शुभ योग में मकर संक्रांति आज, जानिए शुभ मुहूर्त, उपाय और दान-स्नान का महत्व

Update: 2024-01-15 03:25 GMT

आज देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। वैदिक ज्योतिष में जब सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर गंगास्नान और दान का विशेष महत्व होता है। 

मकर संक्रांति पर दान का महत्व

मकर संक्रांति दान का विशेष महत्व बताया गया है। मकर संक्रांति पर सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव के घर आते हैं। ज्योतिष मान्यता के अनुसार भी संक्रांति के दिन किया गया दान सौ गुना होकर वापस मिलता है साथ ही इससे ग्रहदशा भी सुधरती है। संक्रांति के दिन काले तिल, गुड़, कंबल, घी और खिचड़ी का दान जरूर करना चाहिए, इससे आपके जीवन में खुशहाली आती है। 

मकर संक्रांति पर करें खिचड़ी का दान

मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से उत्तर भारत के कुछ हिस्सो में मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और खिचड़ी की सामग्री को दान करने का विशेष महत्व होता है। खिचड़ी के दान करने से कुंडली में जो भी ग्रह कमजोर होता है वह मजबूत हो जाता है। जो लोग मकर संक्रांति पर खिचड़ी का दान करते हैं उनके घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती है। 

मकर संक्रांति पर घी दान का महत्व

मकर संक्रांति पर घी का दान करना बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है। ज्योतिषशास्त्र में घी का संबंध सूर्य और गुरु ग्रह से होता है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की पूजा के बाद घी का दान अवश्य करना चाहिए इससे कुंडली में सूर्य और गुरु दोनों ही ग्रह मजबूत होंगे। सूर्य-गुरु के मजबूत होने पर जीवन में हर एक तरह की सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

मकर संक्रांति पर कंबल दान का महत्व

मकर संक्रांति पर तिल के दान के अलावा कंबल के दान का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन गरीबों को कंबल का दान करना चाहिए। मान्यता है कि कंबल का दान करने से व्यक्ति कि कुंडली से राहु का अशुभ प्रभाव दूर हो जाता है। 

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति पर सूर्यदेव धनु राशि की यात्रा का विराम देते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं और इसी के साथ सूर्य देव की उत्तरायण यात्रा भी आरंभ हो जाती है। उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है। सूर्यदेव के उत्तरायण होने के साथ खरमास खत्म हो जाता है और सभी तरह के शुभ-मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, दान और सूर्य आराधना का विशेष महत्व होता है। देशभर में मकर संक्रांति के त्योहार को अलग-अलग नामों से जाना और मनाया जाता है।

पंजाब में मकर संक्रांति को माघी संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। तमिलनाडु में पोंगल, पश्चिम बंगाल में गंगासागर में बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है। मान्यता है कि इस दिन ही यशोदा जी ने श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिए व्रत रखा था। साथ ही इसी दिन मां गंगा भगीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए गंगा सागर में जाकर मिली थीं। केरल में मकर विलक्कू नाम से मनाया जाता है। गुजरात में उत्तराणय पर्व और उत्तर भारत में खिचड़ी के रूप में इस पर्व को मनाया जाता है। 

मकर संक्रांति पर तिल के दान का महत्व

मकर संक्रांति के त्योहार के अवसर पर तिल के दान का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति पर तिल का दान करने से कुंडली में शनि मजबूत होते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति पर तिल से बनी चीजों का सेवन करने और तीर्थ स्थानों व मंदिरों में दान करना चाहिए। 

मकर संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का काफी महत्व होता है। वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने के लिए स्वयं उनके घर जाते हैं। आपको बता दें कि सूर्यदेव हर एक माह में राशि बदलते हैं। सूर्य के राशि बदलने को ही संक्रांति कहते हैं। मकर राशि के स्वामी शनिदेव होते हैं। इस कारण से इसे मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति पर सूर्य और शनिदेव की आराधना करने से पर जीवन से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं।  

मकर संक्राति पर दान का महत्व

मकर संक्रांति पर सुबह गंगा स्नान, फिर सूर्यदेव को अर्घ्य देना और फिर इसके बाद गरीबों को कंबल, गुड़, तिल,चावल और खिचड़ी का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। 

मकर संक्रांति पर वारियान और रवि योग का संयोग

इस बार मकर संक्रांति पर बहुत ही अच्छा शुभ संयोग बना हुआ है। वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक आज मकर संक्रांति पर रवि और वारियान योग बना हुआ है। इस योग में गंगा स्नान और दान करने पर सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 

 क्या है मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व

आज देशभर में मकर संक्रांति के त्योहार को बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। दरअसल मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। उत्तर भारत में इसे खिचड़ी आदि खाकर मनाया जाता है जबकि गुजरात में यह पर्व पतंगोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाई जाती है। विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है। इसी कारण उत्तर भारत में इस पर्व को 'खिचड़ी 'के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा तिल और गुड़ का भी मकर संक्राति पर बेहद महत्व है।मकर संक्रांति पर दान का बहुत महत्व है। विशेषकर इस दिन तिल, खिचड़ी, गुड़ एवं कंबल दान करने का महत्व है। 

 मकर संक्रांति शुभ तिथि 2024

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के त्योहार का विशेष महत्व होता है। आज सुबह तड़के सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश कर चुके हैं। सूर्यदेव एक महीने तक मकर राशि में रहेंगे। सूर्य के मकर राशि में आने से पिछले एक महीने से चला आ रहा खरमास अब खत्म हो गया है। खरमास के खत्म होते ही सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य अब फिर से शुरू होंगे। 

मकर संक्रांति शुभकामना संदेश

मीठे गुड़ में मिल गए तिल,

उड़ी पतंग और खिल गए दिल,

हर पल सुख और हर दिन शांति,

आप सबके लिए लाए मकर संक्रांति।

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं।

तन में मस्ती, मन में उमंग,

देखकर सबका अपनापन,

गुड़ में जैसे मीठापन,

होकर साथ हम उड़ाएंगे पतंग,

और भर लें आकाश में अपने रंग।

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं

त्योहार में नहीं होता अपना-पराया

त्योहार है वही जिसे सबने मनाया

मिला कर गुड़ में तिल

मीठे लड्डू संग मिलने दो दिल।

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं

मंदिर की घंटी संग पूजा की थाली

उत्तरायण में दिखी सूरज की लाली

जीवन में आए खुशियों की हरियाली

मुबारक हो आपको मकर संक्रांति।

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं 

मकर संक्रांति स्नान-दान मुहूर्त

आज देशभर में धूमधाम के साथ मकर संक्रांति का त्योहार मनाई जा रही है। मकर संक्रांति पर स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। मकर सक्रांति पर पुण्यकाल में स्नान किया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार आज पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 15 मिट तक रहेगा, वहीं महापुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर 09 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। 

मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की पूजा

मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा-पाठ और उपासना का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति पर पुण्यकाल में गंगा स्नान करने के बाद तांबे के बर्तन में जल, सिंदूर, लाल फूल और काला तिल डाल कर उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। फिर इसके बाद नदी में खड़े होकर अपने अंजुली से जल लेकर भगवान सूर्य का ध्यान करते हुए और ऊं सूर्याय नम: का मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करें। सूर्यदेव की महिमा और पूजा-उपासना का महत्व सभी वेद-पुराण एवं योग शास्त्रों में वर्णित हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि आरोग्य सुख हेतु सूर्य उपासना सर्वथा फलदायी है,जो भी सूर्य देव की उपासना तथा व्रत करते हैं उनके सभी रोग दूर हो जाते हैं। शारीरिक कमजोरी या जोड़ों में दर्द जैसे परेशानियों में भगवान सूर्य की आराधना करने से रोग मुक्ति मिलने की संभावना बनती है । 

शुभ योग में मकर संक्रांति आज, जानिए शुभ मुहूर्त, उपाय और दान-स्नान का महत्व

Makar Sankranti 2024 Date Puja Vidhi Daan Muhurat: आज,15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति पर्व को देशभर के कई हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का विशेष स्थान होता है। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। सूर्य हर एक महीने में राशि बदलते हैं, यानी सूर्य एक वर्ष में 12 राशियों का भ्रमण करते हैं। सूर्य जब धनु राशि की यात्रा को पूरा करके मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते है। मकर संक्रांति से सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं, जिसे देवताओं का दिन कहा जाता है। आइए जानते हैं मकर संक्रांति का महत्व और पूजा विधि। 


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