निलंबित सांसद संजय सिंह का क्या होगा? निलंबन के बाद भी क्या सांसद को तनख्वा मिलती है या नही जाने यहां
लोकसभा और राज्यसभा में एक रूलबुक है ।जिसमें यह सारे कानून कायदे लिखे गए हैं और सभापति के पास किसी भी सदस्य के ऊपर कार्यवाही करने की पूरी आजादी होती है। सोमवार को भी हुआ ।
वैसे तो देश की संसद में मानसून सत्र चल रहा है। ऐसा कह सकते हैं। पर पिछले 4 दिनों में 1 दिन भी संसद में चर्चा नहीं हो पाई। विपक्ष मणिपुर के मामले पर इस तरह अड़ गई कि किसी और विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है और सरकार इस तरह अड़ गई कि वह विपक्ष के नेताओं को सस्पेंड कर रहे हैं पर उनसे चर्चा नहीं।कल राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया है। पर इसके बाद कुछ सवाल है जो दिमाग में आते हैं ।जैसे कि किसी भी सांसद को अगर निलंबित कर देते हैं तो क्या तब भी उसे सैलरी मिलती है? किस कानून के तहत सदन उन्हें सस्पेंड कर सकते हैं और क्या वह इसको चैलेंज कर सकते हैं? सवालों के जवाब के बारे में जरा जानते है।वैसे तो भारतीय संसद में किए गए व्यवहार के लिए किसी भी सांसद को कोर्ट में नहीं घसीटा जा सकता ।वह उसके लिए उत्तरदाई नहीं है।
इसका अधिकार संविधान का आर्टिकल 105 (2) देता है ।पर इसका मतलब यह नहीं कि सांसदों को सदन में कुछ भी कहने की छूट मिल जाती है। लोकसभा और राज्यसभा में एक रूलबुक है ।जिसमें यह सारे कानून कायदे लिखे गए हैं और सभापति के पास किसी भी सदस्य के ऊपर कार्यवाही करने की पूरी आजादी होती है। सोमवार को भी हुआ । मणिपुर वाले मामले पर राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह जगदीप धनखड़ की वेल यानी उनके पास जाकर बहस करे लगे जब सभापति ने उन्हें वापस जाने के लिए कहा तब भी वे नहीं माने ।जिसके बाद उन्हें पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया गया।
दरअसल संसद के दोनों सदनों में अगर कोई सांसद जानबूझकर हंगामा और कमेंट करता है और किसी भी तरह से सदन के कामकाज में बाधा डालता है तो उसे सस्पेंड करने का हक सभापति के पास होता है । संसद में सबसे महत्वपूर्ण होती है सभापति की सीट जिसे आसन भी कहते हैं । जिस की मर्यादा का पालन करना हर सांसद के लिए महत्वपूर्ण होता है । अगर उसका अपमान कोई भी संसद करता है तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे मामलों में कम से कम 5 बैठोको और ज्यादा से ज्यादा पूरे सत्र के लिए निलंबित किया जा सकता है । क्या आपको पता है कि स्पीकर के पास किसी सांसद को सस्पेंड करने का अधिकार तो है पर सस्पेंशन वापस लेने का अधिकार नहीं । इसके लिए सदन के बाकी सदस्यों द्वारा सस्पेंशन वापस लेने का प्रस्ताव पास करवाना होता है और भले ही कोई सांसद सत्र के लिए सस्पेंड हो इसके बावजूद उसे पूरा वेतन मिलता है।केंद्र सरकार इस बारे में सोच रही है कि काम नहीं तो वेतन नहीं यह कानून पास किया जाए। पर अभी तक इस मामले में कुछ हुआ नहीं है । संसद में सबसे पहला निलंबन 1963 में किया गया था और 1989 में सबसे बड़ी कार्रवाई हुई थी । इस समय राजीव गांधी सरकार में थे और इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट संसद में रखे जाने पर हंगामा हो गया था । जिसके बाद विपक्ष के 63 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था । 2019 में भी लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने 45 विपक्ष के सांसदों को 2 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया था। यह तो कुछ भी नहीं 13 जनवरी 2014 को लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने 18 सांसदों को सस्पेंड किया था सस्पेंड हुए कुछ सांसदों में उनके अपने सांसद भी शामिल थे। यह सभी सांसद अलग तेलंगाना की मांग कर रहे थे और उस दरमियां सांसदों ने पेपर स्प्रे का प्रयोग किया था । इस तरह से संसद की कार्रवाई अबाधित रहे इसके लिए संसद का कामकाज उसके रूल के हिसाब से चलाया जाता है।