था।उसने ये भी बताया कि ऐसी भी एक मान्यता है की इजिप्ट के लोग प्राचीनकाल में “पुंट” नामक एशियाई स्थान से आये थे और इसीलिए उनके फीचर एशियाई हैं हाँ आंखें और बाल काफी कुछ अफ्रीकी जैसे हैं।कुछ लोगों का मानना है कि पुंट नामक ये जगह भारत के मालाबार इलाके में कहीं थी।ऐसी बहुत सी बातें करते करते हम लोग काहिरा और फिर गीज़ा स्थित अपने होटल आ गए।

अगले अंक में इजिप्ट से इंग्लैंड को प्रस्थान...

लेखक अतुल चतुर्वेदी भारत से कांच हस्तशिल्प उत्पादों के पहले निर्माता निर्यातक एवं प्रमुख उद्योगपति हैं। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहास, संस्कृति, सामाजिक मुद्दों, सार्वजनिक नीतियों पर लेखन के लिए जाने जाते हैं। तीन दशक से अधिक वैश्विक यात्राओं के साक्षी।

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