शेख हसीना के लिए बना खाना प्रदर्शनकारी छात्रों ने पीएम आवास में खाया, मचाया जमकर तांडव
ढाका। बांग्लादेश में आज सुबह प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यह नहीं सोचा होगा कि उनके आवास में जो भोजन उनके लिए बना है वह उन्हें नसीब नहीं हो पाएगा। उनकी सत्ता इतनी तेजी से पलटी कि इसका अनुमान किसी को नहीं था। आज शाम 4 बजे प्रदर्शनकारी छात्रों ने पीएम आवास में घुस कर न सिर्फ वहां तोड़-फोड़ की बल्कि वह भोजन भी बैठकर खाया जो उनके लिए बना था। प्रदर्शनकारी छात्र पीएम आवास परिसर में जश्न मनाते नजर आए। दरअसल कर्फ्यू के दौरान आज सुबह 11 बजे इंटरनेट बंद किए जाने के बाद छात्रों का आंदोलन और उग्र हो गया। करीब 300 छात्रों को गोली से उड़ाने वाली सेना आगे कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा सकी। सुरक्षाकर्मियों के सरेंडर के बाद शेख हसीना ने इस्तीफा देकर देश से भागने का फैसला किया। यह अलग बात है कि अब सेना प्रमुख अंतरिम सरकार चलाने की बात कह रहे है लेकिन प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि अब फैसला सड़क पर होगा। इस बीच प्रदर्शनकारी शेख हसीना के दफ्तर में आग लगाने के बाद आवामी लीग के सदस्यों-कार्यकर्ताओं को खोज-खोज के मार रहा है।
यह विरोध प्रदर्शन जून महीने के अंत में शुरू हुआ था तब यह हिंसक नहीं था। यह मामला तब बढ़ गया जब इन विरोध प्रदर्शनों में हजारों लोग सड़क पर उतर आए। 15 जुलाई को ढाका विश्वविद्यालय में छात्रों की पुलिस और सत्तारूढ़ अवामी लीग समर्थित छात्र संगठन से झड़प हो गई। इस घटना में कम से कम 100 लोग घायल हो गए। यह हिंसा अगले दिन भी जारी रही जिसमें कम से कम छह लोग मारे गए। इस तरह से यह हिंसक आंदोलन जारी रहा और अब तक 300 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है।
बांग्लादेश की क्या है आरक्षण व्यवस्था, क्यों शुरू हुआ विवाद
विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में बांग्लादेश की आरक्षण व्यवस्था है। इस व्यवस्था के तहत स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण का प्रावधान था। 1972 में शुरू की गई बांग्लादेश की आरक्षण व्यवस्था में तब से कई बदलाव हो चुके हैं। 2018 में जब इसे खत्म किया गया तो अलग-अलग वर्गों के लिए 56% सरकारी नौकरियों में आरक्षण था। समय-समय पर हुए बदलावों के जरिए महिलाओं और पिछड़े जिलों के लोगों को 10-10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई। इसी तरह पांच फीसदी आरक्षण धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए और एक फीसदी दिव्यांग कोटा दिया गया। हालांकि, हिंसक आंदोलन के बीच 21 जुलाई को बांग्लादेश के शीर्ष न्यायालय ने सरकारी नौकरियों में अधिकतर आरक्षण खत्म कर दिया।
कोर्ट भी आरक्षण की व्यवस्था को खत्म करने के खिलाफ था
1972 से जारी इस आरक्षण व्यवस्था को 2018 में सरकार ने समाप्त कर दिया था। जून में उच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण प्रणाली को फिर से बहाल कर दिया। कोर्ट ने आरक्षण की व्यवस्था को खत्म करने के फैसले को भी गैर कानूनी बताया था। कोर्ट के आदेश के बाद देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। हालांकि, बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। सरकार की अपील के बाद सर्वोच्च अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित कर दिया और मामले की सुनवाई के लिए 7 अगस्त की तारीख तय कर दी।